दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भूमि अभिलेखों के प्रबंधन, अतिक्रमणों का पता लगाने और दिल्ली भर में अनधिकृत निर्माणों की पहचान करने के लिए डिजाइन की गई ड्रोन सर्वेक्षण शुरू करने में हुई देरी को लेकर एक्शन करना शुरू कर दिया है. दरअसल, इस साल 6 जून, 2 अगस्त और 16 अगस्त को आयोजित उच्च स्तरीय बैठकों के बावजूद परियोजना, जिसे एक सप्ताह के भीतर अंतिम रूप दिया जाना था, लेकिन इसमें कोई प्रगति नहीं हुई है. इसको लेकर अब एक्शन हुआ है.
दिल्ली के उपराज्यपाल के प्रधान सचिव द्वारा ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के उपाध्यक्ष को संबोधित करते हुए एक पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि उपराज्यपाल ने भूमि प्रबंधन आयुक्त विकास सिंह को उनके मूल कैडर में वापस भेजने की संस्तुति की है. इस प्रक्रिया को संभालने में सिंह के रवैये को लापरवाही भरा बताया गया है, तथा उपराज्यपाल कार्यालय ने इस महत्वपूर्ण परियोजना को आगे बढ़ाने में उनकी ओर से गंभीरता और परिश्रम की कमी को देखा है.
बता दें कि दिल्ली की जमीनों को लेकर 2019 में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) हुआ था, जिसमें डीडीए, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और सर्वे ऑफ इंडिया (एसओआई) बतौर सहयोगी शामिल थे. लेकिन एमओयू पर दस्तखत होने के लगभग 5 साल बाद भी ड्रोन सर्वे शुरू नहीं हो पाया और ये पाया गया कि अधिकारी लगातार इस प्रोजेक्ट में अड़ंगा लगा रहे हैं. इस गतिरोध ने राजधानी में लैंड मैनेजमेंट के काम में रुकावट आ गई और तब जाकर उपराज्यपाल ने इसपर संज्ञान लिया.
एलजी के कार्यालय ने इस बात पर जोर दिया कि बेहतर भूमि प्रशासन के लिए उन्नत तकनीकों को अपनाना सभी विभागों के लिए प्राथमिकता हो. भूमि सर्वेक्षण के लिए ड्रोन का उपयोग एक अत्याधुनिक दृष्टिकोण है जो सटीक तरीके से ज़मीन के मैनेजमेंट को लेकर अचूक तकनीक है, लेकिन नौकरशाही की वज़ह से इस काम में न सिर्फ देरी हो रही थी बल्कि इसकी प्रगति पूरी तरह से रुकी हुई है.