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सिविल सेवा परीक्षा पर रोक से हाईकोर्ट का इंकार, पर नेत्रहीनों को राहत

दिल्ली हाईकोर्ट ने सिविल सर्विस की प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है.

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High Court
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दिल्ली हाईकोर्ट ने सिविल सर्विस की प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है, लेकिन विकलांग व्यक्ति अधिनियम 1995 के तहत आने वाले सभी नेत्रहीनों को पीटी और मेंस में हर घंटे 20 मिनट का अतिरिक्‍त समय देने की मांग को मंजूरी दे दी है. यही नहीं नेत्रहीनों के लिए मात्र दो सीटें आरक्षित करने पर हाईकोर्ट ने यूपीएससी सहित केंद्र सरकार की विभिन्न कैडर कंट्रोलिंग अॅथारिटी को फटकार भी लगाई.

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जारी किए गए 2013 के दिशानिर्देशों के अनुसार हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अब सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा दोनों में नेत्रहीनों को प्रति घंटे 20 मिनट का अतिरिक्त समय दिया जाएगा.

एनजीओ 'संभावना' ने सीटों के आवंटन को देखते हुए यूपीएससी पर विकलांगता अधिनियम 1995, के प्रावधानों का उल्लंघन आरोप लगाया था और यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा पर रोक लगाने की मांग की थी. इस अधिनियम के तहत विकलांगों के लिए 3 फीसदी आरक्षण और नेत्रहीनों के लिए 1 फीसदी सीटें आरक्षित हैं.

यूपीएससी ने 21 मई को 1, 291 वैकेंसी वाला नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें से नेत्रहीनों के लिए केवल दो सीटें आरक्षित की गईं थीं. मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी की खंडपीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता की बात सही लग रही है कि डिसेबिलिटी एक्ट की धारा 33 के तहत नेत्रहीनों के लिए उपयुक्त सीट आरक्षित नहीं रखी गईं हैं. कोर्ट ने जारी की गई वैकेंसी की संख्या को IAS कैडर की वैकेंसी बताते हुए विकलांगता अधिनियम 1995, सेक्शन 33 के तहत बाकी की 19 सेवाओं में विकलांग उम्मीदवारों के पदों को स्पष्ट करने को कहा है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि मुख्य परीक्षा की डेट निकलने से पहले सीटें सुनिश्चित हो जानी चाहिए.

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गौरतलब है कि कोर्ट दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था. एक याचिक में नेत्रहीनों को परीक्षा में प्रति घंटे के हिसाब से 20 मिनट का अतिरिक्त समय देने की मांग की थी. वहीं, दूसरी याचिका में यू्पीएससी की कुल 1291 सीट में से एक प्रतिशत सीट नेत्रहीनों के लिए आरक्षित करने की मांग की गई थी. याचिका में मांग की गई थी कि जब तक ऐसा न किया जाए तब तक यूपीएससी की परीक्षा पर रोक लगा दी जाए.

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