बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की बहुप्रतीक्षित 'सनातन हिंदू एकता पदयात्रा' शुक्रवार सुबह दिल्ली के कात्यायनी माता मंदिर से श्री धाम वृंदावन के लिए शुरू होगी.
गुरुवार को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशनल क्लब में मीडिया को संबोधित करते हुए पं. धीरेंद्र शास्त्री ने स्पष्ट किया कि यह केवल एक यात्रा नहीं है, बल्कि विचारों को जगाने के लिए एक वैचारिक क्रांति है, जिसमें सबकी भागीदारी अनिवार्य है.
उन्होंने कहा कि शुक्रवार को सुबह 9 बजे मंचीय कार्यक्रम के बाद साधु-संतों द्वारा सौंपे गए धर्म ध्वज को आगे रखकर पदयात्रा वृंदावन के लिए प्रस्थान करेगी. यात्रा के दौरान श्री राम नाम संकीर्तन पदयात्रियों की ऊर्जा बढ़ाएगा. कार्यक्रम में राष्ट्रगान, हनुमान चालीसा और हिंदू एकता की शपथ के साथ-साथ देशभर से आए साधु-संतों और महामंडलेश्वरों के आशीर्वचन होंगे.
विवाद नहीं, संवाद से आगे बढ़ना लक्ष्य
उन्होंने देश-विदेश के हिंदुओं से आह्वान किया कि वे 7 नवंबर से 16 नवंबर तक चलने वाली इस यात्रा में कम से कम एक दिन के लिए अवश्य शामिल हों. उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य विवाद नहीं, बल्कि संवाद के माध्यम से आगे बढ़ना है. यह यात्रा माया शक्ति की नगरी (दिल्ली) से माधव की नगरी (वृंदावन) तक चलेगी और करीब 5 करोड़ की आबादी तक इसका संदेश पहुंचाने का प्रयास होगा.
यह यात्रा सात संकल्पों को पूरा कराने के लिए शुरू की जा रही है, जिनमें प्रमुख हैं:
-भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित कराना.
-गौ माता को राष्ट्र माता घोषित कराना.
-यमुना माता का शुद्धिकरण हो.
-श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर भव्य और दिव्य बने.
-अवैध धर्मांतरण एवं लव जिहाद पर लगाम लगे.
व्यासपीठ और राजपीठ की उपस्थिति
इस पदयात्रा में जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज, दीदी मां ऋतंभरा, चिदानंद मुनि जी, स्वामी ज्ञानानंद महाराज (गीता मनीषी) जैसे कई पूज्य संत-महात्मा उपस्थित रहेंगे. इसके अलावा, राजनीति जगत से दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, सांसद मनोज तिवारी, मंत्री कपिल मिश्रा सहित 50 से अधिक संत-महात्मा भी मौजूद रहेंगे.
पहली बार मुस्लिम समाज ने दिया यात्रा को समर्थन
बागेश्वर महाराज ने इसे पहला अवसर बताया जब उनकी यात्रा का समर्थन इस्लाम धर्म के लोगों ने किया है. फैज खान के नेतृत्व में तीन सौ से अधिक मुस्लिम समाज के लोग यात्रा में साथ चलेंगे. उनका कहना है कि यह यात्रा लोगों को जोड़ने का काम कर रही है, इसलिए वे इसका समर्थन करते हैं.
उन्होंने सभी पदयात्रियों से मर्यादा के साथ यात्रा में शामिल होने का आग्रह किया है. उन्होंने विशेष रूप से कहा है कि किसी भी जाति, पंथ या संप्रदाय पर टिप्पणी न की जाए. अस्त्र-शस्त्र का प्रयोग पूरी तरह से वर्जित रहेगा और शांति बनाए रखने की अपील की गई है.