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फैक्ट चेक: सुभाष चंद्र बोस की सेना में रहे थे शाहरुख खान के नाना, नहीं की थी देश से गद्दारी

ये संदेश एक वीडियो के जरिये वायरल हो रहा है, जिसमें कहा जा रहा है, “नेताजी सुभाष की पीठ में छुरा घोंपने वाला आजाद हिंद फौज का गद्दार शहनवाज खान बंटवारे के दौरान भारत छोड़ कर पाकिस्तान चला गया.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान के नाना शाहनवाज खान ने भारत से गद्दारी की थी जिस कारण आजाद हिंद फौज के सैकड़ों जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
शाहरुख खान के सगे नाना शाहनवाज खान नहीं, बल्कि इफ्तिखार अहमद थे. शाहनवाज खान ब्रिटिश सेना में अधिकारी थे और सुभाषचंद्र बोस से प्रभावित होकर आजाद हिंद फौज में शामिल हुए थे.

‘बॉलीवुड के किंग’ कहे जाने वाले शाहरुख खान से जुड़ी एक बेहद चौंकाने वाली बात ने उनके करोड़ों प्रशंसकों को सकते में डाल दिया है. ऐसा दावा किया जा रहा है कि शाहनवाज खान नाम के शख्स शाहरुख के नाना थे जिन्होंने देश के साथ विश्वासघात किया था. जिसके चलते आजाद हिंद फौज के सैकड़ों जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.

ये संदेश एक वीडियो के जरिये वायरल हो रहा है, जिसमें कहा जा रहा है, “नेताजी सुभाष की पीठ में छुरा घोंपने वाला आजाद हिंद फौज का गद्दार शहनवाज खान बंटवारे के दौरान भारत छोड़ कर पाकिस्तान चला गया. लेकिन नेहरू ने उसे वापस भारत बुलाकर मंत्रीमंडलीय सचिव का पद दे दिया. इंफाल-कोहिमा के दुरूह मोर्चे पर भारत से गद्दारी करके आजाद हिंद फौज के सैकड़ों जवानों को मरवा देने वाले देशद्रोही शहनवाज खान का एक नवासा पैदा हुआ, जिसका नाम था- शाहरुख खान. ये तो एक गद्दार की बेटी से पैदा हुआ मात्र एक गद्दार है. लेकिन हम भारतीयों ने किंग खान की उपाधि देकर इसके नाना जान के गद्दारी के इतिहास को दबा दिया है.”

एक फेसबुक यूजर ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, “शाहरुख खान की खानदान का इतिहास देश से गद्दारी का इतिहास है. शाहरुख़ का नाना शाहनवाज खान ने आजाद हिन्द भौज की खुफिया जानकारी अंग्रजों को देकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के कई सिपाहियों को मरवा डाला था”.

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इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि शाहनवाज खान अभिनेता शाहरुख खान के सगे नाना नहीं थे. वो ब्रिटिश इंडियन आर्मी में थे, पर बाद में नेताजी सुभाषचंद्र बोस से प्रभावित होकर आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए थे. इसके लिए बाद में अंग्रेजी हुकूमत ने उन पर मुकदमा भी चलाया था. 

आइए, एक-एक करके इस वीडियो में उठाए गए खास-खास बिंदुओं पर बात करते हैं.

कौन थे शाहनवाज खान?

रावलपिंडी में पैदा हुए शाहनवाज खान ब्रिटिश इंडियन आर्मी में अधिकारी थे. दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान सिंगापुर पर कब्जे के लिए जापान के साथ ब्रिटेन का युद्ध हुआ तो जीत जापान की हुई. शाहनवाज खान को जापान ने बंदी बना लिया.

उधर, नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिए जापान और जर्मनी से हाथ मिला लिया. नेताजी 1943 में सिंगापुर गए और उनके एक भाषण से प्रभावित होकर शाहनवाज खान आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए. इंटरनेशनल जर्नल ऑफ रिसर्च एंड एनालिटिकल रिव्यूज के मुताबिक, 1946 में अंग्रेजी हुकूमत ने आजाद हिंद फौज के अधिकारी शाहनवाज खान, प्रेम सहगल और गुरबख्श सिंह पर मुकदमा चलाया जिसे ‘रेड फोर्ट ट्रायल्स’ के नाम से जाना जाता है. इस मुकदमे में जिन वकीलों ने शाहनवाज खान की पैरवी की थी, उनमें पंडित जवाहरलाल नेहरू भी शामिल थे. मुकदमे में शाहनवाज खान को फांसी की सजा सुनाई गई. लेकिन बाद में भारी विरोध के चलते न चाहते हुए भी अंग्रेजों को शाहनवाज और उनके साथियों को जुर्माना लगाकर छोड़ना पड़ा. किसी भी रिसर्च या विश्वसनीय न्यूज वेबसाइट में ऐसा नहीं लिखा है कि शाहनवाज खान ने भारत से गद्दारी की जिसके चलते आजाद हिंद फौज के सैकड़ों सैनिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी.

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‘द हिंदुस्तान टाइम्स’ अखबार ने इस मुकदमे को लेकर उस वक्त पहले पन्ने पर खबर छापी थी, जिसे नीचे देखा जा सकता है.

शाहनवाज खान के ऊपर भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का फिल्म डिवीजन 1987 में एक फिल्म भी बना चुका है.

क्या शाहनवाज खान शाहरुख खान के नाना थे?  

शाहरुख खान के सगे नाना शाहनवाज खान नहीं बल्कि मंगलुरु पोर्ट के चीफ इंजीनियर इफ्तिखार अहमद थे. साल 2010 में शाहरुख ने खुद एक ट्वीट के जरिये अपने नाना के बारे में बताया था.

तो क्या है शाहनवाज खान का ‘शाहरुख कनेक्शन’?

येल यूनिवर्सिटी’ की वेबसाइट के मुताबिक शाहरुख की मां लतीफ फातिमा, शाहनवाज खान की गोद ली हुई बेटी थीं. ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शाहनवाज और इफ्तिखार अहमद दूर के रिश्ते के भाई लगते थे.

पेशावर के मीर ताज मोहम्मद से फातिमा की शादी करवाने में भी शाहनवाज की अहम भूमिका थी. ‘ओम शांति ओम’ और ‘रा.वन’ जैसी फिल्मों के स्क्रिप्ट लेखक मुश्ताक शेख ने इस बारे में अपनी किताब ‘शाहरुख खान कैन’ में ​लिखा है. किताब के मुताबिक, एक बार लतीफ फातिमा का दिल्ली के इंडिया गेट के पास एक्सीडेंट हो गया. इत्तेफाक से उस वक्त शाहनवाज खान और मीर ताज मोहम्मद ( शाहरुख के पिता ) वहां मौजूद थे. दोनों फातिमा को अस्पताल ले गए और मीर ताज मोहम्मद ने फातिमा की जान बचाने के लिए उन्हें अपना खून भी दिया. फातिमा के बेंगलुरु लौटने के बाद भी ताज मोहम्मद उन्हें देखने जाते रहे. दोनों के बीच पनपे लगाव को देखते हुए शाहनवाज खान ने फातिमा के पिता इफ्तिखार अहमद को सलाह दी कि वे ताज मोहम्मद को अपना दामाद क्यों नहीं बना लेते. इफ्तिखार को बात जायज लगी और दोनों की शादी हो गई.

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इफ्तिखार अहमद के साथ शाहरुख खान और उनके भाई-बहनों की एक तस्वीर नीचे देखी जा सकती है. इसे मुश्ताक शेख की किताब से लिया गया है.

क्या शाहनवाज खान बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए थे?

दावे के ठीक उलट, भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद शाहनवाज खान भारत से मोहब्बत के चलते अपने भरे-पूरे परिवार को पाकिस्तान में छोड़कर यहां आ गए थे. न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जहां उनका पूरा परिवार पाकिस्तान में ही रुक गया था, वहीं वो अपने एक बेटे के साथ हिन्दुस्तान आ गए थे.

ये बात सच है कि शाहनवाज खान को रेल व यातायात मंत्रालय में संसदीय सचिव का पद दिया गया था. लेकिन इसके बाद शाहनवाज खान 1952 से लेकर 1971 के बीच चार बार मेरठ से लोकसभा का चुनाव जीते और जवाहरलाल नेहरू के अलावा लाल बहादुर शास्त्री के भी कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री रहे.

हमारी पड़ताल से ये बात साबित हो जाती है कि शाहनवाज खान अंग्रेजी हुकूमत की सेना के अ​धिकारी होने के बावजूद आजाद हिंद फौज में शामिल हुए थे क्योंकि उनके दिल में भारत को आजाद कराने की चाहत थी. भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद वो अपने भरे-पूरे परिवार को छोड़कर भारत आ गए थे. उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाने वाले वायरल वीडियो के दावे भ्रामक हैं.

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