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हाईकोर्ट पहुंचा फिल्म शिकारा का मुद्दा, याचिका में फिल्म की रोक की मांग

याचिका में कहा गया है कि फिल्म निर्माताओं ने आम कश्मीरियों को गलत तरीके से चित्रित किया है. इसमें कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के लिए आम कश्मीरियों को जिम्मेदार बताया गया है.

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शिकारा का पोस्टर
शिकारा का पोस्टर

निर्माता-निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म 'शिकारा' पर बैन लगाने की मांग को लेकर जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. घाटी से तीन दशक पहले कश्मीरी पंडितों के पलायन की बैकग्राउंड पर बनी ये फिल्म 7 फरवरी को रिलीज होने वाली है. कारोबारी और सामाजिक कार्यकर्ता इफ्तिखार मिसगर, फ्रीलांस पत्रकार माजिद हैदरी और वकील-सामाजिक कार्यकर्ता इरफ़ान हाफिज़ लोन की ओर से दाखिल की गई है.

तीनों याचिकाकर्ताओं ने फिल्म के कंटेंट को कश्मीर में धार्मिक सौहार्द और कश्मीरियत पर प्रतिकूल असर डालने वाला बताया है. वकील शफक़त नजीर ने अपने मुवक्किलों के लिए ये याचिका दाखिल की है. भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दाखिल की गई याचिका में हाईकोर्ट से संबंधित मामले में उपर्युक्त आदेश देने का आग्रह किया गया है. याचिका में भारत सरकार (सूचना और प्रसारण मंत्रालय), जम्मू और कश्मीर सरकार, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड, NFDC, विधू विनोद चोपड़ा प्रोडक्शन्स प्राइवेट लिमिटेड और निर्माता-निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा को प्रतिवादी बनाया गया है.

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In 1990, more than 4,00,000 Kashmiri Pandits were forced to leave their home. 30 years later, their story will finally be told. Watch Shikara official teaser 2: http://bit.ly/ShikaraTeaser2 #HumWapasAayenge #Shikara #VidhuVinodChopra #Shikara @foxstarhindi

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याचिका में कहा गया, "वर्ष 1990 में भारत सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह के शुरू होने की वजह से कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुईं. इन्हीं में से एक व्यथित करने वाली घटना कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों के दर्दनाक, हृदयविदारक पलायन की भी थी. कश्मीरी पंडित जो कश्मीरी समाज के अभिन्न अंग थे. ये विभिन्न स्टेकहोल्डर्स की मतभिन्नता की वजह से हुआ. लेकिन इसमें एकसुर में राय थी कि स्थानीय कश्मीरी मुस्लिम उन घटनाओं के सख्त खिलाफ थे जिन घटनाओं की वजह से घाटी से कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ. ये कहना पूरी तरह सुरक्षित है कि अन्य कश्मीरियों (मुस्लिमों और सिखों) ने कश्मीरी पंडितों का घाटी से पलायन रोकने के लिए पूरी कोशिश की लेकिन कश्मीरी लोगों के नियंत्रण से बाहर परिस्थितियों की वजह से कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़कर जाना पड़ा. उनमें से बहुत थोड़े ही अपने जन्मस्थल पर लौट कर आए. सरकारी रिकॉर्ड भी ये बताते हैं कि मुस्लिम आबादी खास तौर पर कश्मीरी मुस्लिमों का कश्मीरी पंडितों के घाटी से पलायन में कोई भूमिका नहीं थी."

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This film crew was given only 2 hours to shoot a scene in a volatile district of Kashmir. How did they pull it off? Watch Shikara Diaries: http://bit.ly/ShikaraDiaries #ShikaraDiaries #VidhuVinodChopra #Shikara @foxstarhindi #Srinagar #Shoot #FilmShoot #AmiraKadal #Kashmir #ShootDiaries #BehindTheScenes

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याचिका में कहा गया, "एक प्रतिवादी ने हिन्दी फीचर फिल्म 'शिकारा' का निर्माण और निर्देशन किया है. फिल्म में घाटी से कश्मीरी पंडितों के दर्दनाक पलायन को इस तरह दिखाया गया है जिससे कि स्थानीय लोगों खासकर मुस्लिमों की खराब और क्रूर छवि उभरती है जो कि न सिर्फ वास्तविक तथ्यों और घटनाओं के खिलाफ है बल्कि सभी कश्मीरियों की भावनाओ को आहत करने वाला है."

"टेलीविजन और इंटरनेट पर दिखाए जा रहे फिल्म के ट्रेलर्स से इसके पक्षपाती और साम्प्रदायिक कंटेंट का खुलासा होता है. इसमें पूरी आबादी को उग्रवादियों और नागरिकों का विभेद किए बिना कश्मीरी पंडितों के घाटी से दुर्भाग्यपूर्ण पलायन के लिए दोषी ठहराया गया है. 1990 के बाद से कश्मीरी पंडितों के पलायन की पृष्ठभूमि पर कई फिल्में, फीचर फिल्में बनी हैं लेकिन किसी में भी पूरी मुस्लिम आबादी को दोषी नहीं ठहराया गया."

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Aye vaadi shehzaadi, bolo kaisi ho, Kuchh barson se toot gaya hun khandit hun Vaadi tera beta hun main pandit hun Watch #ShikaraTrailer2: http://bit.ly/Shikara_Official_Trailer2 #HumWapasAayenge #VidhuVinodChopra #ShikaraTrailer @arrahman @foxstarhindi

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याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्हें फिल्म में तथ्यों के झूठे चित्रण और फिल्म की रिलीज की टाइमिंग में कोई छुपा हुआ मकसद नज़र आता है. फिल्म 7 फरवरी 2020 को भारत में रिलीज होना तय है. याचिका में ये भी कहा गया है कि फिल्म का प्रोड्यूसर या उसके अभिभावक कभी भी कश्मीर घाटी में नहीं रहे. जो भी फिल्म में घटनाएं दिखाई गई हैं वो उसके दिमाग की कोरी उपज है और विशेष समुदाय के खिलाफ हैं. याचिका के मुताबिक पूरे देश में CAA/NRC को लेकर पहले ही माहौल संवेदनशील है. 5 अगस्त 2019 के बाद सुरक्षा एजेंसियां कश्मीर घाटी में शांति बनाए रखने के लिए कड़े प्रयास कर रहे हैं. उनके इन प्रयासों पर विपरीत असर पड़ सकता है अगर फर्जी और मनगढंत कंटेट वाली इस संबंधित फिल्म को रिलीज होने की अनुमति दी जाती है.

याचिका में ये भी कहा गया है कि इंटरनेट पर, विशेष तौर पर सोशल मीडिया साइट्स पर इस तरह की बहस देखी जा रही है कि कश्मीरी पंडितों के पलायन के लिए कौन जिम्मेदार थे. इस तरह के फर्जी कंटेट वाली फिल्म को रिलीज होने की अनुमति दी जाती है तो उन कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है जो देश के विभिन्न हिस्सों में रह कर पढ़ाई कर रहे हैं. इन सब परिस्थितियों में जनहित को देखते हुए ये याचिका दाखिल की गई है.

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विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म 'शिकारा' 7 फरवरी, 2020 में रिलीज के लिए तैयार है. फॉक्स स्टार स्टूडियोज द्वारा प्रस्तुत, यह फिल्म विनोद चोपड़ा प्रोडक्शंस द्वारा निर्मित और फॉक्स स्टार स्टूडियो द्वारा सह-निर्मित है.

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