छत्तीसगढ़ में फिर एक आईएएस अफसर ने बगावती तेवर अपनाये हैं. साल 2012 बैच के आईएएस अधिकारी शिव अनंत तायल ने बीजेपी के पितृ पुरुष पंडित दीनदयाल उपाध्याय की रीतिनीति पर ही सवाल उठाए हैं. वो भी उस वक्त जब छत्तीसगढ़ में ही नहीं पूरे देश में पंडित दीनदयाल उपाद्याय को उनके कार्यों के लिए याद किया जा रहा है.
मामला संज्ञान में आते ही राज्य सरकार ने इस आईएएस अधिकारी को मंत्रालय में अटैच कर दिया है. शिव अनंत तायल वर्तमान में कांकेर के जिला पंचायत के CEO थे. आईएएस अफसरों के बेलगाम बोल लेकर राज्य सरकार पहले ही दिशा निर्देश जारी कर चुकी है. इसमें प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों से कहा गया है कि वो सोशल मीडिया में ऐसे कोई तर्कवितर्क या विचार ना व्यक्त करे जो विवाद को जन्म दे. चूंकि वे सरकारी पद पर तैनात है लिहाजा मर्यादा में रह कर अपना काम काज संपन्न करे. लेकिन इन निर्देशों को भी अफसरों ने डस्टबिन में डाल दिया है.
छ माह पहले इस तायल की नियुक्ति कांकेर जिला पंचायत में CEO के पद पर हुई थी. अपने फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने बतौर लेखक या विचारक के रूप में ऐसा कोई काम नहीं किया कि उनकी विचारधारा को समझा जा सके. वेबसाइटों में ढूंढने पर एकात्म मानवतावाद पर उनके सिर्फ चार लेक्चर मिलते है, वो भी पहले से स्थापित आइडिया थे. अपनी इस पोस्ट में इस अफसर ने बीजेपी के पितृ पुरुष की विचारधारा पर ना केवल संदेह जाहिर किया , बल्कि सवालियां निशान भी लगाए.
एक और आईएएस अफसर अलेक्स पॉल मेनन ने हाल ही में अपनी फेसबुक पोस्ट में न्यायपालिका को कटघरे में खड़ा किया था. ये मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक और आईएएस अफसर अपने विचारों को लेकर विवादों में घिर गए. हालांकि राज्य शासन ने मेनन को नोटिस जारी कर उनसे सफाई मांगी थी. मेनन ने विवाद को टूल ना देते हुए सरकार से क्षमा मांग ली. अब तायल भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर की गयी अपनी टिप्पणी को लेकर माफी मांग रहे है. हालांकि सरकार ने उन्हें न नोटिस दिया और न ही उनसे मांगी. बल्कि सीधे कार्यवाही कर उन्हें मंत्रालय के वित्त विभाग में अटैच कर दिया.
छत्तीसगढ़ में आधे दर्जन से ज्यादा आईएएस अफसरों ने कभी बीजेपी के नेताओं की विचारधाराओं को लेकर तो कभी सरकार के काम काज पर ऐसी टिप्पणी की है कि राजनैतिक गलियारा गरमाया. तायल की टिप्पणी और उन पर हुई कार्रवाई को लेकर कांग्रेस राज्य की बीजेपी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है. उसके मुताबिक राज्य में मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इमरजेंसी जैसे हालात पैदा कर दिए है. इसमें विचारों की अभिव्यक्ति तक में पाबंदी लगा दी गई है.