दिल्ली सामूहिक बलात्कार कांड के मद्देनजर किशोर वय के लिए उम्र सीमा कम करने की मांग का समर्थन करते हुए मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि आयु के मुद्दे पर निर्णय करते समय अपराध की प्रकृति को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
शीला दीक्षित ने कहा कि आप किशोर हों या ना हों, यदि आप उस प्रकृति का अपराध करने में सक्षम हैं, तो मुझे लगता है कि मूल्यांकन मुद्दे के निर्धारण में मदद कर सकता है.
दिल्ली में 16 दिसंबर को हुई सामूहिक बलात्कार की घटना के छठे आरोपी को किशोर अदालत ने पिछले सप्ताह किशोर करार दिया था, जिसके बाद से ही किशोर वय की उम्र सीमा को 18 वर्ष से घटाकर 16 वर्ष करने की मांग उठ रही है. दिल्ली पुलिस ने अपने आरोपपत्र में छठे आरोपी को 'सबसे बर्बर' कहा है.
किशोर वय की उम्र सीमा घटना की सामूहिक बलात्कार की शिकार लड़की के परिवार की मांग का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने आश्चर्य जताया कि क्या सिर्फ किशोर वय का अपराधी होने के कारण उसे माफ कर देना उचित होगा.
शीला ने कहा, ‘माता-पिता आरोपी के लिए सजा की मांग कर रहे हैं. वे ऐसा क्या कह रहे हैं कि घटना में शामिल सभी लोगों में से वह (किशोर) सबसे ज्यादा हिंसक था. क्या हम सिर्फ उसके किशोर वय के कारण उसे माफी देना कबूल कर सकते हैं. उसने जो किया उसमें ऐसा क्या था जो एक वयस्क नहीं कर सकता.’ किशोर अदालत के इस फैसले के कारण आरोपी किशोर इस वर्ष के चार जून को 18 वर्ष का होने के बाद रिहा हो सकता है.
पीड़िता के परिवार ने किशोर अदालत के निर्णय पर नाखुशी जाहिर की है और कहा है कि वे इस फैसले को अदालत में चुनौती देंगे ताकि उस आरोपी को मौत की सजा मिल सके. पीड़िता के भाई का कहना है, ‘परिवार छठे आरोपी के लिए मौत की सजा से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेगी.’ मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार को इसके विभिन्न पहलुओं की बारीकी से जांच करने के बाद निर्णय लेना होगा.
उन्होंने कहा, ‘बहस चल रही है कि यदि एक किशोर ऐसा अपराध कर सकता है तो क्या वह किशोर ही है? दूसरी बहस है कि एक किशोर को तभी निर्दोष माना जा सकता है जब उसे पता ना हो कि वह क्या कर रहा है.’ पुलिस के काम की आलोचक रहीं और सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद दिल्ली के पुलिस आयुक्त नीरज कुमार के इस्तीफे की मांग कर चुकीं शीला ने कहा कि जनता को पुलिस से डरने के बजाय उसमें विश्वास होना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘जनता में पुलिस के प्रति विश्वास और उसे जनता का मददगार मानने की भावना उत्पन्न होनी चाहिए. पुलिस का प्रशिक्षण, उनकी भाषा और उनके काम आदि में सुधार होनी चाहिए. यह समग्र दृष्टिकोण है ताकि लोग डरने के स्थान पर विश्वास करें.’ मुख्यमंत्री ने महिला सुरक्षा पर बेहतर रिपोर्ट देने के लिए न्यायमूर्ति वर्मा समिति की प्रशंसा भी की.