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जातिगत सर्वे रिपोर्ट पर भिड़ गए लालू यादव और उपेंद्र कुशवाहा, सोशल मीडिया पर छिड़ी जुबानी जंग

बिहार में जातिगत सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद से लगातार सियासी हमले देखने को मिल रहे है. अब इसी मुद्दे को लेकर राजद सुप्रीमो और राष्ट्रीय लोक जनता दल सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा आपस में भिड़ गए हैं. लालू के पोस्ट पर उपेंद्र ने टिप्पणी की है और सवाल पूछा है. उपेंद्र ने कहा, बिहार की जनता ने लालू प्रसाद को भी डॉक्टर की कुर्सी पर बैठाया था तब आपकी फीस नौकरी के बदले जमीन थी.

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आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के पोस्ट पर उपेंद्र कुशवाहा ने जवाब दिया है.
आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के पोस्ट पर उपेंद्र कुशवाहा ने जवाब दिया है.

बिहार में जातिगत सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद से लगातार सियासी बवाल मचा है. अब इसी मुद्दे को लेकर राजद सुप्रीमो और राष्ट्रीय लोक जनता दल सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा आपस में भिड़ गए हैं. दरअसल, सोमवार को जातीय जनगणना के पक्ष में लालू यादव ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा, जिसमें उन्होंने कहा, कैंसर का इलाज सर दर्द की दवा खाने से नहीं होगा. इस पर उपेंद्र ने पलटवार किया और लालू परिवार पर तंज कसा.

लालू ने सोशल मीडिया पर लिखा, जातिगत जनगणना के विरोध में जो लोग हैं- वह इंसानियत, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक बराबरी और समानुपातिक प्रतिनिधित्व के खिलाफ है. ऐसे लोगों में रत्ती भर भी न्यायिक चरित्र नहीं होता है. किसी भी तरह की असमानता और गैर बराबरी के ऐसे समर्थक अन्यायी प्रवृत्ति के होते हैं जो जन्म से लेकर मृत्यु तक सिर्फ और सिर्फ जन्मजात जातीय श्रेष्ठा के आधार और दंभ पर दूसरों का हक खाकर अपनी कथित श्रेष्ठा को बरकरार रखना चाहते हैं.

'इलाज के नाम पर मलाई...'

मंगलवार को लालू के इसी तर्क का उपेंद्र कुशवाहा ने जवाब दिया. उन्होंने सोशल मीडिया पर लालू से सवाल पूछा, भले ही कैंसर के इलाज के लिए कैंसर की दवा खाना जरूरी है, मगर इसका मतलब यह नहीं होता है कि इलाज के नाम पर मलाई घूम फिर कर लालू परिवार ही खाए और बाकी लोगों को मट्ठा भी नसीब ना हो.

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'आपकी फीस नौकरी के बदले जमीन थी...'

पिछड़ी अति पिछड़े दलित उपेंद्र कुशवाहा ने लिखा, यह सच है कि कैंसर के इलाज के लिए कैंसर की दवा ही चाहिए लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि इलाज के नाम पर मलाई आप और आपका परिवार खाए और बाकी लोगों को मट्ठा भी नसीब ना हो. कैंसर के इलाज के लिए बिहार की जनता ने लालू प्रसाद को भी डॉक्टर की कुर्सी पर बैठाया था तब आपकी फीस नौकरी के बदले जमीन थी. 

'आपके परिवार से बाहर भी दुनिया है...'

उपेंद्र ने आगे कहा, लालू प्रसाद को कम से कम न्यायिक चरित्र की बात नहीं करनी चाहिए और यह उन्हें शोभा नहीं देता है. अगला डॉक्टर भी आप ही के परिवार से बाहर आपको नहीं दिखाई देता. आपके परिवार से बाहर भी बहुत बड़ी दुनिया है.

बिहार में 27 फीसदी पिछड़ा वर्ग

बता दें कि अक्टूबर की शुरुआत में नीतीश सरकार ने राज्य के जाति आधारित सर्वे के आंकड़े जारी किए थे. बिहार जाति आधारित गणना में कुल आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 बताई गई है. इसमें 81.99 प्रतिशत हिंदू और 17.70 फीसदी मुसलमान हैं. पिछड़ा वर्ग के पास जनगणना का 27 फीसदी हिस्सा है और अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आबादी 36 फीसदी है.

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