
केसरिया स्कार्फ पहन कर सेल्फी खिंचवाते कुछ छात्र-छात्राओं की फोटो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब शेयर हो रही है. ऐसा कहा जा रहा है कि ये उत्तरांचल यूनिवर्सिटी, उत्तराखंड के दीक्षांत समारोह की फोटो है जहां इस साल काले कोट-टोपी की जगह पारंपरिक कपड़ों के साथ भगवा रंग का स्कार्फ पहनकर डिग्री लेने की नई परंपरा शुरू की गई है.
एक फेसबुक यूजर ने ये फोटो शेयर करते हुए कैप्शन लिखा, “उतंराचल यूनिवर्सिटी, उत्तराखन्ड ने अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही परम्परा को खत्म करते हुये दीक्षांत समारोह मे इस वर्ष काले कोट और काले टोप की जगह सभी स्टूडेन्ट को भगवा पहनाकर डिग्री प्रदान की. उम्मीद है, इस परंपरा का पालन ज्यादा से ज्यादा हो. सनातन धर्म सर्वश्रेष्ठ है.”

इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि सोशल मीडिया पर जो फोटो शेयर हो रही है वो इस साल की नहीं बल्कि पिछले साल हुए उत्तरांचल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह की है. इस समारोह में सभी स्टूडेंट्स के भगवा स्कार्फ पहनने की बात गलत है. समारोह में स्टूडेंट्स ने कई अलग-अलग रंगों के स्कार्फ पहने थे.
फेसबुक से लेकर ट्विटर तक हर जगह ये फोटो चर्चा का विषय बनी हुई है.
एक ट्विटर यूजर ने उत्तरांचल यूनिवर्सिटी में सभी छात्रों के केसरिया स्कार्फ पहनने के दावे पर लिखा, “उत्तरांचल यूनिवर्सिटी उम्मीद करता हूं कि दूसरे यूनिवर्सिटीज भी इससे सीख लेकर इस परंपरा को आगे बढ़ाने का काम करेंगे.”
क्या है सच्चाई
उत्तरांचल यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के जरिये हमें पता चला कि 29 फरवरी 2020 को यहां का पहला दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया था. वेबसाइट पर लिखा है कि इस मौके पर छात्रों ने पारंपरिक भारतीय परिधान पहने थे. इस साल अब तक यहां दीक्षांत समारोह आयोजित ही नहीं हुआ है.
हमने डॉ राजेश बहुगुणा से संपर्क किया, जो पिछले साल हुए उत्तरांचल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह और उसकी प्लानिंग से जुड़ी कई बैठकों में मौजूद थे. डॉ राजेश उत्तरांचल यूनिवर्सिटी के देहरादून लॉ कॉलेज के डीन हैं.
उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि वायरल फोटो उत्तरांचल यूनिवर्सिटी के पहले दीक्षांत समारोह की ही है. साथ ही, उन्होंने ‘आजतक’ को बताया, “पिछले साल सरकारी आदेश के अनुसार हमें ये तय करना था कि दीक्षांत समारोह में छात्रों को किस किस्म के पारंपरिक परिधान पहनने के लिए कहा जाए. दीक्षांत समारोह का ड्रेस कोड तय करने को लेकर कई मीटिंग्स हुईं थीं. ऐसा विचार भी बन रहा था कि स्टूडेंट्स उत्तराखंड के पारंपरिक पहाड़ी परिधान पहन कर आएं. कुछ स्थानीय कारीगरों से बात करने पर भी मशविरा चल रहा था. लेकिन उस वक्त हम इसे अमली जामा नहीं पहना पाए थे. फिर ये तय हुआ था कि अलग-अलग कोर्स के स्टूडेंट्स सफेद कुर्ते-पैजामे के साथ अलग-अलग रंगों के स्कार्फ पहनेंगे. हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि एक खास रंग के स्कार्फ को लेकर इतना बखेड़ा खड़ा कर दिया जाएगा.”
उत्तरांचल यूनिवर्सिटी की वेबसाइट में 2020 के दीक्षांत समारोह की कई तस्वीरें मौजूद हैं. इन तस्वीरों में हमें कई ऐसी भी तस्वीरें मिलीं, जिनमें स्टूडेंट्स ने नीले और कत्थई रंग के स्कार्फ पहने हैं.

वायरल फोटो में जो लड़की सबसे आगे खड़ी है, हमें उसकी डिग्री लेते हुए एक फोटो यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर मिल गई.

पिछले साल केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने देश के विश्वविद्यालयों से अपील की थी कि वे अपने दीक्षांत समारोह में स्टूडेंट्स को ब्रिटिश संस्कृति से प्रेरित परिधानों के बजाए पारंपरिक भारतीय परिधान पहनने के लिए कहें. इस बारे में ‘द वीक’ की रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है.
यानी, ये बात साफ है कि उत्तरांचल यूनिवर्सिटी में इस साल सभी छात्र-छात्राओं के भगवा स्कार्फ पहन कर डिग्री लेने का दावा भ्रामक है. यहां दीक्षांत समारोह पिछले साल हुआ था जिसमें स्टूडेंट्स ने अलग-अलग रंगों के स्कार्फ पहने थे.