हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि वह कुछ सदस्यों द्वारा जिन शब्दों को लेकर आपत्ति जताई थी उन्हें बदलने के लिए वह डेड बॉडी बिल को एक दिन के लिए वापस ले रहे हैं. हरियाणा शव निपटान विधेयक, 2024, जिसे पिछले सप्ताह चालू बजट सत्र के दौरान पेश किया गया था, उसे सोमवार को चर्चा के लिए विधानसभा के पटल पर रखा गया. इस बिल में विरोध प्रदर्शन करने के लिए शव का इस्तेमाल करने वालों को दंडित करने का प्रावधान है.
हरियाणा विधानसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी ने कहा, 'कौन नहीं चाहता कि शव का सम्मानजनक अंतिम संस्कार हो? लेकिन अगर कहीं विरोध प्रदर्शन किया जाता है, तो वह मजबूरी के कारण होता है, क्योंकि मृतक के परिजनों को लगता है कि उनकी बात नहीं सुनी गई. अन्यथा कोई भी अपने परिजनों के अंतिम संस्कार में देरी नहीं करना चाहता'. चौधरी ने बिल में संशोधन की मांग करते हुए कहा, 'इसमें पीड़ित पक्ष की सुनवाई का प्रावधान होना चाहिए. पीड़ित परिवार की शिकायतों को दर्ज करने के लिए विधेयक में प्रावधान किया जाना चाहिए'.
कांग्रेस के बीबी बत्रा ने 'व्यक्तिगत ज्ञान' शब्द पर जताई आपत्ति
कांग्रेस के बीबी बत्रा ने विधेयक की धारा 6 (1) का हवाला दिया और इसमें इस्तेमाल किए गए वाक्य 'पर्सन नॉलेज' पर आपत्ति जताई. इस धारा में लिखा है, 'जब भी, पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को अपने विवेक के आधार पर (विधेयक में इसके लिए बेस्ड ऑन पर्सनल नॉलेज वाक्य का प्रयोग किया गया है) या लिखित रूप में दर्ज शिकायत के आधार पर यह विश्वास करने का कारण हो कि किसी शव का उपयोग परिवार के किसी सदस्य या व्यक्तियों के समूह द्वारा विरोध प्रदर्शन करने के लिए किए जाने की संभावना है या ऐसा किया जा रहा है, तो वह शव को अपने कब्जे में ले लेगा और तुरंत इस आशय की सूचना जिला पुलिस अधीक्षक और संबंधित कार्यकारी मजिस्ट्रेट को भेजेगा'.
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कांग्रेस विधायक बत्रा ने पूछा- एक जांच अधिकारी का 'व्यक्तिगत ज्ञान' क्या है? उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को पीड़ित पक्ष को अपील के लिए एक मौका देना चाहिए और 'व्यक्तिगत ज्ञान..' शब्द को हटा देना चाहिए. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विधेयक पर चर्चा के दौरान बोलते हुए कहा कि अगर किसी शव को कुछ समय के लिए सुरक्षित रखना है, जैसे किसी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो जाती है, तो इसके लिए कानूनी प्रावधान पहले से ही मौजूद हैं. हरियाणा कैबिनेट ने पिछले महीने उस विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी थी जिसमें किसी मृत व्यक्ति के शरीर के साथ किसी भी विरोध प्रदर्शन पर रोक लगाने का प्रावधान है. हरियाणा सरकार का कहना है कि इस विधेयक का उद्देश्य 'मृतकों की गरिमा' सुनिश्चित करना है.
शव रखकर विरोध प्रदर्शन करने पर रोक लगाता है यह विधेयक
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, 'यदि कोई किसी शव के साथ विरोध प्रदर्शन करता है और मांगों को पूरा करने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाने की कोशिश करता है तो यह विधेयक उस स्थिति से निपटने के लिए लाया गया है. यह विधेयक केवल हरियाणा ही नहीं ला रहा है. राजस्थान सरकार ने भी इसी तरह के शब्दों का उपयोग करके ऐसे विधेयक को पारित किया है. और यह तब पारित हुआ जब कांग्रेस सरकार राज्य में शासन कर रही थी'. कांग्रेस विधायक जगबीर मलिक ने विधेयक के प्रावधानों का जिक्र किया और बहादुरगढ़ में इनेलो राज्य इकाई के अध्यक्ष नफे सिंह राठी की हत्या का भी जिक्र किया.
मलिक ने सवाल किया कि क्या कोई परिवार अपना आक्रोश भी व्यक्त नहीं कर सकता और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग भी नहीं कर सकता? राज्य के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण विधेयक है क्योंकि कुछ लोग कई दिनों तक शवों के साथ विरोध प्रदर्शन करते हैं. उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में विरोध प्रदर्शन करने के कई अन्य तरीके हैं और यही कारण है कि विधेयक में प्रदर्शन के बजाय प्रतिवाद का उल्लेख किया गया है. उन्होंने कहा, हालांकि, चूंकि कुछ सदस्यों ने कुछ शब्दों में बदलाव का सुझाव दिया है, इसलिए मैं कल तक के लिए विधेयक वापस ले रहा हूं.