रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने कहा कि अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए 50% टैरिफ के पीछे रूस से भारत की तेल खरीद का मुद्दा नहीं था, बल्कि मई में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए चार दिन के सैन्य तनाव पर डोनाल्ड ट्रंप की नाराज़गी प्रमुख कारण थी. उन्होंने यह भी कहा कि यहां पाकिस्तान ने अच्छा गेम खेला. उन्होंने यह टिप्पणियां 4 दिसंबर को यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिख के यूबीएस सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स इन सोसाइटी में आयोजित एक कार्यक्रम में कीं.
रघुराम राजन ने कहा कि ट्रंप ने उस समय संघर्ष विराम का श्रेय स्वयं लिया था, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान की ओर से दो बार बातचीत के अनुरोध के बाद ही युद्धविराम हुआ. पाकिस्तान ने सार्वजनिक रूप से ट्रंप को धन्यवाद दिया, जबकि भारतीय सैन्य नेतृत्व ने कहा कि संघर्ष विराम भारत-पाक बातचीत से ही संभव हुआ. उनके मुताबिक, यही बयानबाज़ी व्हाइट हाउस को पसंद नहीं आई.
यह भी पढ़ें: 'एहसान नहीं कर रहे अमेरिकी... ' चावल पर टैरिफ की धमकी को लेकर ट्रंप को मिला करारा जवाब!
पूर्व गवर्नर ने कहा कि यह तनाव पूरी तरह ट्रंप की व्यक्तिगत प्रतिक्रिया से उपजा था, न कि रूस से तेल आयात पर भारत के रुख से. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बान द्वारा रूस से तेल खरीदने पर भी ट्रंप ने कोई आपत्ति नहीं जताई. राजन ने कहा, "तेल कभी केंद्रीय मुद्दा था ही नहीं. असल मुद्दा व्यक्तित्व और ट्रंप के दावे पर भारत की प्रतिक्रिया थी."
पाकिस्तान पर सिर्फ 19% टैरिफ
रघुराम राजन ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने इस पूरे प्रकरण को "सही तरीके से खेला" और इसी का परिणाम था कि भारत पर अमेरिकी टैरिफ 50% रहा, जबकि पाकिस्तान पर केवल 19% टैरिफ लगाए गए. उन्होंने स्पष्ट किया कि मई में हुए चार दिन के 'मिनी-वॉर' के दौरान भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 नागरिकों की हत्या के बाद पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंकी ठिकानों पर सीमित और सटीक कार्रवाई की थी.
यह भी पढ़ें: India-US ट्रेड डील पर लगेगी मुहर? अगले हफ्ते 3 दिन की बड़ी बैठक... टैरिफ पर भी बनेगी बात!
पाकिस्तान ने की थी उकसावे वाली कार्रवाई
इसके जवाब में पाकिस्तान ने मिसाइलों और ड्रोन से हमले किए, जिसके बाद भारतीय सेना ने इस्लामाबाद की सैन्य और परमाणु सुविधियों को निशाना बनाया. बढ़ते दबाव के बाद पाकिस्तान ने अमेरिका से मध्यस्थता की मांग की थी. रघुराम राजन के मुताबिक, इसी घटनाक्रम और उस पर दिए भारतीय बयानों ने ट्रंप प्रशासन को नाराज किया, जिसकी वजह से भारत को भारी व्यापारिक दबाव का सामना करना पड़ा.