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फैक्ट चेक: इस लड़की ने नहीं पकड़ा था मुस्लिम विरोधी स्लोगन वाला प्लेकार्ड, फर्जी है ये तस्वीर 

इंडिया टुडे की फैक्ट चेक टीम ने पाया कि ये फोटो फर्जी है. असली फोटो साल 2013 से ही इंटरनेट पर मौजूद है और उस पर​ लिखा है, ‘मुझे याद नहीं क्या हुआ था'.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
तस्वीर में देखा जा सकता है कि कैसे ये लड़की एक प्लेकार्ड के जरिये मुस्लिमों की, हिंदुओं के घरों पर कब्जा करने की साजिश की बात उठा रही है.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
ये तस्वीर फर्जी है. असली फोटो कम से कम साल 2013 से इंटरनेट पर मौजूद है. उसमें लड़की के प्लेकार्ड पर लिखा है, ‘मुझे कुछ भी याद नहीं’. ये फोटो यौन उत्पीड़न झेल चुके लोगों से संबंधित एक प्रोजेक्ट का​ हिस्सा थी.

मुस्लिम समुदाय पर तंज कसते स्लोगन वाला प्लेकार्ड पकड़े एक लड़की की फोटो इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल है. लड़की ने चश्मा लगाया हुआ है और उसके चेहरे पर गंभीर भाव है. उसके हाथों में मौजूद प्लेकार्ड पर लिखा है, “हम 10-10 रुपये जोड़कर घर बनाने की सोच रहे हैं और वे 10-10 पैदा करके हमारे घर पर कब्जा करने की सोच रहे हैं”.

ऐसा कहा जा रहा है कि ये लड़की मुस्लिम समुदाय के षड़यंत्र की बात कर रही है.

इंडिया टुडे की फैक्ट चेक टीम ने पाया कि ये फोटो फर्जी है. असली फोटो साल 2013 से ही इंटरनेट पर मौजूद है और उस पर​ लिखा है, ‘मुझे याद नहीं क्या हुआ था’.

दरअसल, ये ‘प्रोजेक्ट अनब्रेकेबल’ नाम के एक अभियान से जुड़ी फोटो है. साल 2011 में शुरू हुए इस अभियान के तहत यौन उत्पीड़न के शिकार लोगों ने प्लेकार्ड के जरिये अपना दर्द बयां किया था.

कैसे पता लगाई सच्चाई? 

वायरल फोटो को रिवर्स सर्च करने पर ये हमें ‘प्रोजेक्ट अनब्रेकेबल’ नाम के एक फेसबुक पेज पर मिली. यहां पर इसे 23 मार्च, 2013 को पोस्ट किया गया था.

यहां पर लड़की के हाथों में जो प्लेकार्ड है, उस पर लिखा है, ‘आई कांट रिमेंबर वॉट हैपेंड’. यानी, ‘मुझे याद नहीं क्या हुआ था’. इसमें मुस्लिम समुदाय से जुड़ी किसी भी बात का जिक्र नहीं है. साफ है, फोटो को एडिट करके उसमें लिखी बात को बदल दिया गया है.

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यहां पर फोटो के कैप्शन में लिखा है, ‘चेतावनी: बलात्कार/यौन उत्पीड़न, 18 अक्टूबर को ली गई तस्वीर’. साथ ही, सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट टंबलर के ‘प्रोजेक्ट अनब्रेकेबल’ नाम के एक पेज का लिंक भी दिया है.  इस पेज पर भी हमें वायरल फोटो मिल गई.

क्या था ‘प्रोजेक्ट अनब्रेकेबल’?

‘प्रोजेक्ट अनब्रेकेबल’ मैसाचुसेट्स, यूएस की फोटोग्राफर ग्रेस ब्राउन ने साल 2011 में शुरू किया था. इसके तहत उन्होंने बलात्कार और यौन उत्पीड़न झेल चुके लोगों की तस्वीरें जुटाई थीं. इन तस्वीरों में पीडि़त अपने दर्द को प्लेकार्ड पर लिख कर बयां करते थे. ‘हफपोस्ट’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर से तकरीबन 2000 लोगों ने ग्रेस को अपनी तस्वीरें भेजी थीं.

साफ है, एक पुरानी तस्वीर से छेड़छाड़ करके उसे मुस्लिम विरोधी स्लोगन के साथ शेयर किया जा रहा है.

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