जम्मू-कश्मीर विधानसभा (Jammu Kashmir Assembly) के पहले सत्र में ही हंगामा देखने को मिला. पुलवामा का प्रतिनिधित्व करने वाले पीडीपी विधायक वहीद पारा ने पहले सत्र में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश विधानसभा की महत्वपूर्ण भूमिका को संविधान सभा के समान रेखांकित किया गया और जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली की मांग की गई. यानी विधानसभा में अनुच्छेद 370 को हटाने का प्रस्ताव पेश किया गया. बीजेपी विधायकों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया.
बीजेपी के विरोध पर क्या बोले स्पीकर?
प्रस्ताव पेश किए जाने के कुछ ही देर बाद जम्मू-कश्मीर के सभी 28 बीजेपी विधायक इस कदम का विरोध करने के लिए खड़े हो गए, जिससे विधानसभा में शोर-शराबा हो गया. बीजेपी विधायक शाम लाल शर्मा ने विधानसभा के नियमों का उल्लंघन करते हुए प्रस्ताव लाने के लिए पारा को निलंबित करने की मांग की.
अध्यक्ष ने बार-बार विरोध करने वाले सदस्यों से अपनी सीटों पर बैठने की गुजारिश की, लेकिन उन्होंने अपना विरोध जारी रखा. स्पीकर ने कहा कि प्रस्ताव अभी उनके पास नहीं आया है और जब आएगा, तो वे इसकी जांच करेंगे.
बीजेपी नेताओं द्वारा अपना विरोध वापस लेने से इनकार करने पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायकों ने सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के लिए उन पर हमला बोला.
क्या बोले उमर अब्दुल्ला?
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सत्र को संबोधित करते हुए कहा, "हमें पता था कि इसके लिए एक सदस्य द्वारा तैयारी की जा रही थी. सच यह है कि जम्मू-कश्मीर के लोग 5 अगस्त 2019 को लिए गए फैसले को स्वीकार नहीं करते हैं. अगर उन्होंने इसे स्वीकार किया होता, तो आज के नतीजे अलग होते. सदन इस पर कैसे विचार करेगा और चर्चा करेगा, यह किसी एक सदस्य द्वारा तय नहीं किया जाएगा. आज लाए गए प्रस्ताव का कोई महत्व नहीं है. अगर इसके पीछे कोई उद्देश्य होता, तो वे पहले हमारे साथ इस पर चर्चा करते."
जम्मू कश्मीर विधानसभा में अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध करने और विशेष दर्जा बहाल करने का संकल्प लेने के लिए वहीद पारा पर फख्र है. अल्लाह आपका भला करे.
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा, "मेरी सरकार पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए सभी कोशिश करेगी, यह जम्मू-कश्मीर के लोगों द्वारा हमारे लोकतांत्रिक संस्थानों में व्यक्त किए गए विश्वास का प्रतिदान होगा."
क्या था आर्टिकल 370?
आर्टिकल 370 संविधान में एक प्रावधान था, जो जम्मू और कश्मीर क्षेत्र को विशेष स्वायत्तता प्रदान करता था. इस नियम की वजह से जम्मू-कश्मीर को अपना संविधान, झंडा और रक्षा, संचार और विदेशी मामलों को छोड़कर आंतरिक मामलों पर स्वायत्तता की अनुमति दे रखी थी.
5 अगस्त, 2019 को केंद्र की मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया, जिससे जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा प्रभावी रूप से खत्म हो गया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों: जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया.
(एजेंसी के इनपुट के साथ)