जनवरी 2013 से फॉरेन सर्विस से रिटायर होने के बाद पवन कुमार वर्मा बिहार की राजनीति में पहली बार दाखिल हुए थे. वो सबसे पहले मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार बने थे. वर्तमान में वो जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता थे. पवन कुमार एशियन एज, टाइम्स ऑफ इंडिया के लिए कॉलम भी लिखते हैं.
बता दें कि पवन के वर्मा का जन्म 5 नवंबर 1953 में हुआ था. वो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कैबिनेट सलाहकार के पद पर थे. इसके अलावा वो जून, 2014 से जुलाई 2016 तक राज्य सभा के सदस्य रहे.
राजनीतिज्ञ के साथ-साथ वो अपने लेखन के लिए भी जाने जाते हैं. पवन के वर्मा अब तक 10 के करीब फिक्शन और नॉन फिक्शन लिख चुके हैं. फिक्शन की बात करें तो उनकी फिक्शन बुक 'When Loss is Gain. Rain Tree' साल 2012 में प्रकाशित हुई थी. नॉन फिक्शन में गालिब, द मैन, द टाइम्स और हवेलीज ऑफ ओल्ड दिल्ली, कृष्णा, द प्लेफुल डिवाइन आदि किताबें छप चुकी हैं. उन्होंने कई किताबों का उर्दू या हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद भी किया है. अपने लेखन के लिए उन्हें बीते साल 2019 में Kalinga International Literary Award दिया गया.
बता दें कि कुछ दिनों से उनकी छवि पार्टी लाइन से बाहर जाकर बयान देने वाले नेताओं की बन गई थी. इसी कारण जनता दल यूनाइटेड ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. उनके साथ-साथ प्रशांत किशोर को भी जदयू ने पार्टी से बाहर निकाल दिया है. दोनों पर जदयू ने कार्रवाई करते हुए पार्टी से बर्खास्त कर पार्टी की सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया है. ऐसी चर्चा है कि सीएए, एनआरसी और दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर प्रशांत किशोर और पवन वर्मा पार्टी लाइन से बाहर जाकर बयान दे रहे थे, जिसके कारण जदयू के निशाने पर थे.