रीजनल वॉटर स्टडीज में इन्वेस्ट कर रही है टीईआरआइ यूनिवर्सिटी. बता रहे हैं जयंत श्रीराम
नई दिल्ली की टीईआरआइ यूनिवर्सिटी ने सस्टेनेबेल डेवलपमेंट की फील्ड में थॉट लीडरशिप निर्माण सेंटर के रूप में अपनी पहचान बनाई है. इस साल इसने कोका कोला फाउंडेशन के साथ साझेदारी की है ताकि भारत के जल संसाधनों के प्रबंधन के क्षेत्र की खाई को पाट सकें. जल संसाधनों का प्रभावी इस्तेमाल और संरक्षण भारत के लिए एक अहम मसला हो सकता है लेकिन लांग टर्म प्लानिंग के मामले में यहां ट्रेंड लोगों की भारी कमी है.
2012 में केंद्रीय जल संसाधन विभाग ने राष्ट्रीय जल नीति जारी की थी, जिसमें इसे चिंता का क्षेत्र बताया गया था और इसमें कहा गया था कि साइंटिफिक प्लानिंग, आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल और विश्लेषणात्मक क्षमताओं में प्रशिक्षित प्रोफेशनल्स की कमी की वजह से अच्छे वाटर मैनेजमेंट से हम अछूते हैं.
इसमें वाटर मैनेजमेंट की दिशा में समग्र सोच न होने की ओर भी इशारा किया गया था और कहा गया कि सरकारी एजेंसियों की वजह से ही जल से जुड़े मसलों पर संबंधित लोगों से बात नहीं की जाती है और अकसर इसके नतीजे खराब और भरोसे लायक सेवा न मिलने के रूप में सामने आते हैं. इसी कमी को दूर करने के लिए टीईआरआइ यूनिवर्सिटी ने कोका कोला फाउंडेशन के साथ मिलकर कोका कोला डिपार्टमेंट ऑफ रीजनल वाटर स्टडीज की स्थापना की है.
डिपार्टमेंट इंटरडिसिप्लिनरी फ्रेमवर्क के तहत विभिन्न पहलुओं का आकलन कर रहा है जो सांस्कृतिक, शैक्षणिक और वैज्ञानिक कारकों के साथ ही धार्मिक, जातीय, सामाजिक, राजनैतिक, कानूनी, संस्थागत और आर्थिक पहलुओं को ध्यान में रखकर वाटर मैनेजमेंट के बारे में आगे की राह तैयार करेगा. इस प्रोग्राम का उद्देश्य ऐसे युवाओं का कैडर तैयार करना है जो वैज्ञानिक ढंग से जल संसाधनों का प्रबंधन कर सकें और नीति संबंधी फैसलों पर अपना असर भी डाल सकें.
इसके तहत कई प्रमुख कोर्सेज करवाए जाएंगे जिनमें वाटर लॉ ऐंड पॉलिसी, वाटर क्वालिटी मॉनिटरिंग ऐंड असेसमेंट, वाटर ऐंड सस्टेनेबिलिटी साइंस, वाटर प्लानिंग ऐंड मैनेजमेंट के साथ वाटर इकोनॉमिक्स ऐंड फाइनेंशियल मैनेजमेंट से लेकर वाटर डिजास्टर्सः मैनेजमेंट ऐंड प्लानिंग पर कोर्सेज शामिल हैं.
ऐसे भी कोर्सेज हैं जो कैंडिडेट के अध्ययन क्षेत्र और डिग्री पर आधरित होंगे, इनमें एप्लाइड हाइड्रोलॉजी, इंडस्ट्रियल पॉल्यूशन कंट्रोल, वाटर ऑडिट और डिमांड मैनेजमेंट, वेटलैंड कन्जर्वेशन ऐंड मैनेजमेंट, इंटिग्रेटेड वाटरशेड और रिवर बेसिन मैनेजमेंट कोर्स शामिल हैं.
स्टुडेंट्स दो साल के एम.टेक. या एमएसएसी या फिर वाटर साइंस और गवर्नेंस में फुलटाइम डिग्री प्रोग्राम के लिए एप्लाइ कर सकते हैं. दो साल के फुलटाइम कोर्स के साथ ही कैंडिडेट्स के पास एमटेक या एमएससी में एक साल के पीजी डिप्लोमा प्रोग्राम या छह माह के सर्टिफिकेट प्रोग्राम में भी दाखिला ले सकते हैं. दाखिले के लिए जानकारी टीईआरआइ यूनिवर्सिटी, 10 इंस्टीट्यूशनल एरिया, वसंत कुंज, नई दिल्ली से हासिल कर सकते हैं.
यूनिवर्सिटी पहले बैच में 30 स्टुडेंट्स को दाखिला देगी और डिपार्टमेंट की अगले 10 साल में 1,000 प्रोफेशनल्स तैयार करने की योजना है. टीईआरआइ यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर डॉ. लीना श्रीवास्तव कहती हैं, “भारत के लिए तत्काल यह जरूरत है कि वह अपने सभी जल संसाधनों के संरक्षण, प्रबंधन और प्रभावी इस्तेमाल के लिए क्षमता का निर्माण करे.
फूड और ऊर्जा संबंधी अपनी क्षमताओं में इजाफा करने के लिए हमें तुरंत अपनी जल संबंधी सभी खामियों को दूर करना है और इसके लिए नीतियां, रेगुलेटरी फ्रेमवर्क, वित्तीय तंत्र, पहुंच और समानता जैसे मसलों पर ध्यान देना होगा. कोका कोला डिपार्टमेंट इन जरूरतों से निबटने के लिए हर संभव मदद मुहैया कराएगा.”
कोका कोला इंडिया और साउथ वेस्ट एशिया में टेक्निकल और सप्लाइ चेन के वाइस प्रेसिडेंट असीम पारेख कहते हैं, “कोका कोला कंपनी के लिए पानी बहुत अहम है न सिर्फ बिजनेस के लिए बल्कि उस समाज के लिए भी जिसमें हम काम करते हैं. सस्टेनेबिलिटी संबंधी हमारे ग्लोबल फ्रेमवर्क के हिस्से के तौर पर, पानी, औरतों और लोगों की बेहतरी को ज्यादा तवज्जो दी जाती है.
हमारा मानना है कि टीईआरआइ यूनिवर्सिटी के साथ पार्टनरशिप के जरिए हम वाटर मैनेजमेंट के क्षेत्र में ह्यूमन रिसोर्स कैपिटल का निर्माण कर सकेंगे, इसके साथ ही वाटर मैनेजमेंट के क्षेत्र में रिसर्च और डेवलपमेंट को भी बढ़ावा देंगे. हमें उम्मीद है कि यह विभाग वाटर गवर्नेंस के क्षेत्र में अग्रणी सिद्ध होगा.”