बॉम्बे हाईकोर्ट ने मशहूर बिजनेसमैन मुकेश अंबानी और उनके परिवार को दी गई जेड प्लस (Z+) सुरक्षा को हटाने की मांग को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है. यह याचिका मुंबई के अंधेरी इलाके के रहने वाले पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीएम) हिमांशु अग्रवाल ने दायर की थी.
अंबानी परिवार को सुरक्षा देने पर सवाल
याचिका में दावा किया गया था कि अंबानी और उनके परिवार को दी गई सुरक्षा राज्य सरकार पर अनावश्यक बोझ है और इसका असर कर दाताओं की जेब पर पड़ता है. याचिका में कहा गया कि प्रधानमंत्री को एसपीजी सुरक्षा और अन्य उच्च स्तरीय लोगों को खतरे के मद्देनजर जेड प्लस सुरक्षी दी गई. जबकि अंबानी और उनके परिवार को अब तक किसी खतरे या धमकी की बात सामने नहीं आई है. ऐसे में उनको जेड प्लस सुरक्षा क्यों दी गई है.
अपराधों को रोकना ज्यादा जरूरी
याचिकाकर्ता ने कहा कि बड़े कारोबारियों को सरकार नहीं बल्कि उनके अपने सीईओ सुरक्षा प्रदान करते हैं. याचिका में कहा गया कि लोगों की सुरक्षा के लिए पहले ही पुलिसकर्मियों की कमी है. अपराधों की रोकथाम के लिए पुलिसकर्मियों की ज्यादा जरुरत है, ऐसे में एक बिजनेसमैन के परिवार को को जेड प्लस सुरक्षा में पुलिसकर्मियों के तैनात करना गैर जरूरी है. इसलिए केंद्र सरकार की ओर से मुकेश अंबानी और उनके परिवार को दी गई जेड प्लस सुरक्षा वापस लेनी चाहिए.
कोर्ट ने क्यों खारिज की याचिका?
याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकारी वकील दीपक ठाकरे ने याचिका को आधारहीन बताया. वहीं अंबानी के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल अपनी सुरक्षा के शुल्क का भुगतान करते हैं. इस बात की जानकारी मिलने के बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया.