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ऋषभ पंत की होगी लिगामेंट सर्जरी, जानें कितनी है मुश्किल, हो पाएगी रिकवरी?

हाल ही में कार एक्सीडेंट का शिकार हुए क्रिकेटर ऋषभ पंत की घुटनों की लिगामेंट सर्जरी की जाएगी. उन्हें पूरी तरह ठीक होने में हालांकि कई महीनों का समय लग सकता है लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि लिगामेंट सर्जरी के बाद उन्हें क्रिकेट खेलने में कोई परेशानी नहीं होगी. आइए जानते हैं कि लिगामेंट सर्जरी क्या है जिसके बाद घुटने टूटने के बाद भी व्यक्ति कैसे पहले की तरह दौड़-भाग सकता है.

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ऋषभ पंत की होगी लिगामेंट सर्जरी
ऋषभ पंत की होगी लिगामेंट सर्जरी

कुछ दिन पहले भीषण कार हादसे का शिकार हुए भारतीय क्रिकेट टीम के विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत (Rishabh Pant) को इलाज के लिए मुंबई (Mumbai) शिफ्ट किया गया है जहां उनकी लिगामेंट सर्जरी होनी है. दरअसल छह दिन पहले दिल्ली-देहरादून हाईवे पर उनकी कार का ऐक्सीडेंट हो गया था जिसमें वो बुरी तरह घायल हो गए थे. पहले उनका देहरादून में ही इलाज किया जा रहा था लेकिन अब उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में शिफ्ट किया गया है.

ऋषभ पंत की हेल्थ पर BCCI ने दिया ये अपडेट

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज की हेल्थ के बारे में जानकारी देते हुए बताया था कि उनके एक घुटने की तत्काल सर्जरी होनी है इसलिए उन्हें मुंबई लाया गया है.

बीसीसीआई के सचिव जय शाह की तरफ से जारी एक बयान के अनुसार, पंत को कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. यहां ऋषभ के घुटने की सर्जरी होगी और आगे का इलाज किया जाएगा. उनके ठीक होने और रिहैबिलिटेशन के दौरान बीसीसीआई की मेडिकल टीम उनकी निगरानी करती रहेगी. बोर्ड ऋषभ की रिकवरी प्रक्रिया में सहायता और तेजी लाने के लिए हर संभव प्रयास करेगा और इस अवधि के दौरान उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करेगा. 

ऋषभ पंत की होगी लिगामेंट सर्जरी

बताया जा रहा है कि पंत के शरीर के कुछ हिस्सों में अभी भी दर्द और सूजन है. इसलिए उनका इलाज अब मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में हो रहा है और वहीं उनके घुटने की लिगामेंट की सर्जरी होगी. स्थिति को देखते हुए पंत को ठीक होने में छह महीने से अधिक समय लग सकता है और उसके बाद ही उनकी पिच पर वापसी मुमकिन है.
 
बयान में यह भी बताया गया कि ऋषभ की तत्काल लिगामेंट (हड्डियों को जोड़ने वाले टिश्यू) सर्जरी होनी है क्योंकि उनके घुटनों में चोट आई है. बतौर स्पोर्ट्सपर्सन उनके लिए पूरी तरह से फिट होना बेहद जरूरी है. आमतौर पर किसी भी हादसे में हड्डियों में चोट आने की वजह से लिगामेंट को नुकसान पहुंचता है. लेकिन लिगामेंट सर्जरी के बाद व्यक्ति पहले की तरह ही दौड़-भाग और खेल सकता है. 

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क्या होता है लिगामेंट और कैसे करता है काम?
  
लिगामेंट टिश्यू ( ऊतकों) के स्ट्रॉन्ग बैंड (एक तरह से रस्सीनुमा तंतुओं का समूह) होते हैं जो एक हड्डी को दूसरे से जोड़ते हैं. इनकी वजह से ही हड्डियों के जोड़ ठीक तरह से काम कर पाते हैं लेकिन किसी छोटे या बड़े हादसे की वजह से अगर इनमें जरूरत से ज्यादा खिंचाव या कोई दबाव आता है तो यह फटने लगते हैं. इस स्थिति को लिगामेंट टियर कहते हैं.

लिगामेंट इंजरी के तीन स्तर होते हैं. ग्रेड 1 (हल्का लिगामेंट टियर),  ग्रेड 2 (मीडियम लिगामेंट टियर) और ग्रेड 3 (कंप्लीट लिगामेंट टियर) यानी जिसमें लिगामेंट पूरी तरह से बर्बाद हो चुका होता है. 

यह तीन तरह के होते हैं, एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट (ACL),पोस्टीरियर क्रूसिएट लिगामेंट (PCL),लेटरल और मेडिकल कोलेटरल लिगामेंट्स (LCL, MCL)  जो सभी घुटनों के सुचारू रूप से काम करने के लिए जिम्मेदार होते हैं. 

आसान भाषा में बताएं तो शरीर में घुटने के ऊपर की तरफ फीमर और नीचे टिबिया नामक हड्डियां होती हैं जिनसे घुटने का जोड़ बनता है. फीमर और टिबिया को दो लिगामेंट (एनटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट और पोस्टेरियर क्रूसिएट लिगामेंट) आपस में बांध कर रखते हैं और घुटनों को स्टेबल रखने में मदद करते हैं. इसके अलावा साइड में यानी कि घुटने के दोनों तरफ कोलेटेरल और मीडियल कोलेटेरल लिगामेंट और लेटेरल कोलेटरल लिगामेंट होते हैं. इनका कार्य भी क्रूसिएट की तरह दोनों हड्डियों को बांध कर रखना है.

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कैसे पता करें कि लिगामेंट को लगी है चोट 
किसी हादसे में किसी व्यक्ति के लिगामेंट को नुकसान पहुंचा है, यह जानने के लिए डॉक्टर एक्स-रे या एमआरआई की मदद से जांच करता है. दर्द, सूजन, चलने में दिक्कत के आधार पर लिगामेंट की जांच की जाती है और उसी के बाद इलाज किया जाता है.

कई बार एक्स-रे में एसीएल जैसे सॉफ्ट टिश्यूस एक्स-रे में विजिबल नहीं होते हैं. वहीं. एमआरआई के दौरान ऊतक और हड्डी में हुए दोनों नुकसान विजिबल होते हैं. इसलिए कई बार डॉक्टर एक्स-रे के बाद मरीजों का एमआरआई करवाते हैं. 

कैसे होता है इसका इलाज

लिगामेंट टियर के लिए इलाज उसकी गंभीरता पर निर्भर करता है. अगर नुकसान हल्का है जैसे टखने में आई मामूली मोच जो आराम करके या उस जगह पर आइसिंग करके ठीक हो सकती है. लेकिन अगर नुकसान ज्यादा है तो उसका इलाज लंबा होता है. इसके भी तीन स्तर होते हैं.

ग्रेड 1: इसमें मामूली और हल्की मोच का इलाज आराम करके, बर्फ, दवा और फिजियोथेरेपी के माध्यम से किया जाता है.
ग्रेड 2: लिगामेंट के आंशिक रूप से टूटने की कंडीशन में भी आराम, बर्फ, दवा, फिजियोथेरेपी से इलाज किया जाता है.
ग्रेड 3: लिगामेंट अगर पूरी तरह से फट गया तो उसमें इलाज के लिए कई स्तर की प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं जिसमें लिगामेंट के रिकन्स्ट्रक्शन के लिए ऑपरेशन भी शामिल है. 

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सर्जरी के दौरान क्या होता है?
इस तरह की सर्जरी आर्थ्रोस्कोपिक तकनीक के जरिए की जाती है. आमतौर पर इसमें शरीर से किसी हिस्से से हेल्दी स्किन काटकर निकाली जाती है और उसे जोड़ों में प्लांट किया जाता है. 

इसके लिए पहले धातु की एक पतली नली का एक सिरा जोड़ के अंदर डाला जाता है जिसमें लगे लेंस की मदद से डॉक्टर अंदर की स्थिति को साफ-साफ देख पाते हैं. इसमें आर्थोस्कोप के जरिए जो भी लिगामेंट टूट गया है, उसे रिपेयर कर दिया जाता है या फिर उसका दोबारा रिकंस्ट्रक्शन कर दिया जाता है. आर्थोस्कोपिक विधि ने टूटे-फूटे घुटनों की सर्जरी को आसान बना दिया है.

आमतौर पर 45 साल से कम उम्र के लोगों में इस सर्जरी के सफल होने की ज्यादा संभावना होती है. इसके अलावा, ऐसे लोग जैसे कि खिलाड़ी, जिनका काम ही ऐसा है कि उनकी मांसपेशियों और जोड़ों पर दबाव पड़ना ही है तो ऐसे लोगों को भी तत्काल इलाज की जरूरत होती है. 

यह सर्जरी एथलीटों के बीच आम हैं. यह चोट लगने के बाद घुटने के जोड़ में मूवमेंट और स्टेबिलिटी को फिर से पहले की तरह सामान्य करने में मदद कर सकती है.

लिगामेंट सर्जरी में रिहैबिलिटेशन का होता है अहम किरदार

सर्जरी के बाद मरीज को रिहैबिलिटेशन प्रॉसेस ( पुनर्वास प्रक्रिया) से गुजरना होता है जो बेहद जरूरी है. इसका मकसद रोगी को तत्काल ताकत देना और अपने जोड़ पर नियंत्रण बनाने में मदद करना है. इसमें मरीज की सर्जरी के बाद पुनर्वास प्रक्रिया के जरिए जोड़ों की मूवमेंट बढ़ाने पर काम किया जाता है और फिर धीरे-धीरे आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करने की कोशिश की जाती है.

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इस प्रक्रिया से घुटने को स्थिर करने में मदद मिलती है. इस प्रक्रिया को पूरा होने में छह या उससे अधिक महीने भी लग सकते हैं. अलग-अलग लिगामेंट टीयर्स को ठीक करने और ठीक से काम करने के लिए अलग-अलग तकनीकों और पुनर्वास प्रक्रियाओं की जरूरत होती है. 


 

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