अमरनाथ यात्रा को लेकर इस बार सुरक्षा व्यवस्था पहले से कहीं अधिक सख्त और संगठित दिखाई दे रही है. यात्रा के दौरान किसी भी तरह के आतंकी खतरे को नाकाम करने के उद्देश्य से 1 जुलाई से 10 अगस्त तक यात्रा मार्ग को नो-फ्लाई ज़ोन घोषित कर दिया गया है. यह फैसला हालिया पहलगाम आतंकी हमले और खुफिया एजेंसियों से प्राप्त आतंकी हमलों की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए एहतियातन तौर पर लिया गया है.
दरअसल, यात्रा की सुरक्षा को लेकर जम्मू-कश्मीर प्रशासन और देश की विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों ने व्यापक तैयारी शुरू कर दी है. आज मंगलवार को इसके मद्देनजर श्रीनगर में एक उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक बुलाई गई है, जिसमें देश की प्रमुख सुरक्षा एजेंसियों के शीर्ष अधिकारी शामिल रहे. बैठक में इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के निदेशक नलीन प्रभात, जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी दलजीत सिंह चौधरी, बीएसएफ के डीजी सदानंद दाते, एनआईए के डीजी मनोज यादव ,आरपीएफ के डीजी, आईटीबीपी नॉर्दर्न फ्रंटियर के आईजीपी, चिनार कॉर्प्स के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल प्रशांत श्रीवास्तव और भारतीय सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए.
बैठक के दौरान यात्रा मार्ग की सुरक्षा, संभावित आतंकी खतरे, खुफिया इनपुट की समीक्षा और नए सुरक्षात्मक उपायों पर विस्तृत चर्चा की गई. सुरक्षा एजेंसियों ने विशेष बलों की तैनाती, तकनीकी निगरानी, ड्रोन सर्विलांस, संदिग्ध गतिविधियों पर नजर और संवेदनशील क्षेत्रों में रुटीन से हटकर तलाशी अभियानों की योजना तैयार की है. साथ ही यात्रा मार्ग को नो-फ्लाई जोन घोषित करने पर सहमति जताई गई. इसका मतलब है कि इस दौरान क्षेत्र में कोई भी गैर-सरकारी ड्रोन, हवाई यान या विमान उड़ान नहीं भर सकेंगे. इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि को तुरंत पहचाना और निष्क्रिय किया जा सके.
पहलगाम आतंकी हमले ने बढ़ाई चिंता, खुफिया एजेंसियां अलर्ट
हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और अधिक बढ़ गई है. खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आतंकियों की ओर से यात्रा के दौरान किसी बड़े हमले की योजना बनाए जाने की आशंका जताई गई है. इस इनपुट के बाद, यात्रा मार्ग पर सुरक्षा का घेरा और कड़ा कर दिया गया है.
29 जून से शुरू होगी अमरनाथ यात्रा
बता दें कि इस वर्ष अमरनाथ यात्रा 29 जून से शुरू होकर 19 अगस्त तक चलेगी. हर साल की तरह इस बार भी लाखों श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए जम्मू-कश्मीर पहुंचेंगे. यात्रा के दो पारंपरिक रूट- पहलगाम और बालटाल हैं. प्रशासन की प्राथमिकता यात्रियों की सुरक्षा और सुविधाओं को सुनिश्चित करना है. यात्रियों के लिए विशेष चिकित्सा सुविधाएं, राशन और पेयजल की व्यवस्था, मोबाइल टॉयलेट, साइन बोर्ड, इंटरनेट कनेक्टिविटी और हेल्पलाइन सेवाएं भी तेजी से तैयार की जा रही हैं.