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यूएपीए और मकोका मामलों के लिए बन सकती हैं खास अदालतें! सुप्रीम कोर्ट को NIA ने बताया

एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह राज्यों से चर्चा कर रही है ताकि यूएपीए और मकोका जैसे मामलों के लिए समर्पित अदालतें बनाई जा सकें. कोर्ट ने समयबद्ध जांच पर जोर देते हुए कहा कि इससे अपराधियों को सबक मिलेगा और समाज में सही संदेश जाएगा. राज्यों की सहमति और बजट अहम होंगे.

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राज्य सरकारों से स्पेशल अदालतों के लिए बात कर रही एनआईए (File Photo: ITG)
राज्य सरकारों से स्पेशल अदालतों के लिए बात कर रही एनआईए (File Photo: ITG)

राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी NIA ने 4 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह NIA के लिए खास समर्पित अदालतों के गठन के बारे में राज्यों के साथ विचार-विमर्श कर रही है. इस संबंध में जल्द ही सकारात्मक फैसले लिए जा सकते हैं.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच ने पहले भी इस मामले की सुनवाई के दौरान गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) जैसे कानूनों के तहत विशेष मामलों की सुनवाई के लिए समर्पित अदालतों की जरूरत पर जोर दिया था.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जस्टिस सूर्यकांत ने एएसजी ऐश्वर्या भाटी से कहा कि जांच का समयबद्ध समापन बहुत जरूरी है.

'अच्छा मैसेज जाएगा...'

इसकी अहमियत को रेखांकित करते हुए बेंच ने कहा कि आपके पास इसे प्रोत्साहन देने का मौक है. अगर आप समयबद्ध जांच कर सकते हैं, तो विशेष रूप से जघन्य अपराधों में समाज तक बहुत अच्छा संदेश जाएगा. सभी खूंखार और दुर्दांत अपराधियों के लिए भी ये सही रहेगा वरना वे पूरे सिस्टम को हाईजैक कर सकते हैं. वे विभिन्न और आपात परिस्थितियों के लिए निर्मित कानूनी प्रावधानों का सहारा लेकर दासियों साल तक मुकदमे को समाप्त नहीं करना चाहेंगे. अदालतें मजबूरी में जमानत देंगी.

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एनआईए की तरफ से एएसजी ने अदालत को बताया कि इस कवायद के लिए राज्यों को साथ लेना होगा क्योंकि, समर्पित एनआईए अदालतों के गठन की शक्ति उनके पास है. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि तो आप केवल यह भरोसा दे रहे हैं कि आप जरूरी बजटीय आवंटन करेंगे.

यह भी पढ़ें: Mumbra: फेक करंसी केस: NIA की विशेष अदालत ने एक और आरोपी को सुनाई कठोर कारावास की सजा

कोर्ट ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट्स और राज्य सरकारों की भूमिका बाद में तय की जा सकती है. इस बिंदु पर एएसजी ने अनुमोदन के लिए लंबित एक प्रस्ताव के बारे में बताया, जिसके तहत गैर-आवर्ती व्यय के रूप में 1 करोड़ रुपये आवंटित किए जाते हैं. आवर्ती व्यय पर 60 लाख रुपये प्रति वर्ष, और राज्य 'भूमि और भवन' का खर्च उठाएंगे.

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