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इस एक्टर को छोड़ महात्मा गांधी ने नहीं की किसी भी फिल्म सितारे से मुलाकात

वे सिनेमा के कल्चर को खास पसंद नहीं करते थे और अखबारों में ग्लैमरस स्टार्स की तस्वीरों को वे नापसंद करते थे. उन्होंने उस दौर के मशहूर सितारे के एल सहगल हो या फिर कोई स्टार, किसी से कभी कोई मुलाकात नहीं की. हालांकि एक बॉलीवुड स्टार था जिनसे गांधी की कई बार मुलाकातें हुईं थीं.

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रिचर्ड एटनबर्ग की फिल्म गांधी का एक दृश्य
रिचर्ड एटनबर्ग की फिल्म गांधी का एक दृश्य

भारत की आजादी में अमूल्य योगदान देने वाले महात्मा गांधी सिनेमा को लेकर काफी उदासीन रवैया रखते थे. उन्होंने अपने जीवन में केवल दो फिल्में देखी थीं. इनमें एक इंग्लिश फिल्म थी और एक हिंदी फिल्म. इसके अलावा वे सिनेमा के कल्चर को खास पसंद नहीं करते थे और अखबारों में ग्लैमरस स्टार्स की तस्वीरों को वे नापसंद करते थे. उन्होंने उस दौर के मशहूर सितारे के एल सहगल हो या फिर कोई स्टार, किसी से कभी कोई मुलाकात नहीं की. हालांकि, एक बॉलीवुड स्टार था जिनसे गांधी की कई बार मुलाकातें हुई थीं.

भीष्म साहनी की किताब बलराज माई ब्रदर के मुताबिक, गांधी सिर्फ एक एक्टर के करीब थे और वो थे बलराज साहनी. बलराज इंडियन पीपल थियेटर के सदस्य थे. उन्होंने नई तालीम नाम के अखबार में एडिटोरियल स्टाफ के तौर पर जॉइन किया था. उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री जॉइन करने से दस पहले तक गांधी के सेवाग्राम आश्रम में अपना जीवन बिताया है. यही कारण है कि गांधी और बलराज साहनी की कई बार मुलाकात हुई थी. अमिताभ बच्चन भी बलराज साहनी को अपने से बड़ा एक्टर बता चुके हैं. इसके अलावा साल 1931 में गांधी मशहूर इंटरनेशनल एक्टर चार्ली चैपलिन से भी मिल चुके हैं लेकिन इसके अलावा गांधी ने फिल्मी सितारों से दूरी ही बनाए रखी क्योंकि उस दौर में गांधी भी सिनेमा के कॉन्सेप्ट को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे.

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गांधी से मिलने के लिए सिंगर ने दिए थे पैसे पर फिर भी मायूसी हाथ लगी

इसके अलावा मशहूर सिंगर गौहर जान ने महात्मा गांधी को 12 हजार की राशि का ऑफर दिया था लेकिन उन्होंने एक शर्त भी रखी थी. गांधी ने इस घटना के बारे में अपने एसोसिएट ब्रजकृष्णा चांदीवाला को लिखा था. उन्होंने लिखा था - मैंने गौहर खान से 12000 की राशि लेने से मना कर दिया था क्योंकि उन्होंने मेरे सामने एक शर्त रखी थी कि मैं जाकर उनका म्यूजिक सुनूं लेकिन मैं वहां नहीं गया था बल्कि अली भाई वहां गए थे और उन्होंने वहां से पैसे ले लिए थे. ये वाक्या कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी में लिखा गया है.

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