राजस्थान और मध्य प्रदेश के बाद महाराष्ट्र तीसरा ऐसा बीजेपी शासित राज्य बन गया है, जिसने बड़े लेबर रिफॉर्म की ओर कदम बढ़ा दिए हैं. अंग्रेजी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र एक ऐसे प्रस्ताव पर भी विचार कर रहा है, जिसके तहत कोई भी कारोबारी सरकारी मंजूरी के बिना इंडस्ट्रियल यूनिट बंद कर सकेगा और किसी भी कर्मचारी को निकाल भी सकेगा.
महाराष्ट्र की 41,000 यूनिटों में से करीब 39,000 को इस प्रस्ताव के पास होते ही सरकारी मंजूरी से छूट मिल सकती है. सीधे शब्दों में कहें तो राज्य की 95 प्रतिशत यूनिट मालिक कभी भी कर्मचारी को निकाल सकेंगे या फिर यूनिट बंद कर सकेंगे.
लेबर डिपार्टमेंट से जुड़े सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार 'सेंट्रल इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट 1947' में बदलाव की तैयारी कर रही है. इसमें अगर बदलाव हो गया तो 300 वर्कर्स से कम वाली फैक्ट्री बिना सरकारी मंजूरी लिए बंद की जा सकेंगी. मौजूदा समय में 100 वर्कर्स वाली यूनिटें बिना सरकारी मंजूरी के बंद की जा सकती हैं.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने निवेश बढ़ाने के लिए 'मेक इन इंडिया' कैंपेन शुरू किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कैंपेन के जिक्र के साथ लेबर रिफॉर्म की बात भी करते हैं. महाराष्ट्र की देवेंद्र फड़नवीस सरकार भी केंद्र की इसी नीति को आगे बढ़ा रही है.
इंडस्ट्री के मामले में महाराष्ट्र देश में टॉप पर है. इसके बाद गुजरात और फिर तमिलनाडु का नंबर आता है. महाराष्ट्र सरकार के इस कदम से बिजनेसमैन तो खुश हो रहे हैं, लेकिन ट्रेड यूनियनों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि इस फैसले से कर्मचारियों के हक खत्म हो जाएंगे.