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दिल्ली की कल की क्लाउड सीडिंग में कितना खर्चा आया, सामने आया आंकड़ा

आईआईटी कानपुर के निदेशक ने बताया कि दिल्ली में कल हुई क्लाउड सीडिंग में 60 लाख रुपये का खर्चा आया है. उन्होंने बताया कि पूरे सीजन (4 महीने) का खर्च 20 से 30 करोड़ रुपये के आसपास होगा. ये खर्च दिल्ली सरकार के प्रदूषण नियंत्रण के कुल बजट से 100 गुना कम है.

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दिल्ली: क्लाउड सीडिंग में आया 60 लाख का खर्च. (Photo: Screengrab/ITG Video)
दिल्ली: क्लाउड सीडिंग में आया 60 लाख का खर्च. (Photo: Screengrab/ITG Video)

दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा. ऐसे में आर्टिफिशियल रेन पैदा करने वाली क्लाउड सीडिंग तकनीक पर सबकी नजरें टिकी हैं, जिसके लिए आईआईटी कानपुर ने दो ट्रायल किए हैं. आईआईटी कानपुर के निदेशक मनिंद्र अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली मंगलवार को हुई क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया में 60 लाख रुपये का खर्चा आया था.

दरअसल, आम आदमी पार्टी ने क्लाउड सीडिंग के बावजूद कृत्रिम बारिश न होने पर दिल्ली सरकार पर निशाना साधा था. AAP ने 'ज्यादा खर्चा, जीरो रिजल्ट का आरोप लगाया. उन्हीं आरोपों का जवाब मनिंद्र अग्रवाल ने दिया है.

'कल की क्लाउड सीडिंग में 60 लाख खर्च'

आईआईटी कानपुर के निदेशक मनिंद्र अग्रवाल ने आज तक को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में मंगलवार को दिल्ली में हुई क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया पर आए खर्च के आरोपों पर जवाब दिया है. निदेशक अग्रवाल ने बताया कि कल हुई क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया पर 60 लाख रुपये का खर्च आया, जो कि 20,000 रुपये प्रति वर्ग किलोमीटर है.

पूरे सीजन में इतने करोड़ होंगे खर्च

उन्होंने बताया कि पूरे सीजन (4 महीने) का खर्च 20 से 30 करोड़ रुपये के आसपास होगा. ये खर्च दिल्ली सरकार के प्रदूषण नियंत्रण के कुल बजट से 100 गुना कम है.

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निदेशक अग्रवाल ने बताया कि पूरे सीजन के दौरान फिक्स्ड कॉस्ट कम करने के लिए विकल्पों पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कानपुर से उड़ानें संचालित करने से कुल परिचालन खर्च काफी बढ़ जाता है.

इसलिए आईआईटी कानपुर दिल्ली-एनसीआर के पास एक उपयुक्त स्थान पर पूरे सीजन के लिए विमान तैनात करने के विकल्पों की तलाश कर रहा है.

बादलों में नमी से मिलेंगे बेहतर नतीजे

क्लाउड सीडिंग के पहले दिन की अंतिम रिपोर्ट पर बात करते हुए निदेशक ने कहा कि उन्हें आज की प्रक्रिया से मूल्यवान अंतर्दृष्टि और डेटा प्राप्त हुआ है.

उन्होंने बताया कि प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए क्लाउड सीडिंग करने का ये पहला मौका था, इसलिए संदर्भ के लिए कोई पिछला डेटा उपलब्ध नहीं था. उन्होंने ये भी कहा कि बादलों में नमी की कम मात्रा के बावजूद पीएम का स्तर 10% तक नीचे आ गया जो दिखाता है कि बेहतर नमी होने पर शानदार नतीजे हासिल होंगे.

आज भी होना था ट्रायल

निदेशक अग्रवाल ने दूसरे दिन के प्लान के बारे में बताया कि आज यानी 29 अक्टूबर को क्लाउड सीडिंग के दो और ट्रायल किए जाने थे, लेकिन बाद टीम ने अस्थाई तौर पर आज होने वाले ट्रायल टाल दिया.

उन्होंने चेतावनी भी दी कि कृत्रिम बारिश एक स्थायी समाधान नहीं है और उन्हें उम्मीद है कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्रोत पर काम किया जाएगा.

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