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'हरियाणा में रिलीज नहीं होने देंगे फिल्म...', '120 बहादुर' के विरोध में अहीर नेताओं का पैदल मार्च, NH-48 पर लगा भीषण जाम

अहीर समाज के लोगों ने रविवार को गुरुग्राम के खेड़की टोल से दिल्ली बॉर्डर तक फिल्म '120 बहादुर' पैदल मार्च निकाला, जिससे राष्ट्रीय राजमार्ग 48 पर भीषण जाम लग गया. अहीर नेताओं ने फिल्म के नाम में बदलाव और हरियाणा में रिलीज पर रोक की मांग की है. अहीर समाज का आरोप है कि फिल्म का शीर्षक शहीदों का अपमान करता है.

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120 बहादुर के खिलाफ अहीर समाज का प्रदर्शन. (photo: ITG)
120 बहादुर के खिलाफ अहीर समाज का प्रदर्शन. (photo: ITG)

फरहान अख्तर की फिल्म '120 बहादुर' के खिलाफ अहीर समाज के लोगों ने खेड़की दौला टोल से दिल्ली बॉर्डर तक पैदल मार्च निकाला, जिसकी वजह से राष्ट्रीय राजमार्ग 48 (एनएच-48) पर जयपुर से दिल्ली जाने वाले रास्ते पर रविवार को भीषण जाम लग गया. वहीं, एक अहीर नेता ने कहा कि वह इस फिल्म को हरियाणा में रिलीज नहीं होने देंगे.अहीर समाज का आरोप है कि फिल्म का शीर्षक शहीदों का अपमान करता है और '120 वीर अहीर' से बदला जाना चाहिए.

प्रदर्शनकारी सुबह खेड़की दौला टोल से पैदल मार्च शुरू कर दिल्ली बॉर्डर की ओर बढ़े. इस दौरान सैकड़ों अहीर नेता और समर्थक नारों के साथ सड़क पर उतर आए, जिससे एनएच-48 पर वाहनों का आवागमन पूरी तरह ठप हो गया. जाम की लंबाई इतनी थी कि जयपुर से आने वाले वाहन घंटों फंसे रहे. टोल प्लाजा को भी प्रदर्शनकारियों ने अवरुद्ध कर दिया, जिससे टैक्स संग्रह प्रभावित हुआ.

'हरियाणा में रिलीज नहीं होने देंगे फिल्म'

अहीर नेता अरुण यादव ने कहा कि आज हम तिरंगा यात्रा निकाल रहे हैं. हम फिल्म निर्माता और निर्देशक को चेताना चाहते हैं कि जल्द से जल्द इस फिल्म का नाम बदलें. वरना इस फिल्म को हरियाणा में तो रिलीज नहीं होने देंगे.

उन्होंने आगे कहा, 'फिल्म निर्मता अहीरों की शहादत को दिखाए उन शहीद परिवारों से बातचीत करे नहीं तो सरकार इस फ़िल्म को बैन करे वरना हम किसी भी सूरत में फ़िल्म को सिनेमा हॉल में रिलीज नही होने देंगे.'

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वहीं, जाम के कारण हजारों वाहन चालकों को असुविधा झेलनी पड़ी. कई लोग प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं और सवाल उठा रहे हैं कि नेशनल हाईवे पर इतने बड़े पैमाने का पैदल मार्च निकालने की परमिशन किसने दी?

क्या है मामला

दरअसल, फिल्म '120 बहादुर' 1962 के भारत-चीन युद्ध में रेजांगला की ऐतिहासिक लड़ाई पर आधारित है, जिसमें 13 कुमाऊं रेजिमेंट के 114 अहीर सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय दिया था. इन बहादुरों को 'वीर अहीर' की उपाधि प्राप्त है. अहीर समाज का आरोप है कि फिल्म का टाइटल '120 बहादुर' इन शहीदों का अपमान है, क्योंकि ये संख्या और इतिहास से छेड़छाड़ करता है. समाज की मांग है कि टाइटल को '120 वीर अहीर' में बदला जाए.

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