जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जमीन अधिग्रहण को लेकर अपना एक अहम आदेश वापस ले लिया है. अब जम्मू-कश्मीर में सेना, सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ), बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) को जमीन लेने के लिए एनओसी लेने की जरूरत नहीं होगी.
1971 के सर्कुलर के मुताबिक सशस्त्र बलों जैसे कि आर्मी, बीएसएफ, सीआरपीएफ आदि को जम्मू-कश्मीर में जमीन लेने के लिए वहां के गृह विभाग से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) लेने की जरूरत होती थी. अब इस सर्कुलर को वापस ले लिया गया है. जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए यहां अब केंद्र के नियम लागू हो गए हैं. केंद्र के नियम लागू होने के बाद जम्मू कश्मीर में अब राइट टू फेयर कंपनसेशन एंड ट्रांसपरेंसी इन लैंड इक्वीजिशन, रिहैबिलिशन एंड रिसेटलमेंट एक्ट, 2013 के तहत अब जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा.
प्रदेश के राजस्व विभाग की ओर से जारी एक नोट में कहा गया है, राइट टू फेयर कंपनसेशन एंड ट्रांसपरेंसी इन लैंड इक्वीजिशन, रिहैबिलिशन एंड रिसेटलमेंट एक्ट, 2013 को देखते हुए सर्कुलर नंबर 71/13ए को वापस ले लिया गया है जो 1971 में जारी हुआ था. इसके मुताबिक पहले जमीन अधिग्रहण के लिए आर्मी, बीएसएफ/ सीआरआपीएफ को गृह विभाग से इजाजत लेनी होती थी.
अब नए नियम के मुताबिक हर जिले के कलेक्टर को जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया आगे बढ़ाने का निर्देश दिया गया है. राइट टू फेयर कंपनसेशन एंड ट्रांसपरेंसी इन लैंड इक्वीजिशन, रिहैबिलिशन एंड रिसेटलमेंट एक्ट, 2013 में रणनीतिक कार्यों के लिए नेवी, मिलिटरी, एयरफोर्स और सशस्त्र बलों को जमीन अधिग्रहण की इजाजत मिलती है. राष्ट्रीय सुरक्षा और लोगों की सुरक्षा में केंद्रीय अर्धसैनिक बल और प्रादेशिक पुलिस जमीन का अधिग्रहण कर सकती है.