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सरकार की कबाड़ वाहनों के स्क्रैपिंग नीति 1 अप्रैल से लागू, कबाड़ हो जाएंगे 9 लाख वाहन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर पर्यावरण में सुधार के लिए अपनाए जा रहे अनेक उपायों में से इस उपाय के तहत करीब नौ लाख जर्जर वाहनों को सुरक्षित विधि से नष्ट किया जाना आरंभ हो गया है. हालांकि इन नौ लाख वाहनों का निपटान होते होते वाहनों की संख्या बढ़ती भी जाएगी.

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कबाड़ हो जाएंगे 9 लाख वाहन
कबाड़ हो जाएंगे 9 लाख वाहन

केंद्र सरकार की कबाड़ वाहनों की निपटाने की नई नीति पर अमल शनिवार यानी पहली अप्रैल से शुरू हो गया. इसके तहत पंद्रह साल पुराने सभी सरकारी वाहनों को स्क्रैप यानी कबाड़ में निपटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई. इसमें 15 साल का जीवन पूरा करने के बाद भी घिसट रही या फिर डिपो में खड़ी परिवहन निगम की खटारा हो चुकी बसें और सरकारी वाहन भी शामिल हैं. इनके अलावा दशकों पहले जब्त शुदा वाहन भी स्क्रैप किए जा रहे हैं. इसके शिकंजे से फिलहाल केवल आंतरिक और सीमावर्ती सुरक्षा में लगे वाहनों के साथ साथ कानून व्यवस्था और आपात व्यवस्था में जुटे वाहनों को ही रियायत दी गई है. वैकल्पिक समुचित इंतजाम होने पर उनका भी नंबर आएगा. इस स्क्रैप पॉलिसी के लागू होने के बाद करीब नौ लाख खटारा और अनफिट वाहन कबाड़ हो जाएंगे. इन वाहनों की जगह पर नए वाहनों को सरकारी बेड़े में शामिल किया जाएगा.

फिलहाल तो सभी यात्री और माल ढोने वाले भारी वाहनों की ऑटोमेटेड टेस्टिंग सेंटरों पर अनिवार्य फिटनेस जांच पर अमल को अक्टूबर 2024 तक टाल दिया है. पहले ये अनिवार्यता पहली अप्रैल से ही लागू होनी थी. 

वर्ष 2023-24 के तहत 3000 करोड़ रुपए का फंड तैयार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर पर्यावरण में सुधार के लिए अपनाए जा रहे अनेक उपायों में से इस उपाय के तहत करीब नौ लाख जर्जर वाहनों को सुरक्षित विधि से नष्ट किया जाना आरंभ हो गया है. हालांकि इन नौ लाख वाहनों का निपटान होते होते वाहनों की संख्या बढ़ती भी जाएगी. क्योंकि तब तक पंद्रह साल की जीवन मियाद पूरी कर चुके वाहनों की अगली खेप भी सामने खड़ी होगी. इसकी मुख्य वजह देश भर में वाहन स्क्रैप करने वाले रजिस्टर्ड केंद्रों की संख्या सीमित है और उनके मुकाबले कबाड़ा वाहनों की तादाद दस गुना से भी ज्यादा. केंद्र सरकार ने इस चुनौती से निपटने के लिए राज्य सरकारों को वर्ष 2023-24 के तहत 3000 करोड़ रुपए का फंड भी तैयार किया है. इसके अलावा सरकार ने आम वाहन खरीदार के हित को भी ध्यान में रखा है.

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अगर आपकी डीजल वाली कार 10 साल या फिर पेट्रोल वाले वाहन 15 साल से चालू हैं  तो आप इन पुराने वाहनों को कबाड़ यानी स्क्रैप में देकर इस पॉलिसी के तहत नई गाड़ी खरीदते समय मोटी बचत कर सकते हैं.

रजिस्टर्ड स्क्रैपिंग सेंटर में अपने व्हीकल को स्क्रैप के लिए दे कर उसका वीडीओ वाला सर्टिफिकेट पेश करते हैं तो आपको नए व्हीकल के एक्स शोरूम कीमत का लगभग 4 से 6 प्रतिशत धन स्क्रैप वैल्यू के तौर पर वापस मिल जाएगा. इसके अलावा नया वाहन खरीदने पर रजिस्ट्रेशन फीस में भी छूट मिलेगी. मोटर व्हीकल टैक्स में भी रियायत मिलेगी.

इतना ही नहीं सरकार ने ऑटो कंपनियों को भी कहा है कि स्क्रैप पॉलिसी के तहत बिकने वाले नए वाहनों के खरीदार ग्राहकों को 5 प्रतिशत छूट भी दी जाए. पर्यावरण भी खुश और पॉकेट भी खुश.
 

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