मुंबई स्थित हाजी अली दरगाह के अंदर महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दरगाह ट्रस्ट ने कहा है कि वह बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला मानने को तैयार हैं. दरगाह मैनेजमेंट ने इस बारे में सहमति बनाते हुए कहा है कि महिलाओं को दरगाह में प्रवेश देने के लिए अलग रास्ता बनाया जाएगा.
दरगाह ट्रस्ट ने बताया कि महिलाओं के लिए रास्ते को लेकर दिक्कत थी जिसकी वजह से महिलाओं को मुख्य दरगाह हॉल के अन्दर जाने पर रोक थी. अब 2 हफ्ते का समय लगेगा और महिलाओं के लिए मुख्य द्वार के पास से ही अलग रास्ता बनाया जाएगा. सर्वोच्च अदालत ने दरगाह ट्रस्ट को 4 हफ्ते का समय देकर मामले का निपटारा कर दिया है.
मुंबई की मशहूर हाजी अली दरगाह में अब महिलाओं को भी एंट्री मिलेगी. गौरतलब हो कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए ट्रस्ट की ओर से दरगाह के भीतरी गर्भगृह में प्रवेश पर पाबंदी को गैरजरूरी माना और बैन हटा लिया था. इसके साथ ही अब महिलाएं दरगाह में चादर चढ़ा सकेंगी.
याचिकाकर्ता नूरजहां सफिया नियाज की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव मोरे ने हाईकोर्ट में पैरवी की. नियाज ने अगस्त 2014 में अदालत में याचिका दायर कर यह मामला उठाया था. उन्होंने हाईकोर्ट से हाजी अली की दरगाह में महिलाओं के प्रवेश की इजाजत मांगी थी. अदालत ने दोनों पक्षों को आपसी सहमति से मामला सुलझाने को भी कहा, लेकिन दरगाह के अधिकारी महिलाओं को प्रवेश नहीं करने देने पर अड़े हुए थे.