मशहूर कॉमेडियन नवाब सैय्यद बदरुल हसन साहब बहादुर अब इस दुनिया में नहीं रहे. मंगलवार को उनका निधन हो गया. वो एक्टर और कॉमेडियन के साथ-साथ एक क्लासिकल डांसर भी थे. उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के नेशनल अवॉर्ड से भी नवाजा गया. उनका जन्म लखनऊ में हुआ था.
एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था, ' लखनऊ में मेरा जन्म हुआ और मुझे इस बात का गर्व है. लखनऊ फन और फनकार की बड़ी दुनिया है. पूरे हिंदुस्तान के लोग फनकार की कदर करते हैं. लखनऊ तहजीब और मजहब का मरकश है. '
'मेरी रूह लखनऊ में ही है. मैं यहां सिर्फ जिस्म लेकर आया हूं. अभी भी लखनऊ की गलियां, सड़कों, रास्ते और गड्ढों को मैं भूल नहीं पाया हूं.'
आगे उन्होंने बताया, ' मेरा इस इंडस्ट्री में आना ऐसे हुआ जैसे सर्कस में शेर आता है. लखनऊ के बाद में इंग्लैंड गया और लंदन में बहुत साल रहा. लंदन में मेरी फिरोज खान और संजय खान से मुलाकात हुई. उन्होंने मुझमें एक्टिंग करने का शौक जगाया. जब मैं मुंबई आया तो लोगों ने मुझे इज्जत दी, मोहब्बत दी. मेरी किस्मत अच्छी थी. मुझे आते ही काम मिलने लगा.'
'मेरा पहला सीरियल बानो बेगम था. उसके बाद धीरज कुमार का सीरियल अदालत, कहां गए हो किए. इसके बाद बहुत सारे शो करता रहा. मुझे फिल्में मिलना शुरू हुईं. फरिश्ते, तहलका, एलाने जंग, हुकूमत ये सब फिल्में कीं.'
'सबसे पहला ब्रेक मुझे मैडम सत्ती शौरी ने दिया, जो कि अर्जुन कपूर की नानी हैं. एक्टर ने आगे बताया कि वो हमें अपना बेटा मानती थीं. फिल्म फरिश्ते में उन्होंने मुझे अच्छा रोल दिया. हमेशा मेरी इज्जत की और प्यार किया. अर्जुन कपूर मेरी गोदी में खेलता था और मुझे गणपति अंकल कहता था.'
उन्होंने बताया, ' मुझे लखनऊ के कल्चर की वजह से काम मिलना शरू हुआ और कामयाबी मिली. इसके बाद मुझे The Sword of Tipu Sultan मिला. इस शो से मुझे हजारों अवॉर्ड मिले. उसमें मेरा किरदार बहुत शानदार था. इस शो से मुझे पुशअप मिला और फिर मैंने पलटकर नहीं देखा.'
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