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देश के बदले हालात पर बोले सैफ अली खान, देशप्रेम साबित करने की लगी है होड़

सैफ अली खान ने कहा- राजनीति वो चीज नहीं है जिसके बारे में मैं बहुत ज्यादा चिंता करता हूं. मैं एक कलाकार हूं और लोगों को जोड़ कर रखने में यकीन करता हूं. जिन लोगों ने हमें आजादी दिलाई वो अब इस दुनिया से जा चुके हैं और जो नए लोग हैं वो नए तरह के विचार लेकर आगे आ रहे हैं.

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सैफ अली खान
सैफ अली खान

बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान ने इंडिया टुडे ई-कॉनक्लेव में अपनी जिंदगी के तमाम किस्से साझा किए. उन्होंने लॉकडाउन के दौरान अपनी जिंदगी के बारे में बात की. उन्होंने बताया कि वह इन दिनों घर पर रहकर क्या कुछ कर रहे हैं. बेटे तैमूर अली खान से लेकर पत्नी करीना कपूर खान तक की लाइफ के बारे में उन्होंने बताया और साथ ही वर्तमान माहौल को लेकर अपनी सोच भी उन्होंने सबके सामने साझा की.

कोरोना वायरस के लगातार बिगड़ते माहौल में घर पर रहने के बारे में सैफ ने कहा, "देखा जाए तो हम सभी एकजुट होकर एक तरह का युद्ध लड़ रहे हैं. हम सभी घर पर रहें ताकि स्वास्थकर्मी अपना काम अच्छी तरह से कर सकें." वर्तमान में तेजी से बन बिगड़ रहे माहौल और राष्ट्रभक्त होने के सवाल पर सैफ अली खान ने कहा, "मुझे लगता है कि मैं इस सब पर काफी कुछ बोल चुका हूं."

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😎 #taimur

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"राजनीति वो चीज नहीं है जिसके बारे में मैं बहुत ज्यादा चिंता करता हूं. मैं एक कलाकार हूं और लोगों को जोड़ कर रखने में यकीन करता हूं. जिन लोगों ने हमें आजादी दिलाई वो अब इस दुनिया से जा चुके हैं और जो नए लोग हैं वो नए तरह के विचार लेकर आगे आ रहे हैं. आज एक तरह की नई मानसिकता आ गई है जिसमें लोग खुद को राष्ट्रप्रेमी साबित करने की होड़ में लगे हैं. इसका अर्थ क्या है. कई मायनों में ये अच्छी चीज है लेकिन भारतीय होने का अर्थ क्या है? क्या इसका अर्थ हिंदू होना है या सिर्फ भारत में पैदा होना काफी है?"

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देशप्रेम राष्ट्रभक्ति तय करेगा

सैफ ने कहा, "मुझे लगता है कि ये सब आपका देश के प्रति प्रेम तय करता है. ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके बारे में हमें नहीं पता है कि बात कहां जाकर खत्म होगी. ईमानदारी से कहूं तो इस पर मैंने अपना वक्त खर्च नहीं किया है. उन चीजों के बारे में सोचते हुए... क्योंकि मुझे नहीं लगता है कि ये चीजें मेरा वक्त लेने का हक रखती हैं. मैं बस बाकी की चीजें करता हूं. शायद मैं इतना खुशकिस्मत हूं कि मैं इन चीजों पर बात कर सकता हूं लेकिन मैं इन पर ऊर्जा खर्च नहीं करना चाहता. मैं बस ये चाहता हूं कि जिस सेक्युलरिज्म की हम बात करते हैं वो भारत से साथ बना रहे. हां लेकिन ये मेरी सोच है. हो सकता है कि हर कोई इस तरह से नहीं सोचता हो. "

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