सोचिए… हम दिनभर में जितना पानी पीते हैं.चाय, कॉफी, जूस, सोडा.उसका बोझ किसी RO सिस्टम पर नहीं बल्कि हमारी किडनी पर पड़ता है. शरीर के इस शांत और मेहनती अंग को हम कभी महसूस नहीं करते, न इसकी आवाज सुनते हैं, लेकिन यह हर दिन ऐसा काम करती है जिसे समझकर आप दंग रह जाएंगे. क्या आपने कभी सोचा है कि किडनी आपका खून तो साफ करती हैं, लेकिन रोजाना कुल कितना खून फिल्टर करती होंगी? अगर नहीं सोचा तो आज हम आपको बताएंगे.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज के मुताबिक, स्वस्थ किडनी हर मिनट लगभग 120 मिलिलीटर (लगभग आधा कप) खून फिल्टर करती हैं जिससे कुल रोजाना 150-180 लीटर खून फिल्टर होता है. इस फिल्टर खून में से लगभग 1 से 2 लीटर पेशाब के रूप में शरीर से बाहर निकलता है.
यह एक ऐसी मशीन की तरह काम करती है जो हमारे अंदर फिट है और 24 घंटे बिना शिकायत, बिना ब्रेक यह काम करती रहती है.
मानकर चलिए आपके घर में लगी RO मशीन दिनभर में 10-20 लीटर पानी भी साफ कर दे तो हम उसे हाई कैपेसिटी बोलते हैं, जबकि किडनी उससे 10 गुना नहीं, 15-18 गुना ज्यादा खून साफ करती है.
किडनी के अंदर ग्लोमेरुली नाम के छोटे-छोटे फिल्टर होते हैं जो खून की सफाई का काम करते हैं. कुल मिलाकर किडनी में लगभग 10 लाख नेफ्रॉन होते हैं जो इस प्रक्रिया को संभव बनाते हैं.
ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट (GFR) से किडनी की कार्यक्षमता को मापा जाता है जो सामान्य स्वस्थ व्यक्ति में लगभग 90 से 130 मिलीलीटर प्रति मिनट होती है. रिपोर्ट के अनुसार, किडनी लगातार शरीर को स्वस्थ रखती है और खून से विषाक्त पदार्थों को हटाती रहती है.
किडनी हमारे रीढ़ की हड्डी के दोनों ओर, पेट के पीछे होती हैं. बाईं किडनी थोड़ा ऊपर और दाईं थोड़ी नीचे.लिवर की वजह से. इन दोनों के अंदर नेफ्रॉन नाम के लाखों माइक्रो फ़िल्टर होते हैं. यही छोटे-छोटे फिल्टर हर सेकेंड खून को छानते हैं, टॉक्सिन निकालते हैं, एक्स्ट्रा नमक और पानी हटाते हैं और शरीर में मिनरल्स व इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बनाए रखते हैं.
यही वजह है कि जब किडनी थकती है तो शरीर थकता नहीं, पूरी लाइफ सपोर्ट सिस्टम हिल जाती है. शुरुआत में कोई दर्द नहीं होता, कोई तेज संकेत नहीं.बस सुबह आंखों के नीचे सूजन, यूरिन का झागदार होना, थकान, या कूल्हे/कमर के पास हल्का दर्द… और हम इसे अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं.
डॉक्टर इसे यूं ही किडनियों को साइलेंट किलर नहीं कहते क्योंकि जब तक आप किडनी की परेशानी को महसूस करते हैं, अक्सर चोट 70–90% तक हो चुकी होती है. मजेदार बात यह है कि हमारी किडनी इतनी स्मार्ट है कि अगर एक बंद भी हो जाए, तो दूसरी अकेले 100% काम सीख लेती है. लेकिन यह शरीर की ताकत नहीं, चेतावनी है.
अगर एक दिन यह ‘साइलेंट’ मशीन रुक गई तो बदले में मिलने वाला जीवन डायलिसिस और ट्रांसप्लांट के भरोसे पर टिक जाता है.