2019 लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति तबके के लोगों को अपने पाले में करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं. इसी क्रम में नीतीश कुमार ने शनिवार को 12 जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने को लेकर केंद्र सरकार से अनुशंसा की.
जानकारी के मुताबिक नीतीश कुमार के निर्देश पर राज्य सरकार में मल्लाह, निषाद, बिंद, बेलदार, चौये, तीतर, खुलवट, सुरहिया, गोढ़ी, वनपर, केवट और नोनिया जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए अनुशंसा एथनोग्राफी अध्ययन रिपोर्ट के साथ जनजातीय कार्यालय मंत्रालय, केंद्र सरकार को भेज दिया है.
नीतीश कुमार ने इन जातियों को जब अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की केंद्र से बात की थी तो केंद्र सरकार ने उनसे इन जातियों की एथनोग्राफी अध्ययन रिपोर्ट के साथ अपनी अनुशंसा भेजने के लिए कहा था. केंद्र सरकार की मांग पर पिछले दिनों बिहार सरकार ने अनुग्रह नारायण सिंह समाज अध्ययन संस्थान, पटना से इन सभी जातियों के संबंध में एथनोग्राफी अध्ययन कराया था.
गौरतलब है, पिछले दिनों नीतीश सरकार में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्र जो UPSC या फिर BPSC की प्रारंभिक परीक्षा पास करते हैं उनको प्रोत्साहित करने के लिए 1 लाख रुपये और 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि देने का भी ऐलान किया है. बिहार सरकार का यह कदम भी नीतीश कुमार द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वोटरों को लुभाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
इसी बीच अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कर्मचारियों के लिए प्रमोशन में आरक्षण को लेकर बिहार सरकार सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने जा रही है. गौरतलब है, नीतीश कुमार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने के पक्षधर हैं.
5 जून को सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरीके से केंद्र सरकार को राहत देते हुए कहा था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने के मामले में जब तक अंतिम फैसला संविधान पीठ द्वारा नहीं सुनाया जाता है तब तक वह चाहे तो इन कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण दे सकती है. सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले के आलोक में बिहार सरकार में भी बिहार में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का मन बनाया है.