बिजवासन से विधायक कर्नल देवेंद्र सहरावत को पटियाला हाउस कोर्ट ने सोमवार को रिप्रेजेंटेटिव ऑफ पीपल एक्ट को तोड़ने का दोषी पाया है. इस नियम के मुताबिक चुनावी पम्पलेट और पोस्टर में प्रिंटर या पब्लिशर का नाम पता होना अनिवार्य है, लेकिन विधायक सेहरावत ने 2013 में अपने चुनाव प्रचार में लगाए जा रहे पम्पलेट में ऐसा नहीं किया. इस एक्ट में दोषी को छह महीने की सजा और 2 हजार तक के जुर्माने का प्रावधान है. जल्द ही पटियाला कोर्ट इस मामले मे सजा का ऐलान करेगी.
एडिशनल मैट्रोपॉलिटन मैजिट्रेट समर विशाल ने अपना आदेश सुनाते हुए कहा कि अभियोजन अपना पक्ष साबित करने में पूरी तरह से कामयाब रहा है. सहरावत विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे और उन्हें कानून के बारे में जानकारी होनी चाहिए थी. आरोपी ने नियमों को दरकिनार किया और किसी भी ऐसे व्यक्ति से कोर्ट नियमों को दरकिनार करने की उम्मीद नहीं कर सकता जो व्यक्ति खुद कानून निर्माता बनने जा रहा है.
दिल्ली पुलिस के हवलदार रामअवतार इस मामले में शिकायतकर्ता रहे है. आरोप है कि 2013 विधानसभा चुनाव में देवेंद्र सहरावत बिजवासन से आप पार्टी के प्रत्याशी थे. 7 अक्टूबर को वह अपने कुछ समर्थकों के साथ चुनावी पम्पलेट लगावा रहे थे. इन पम्पलेट में प्रिंटर पब्लिशर का नाम पता नहीं था. वहीं, सहरावत की दलीलें थीं कि पुलिस ने मामले की जांच से पहले कोर्ट की अनुमति नहीं ली. उन्हें राजनीतिक दबाब में इस मामले में झूठा फंसाया जा रहा है और वो पूरी तरह से बेकसूर हैं.
अब जब कोर्ट ने आप विधायक को दोषी करार दिया है, अब कोर्ट उनको सजा सुनाएगी और जुर्माना लगाएगी . चुनावों में नियमों के पालन ना होने के कई मामले आम आदमी पार्टी के विधायकों पर चल रहे हैं. अभी हाल ही में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत को भी पटियाला हाउस कोर्ट ने बरी किया है.