एमबीबीएस कॉलेज में एडमिशन लेना अब आसान हो गया है, जहां पहले उम्मीदवारों को एडमिशन के लिए 50 फीसदी अंक हासिल करने होते थे, वहीं अब उम्मीदवार 20 फीसदी अंक हासिल करके भी दाखिला ले सकते हैं. पिछले दो सालों से नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) में फिजिक्स में 5 फीसदी, कैमेस्ट्री में 10 फीसदी से कम और बॉयोलॉजी में 20 फीसदी अंक लाने वाले उम्मीदवारों को भी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिल रहा है.
आपको भले ही यह जानकर आश्चर्य हो रहा हो, लेकिन यह नीट परीक्षा में परसेंटाइल की वजह से संभव हुआ है. दरअसल नीट परीक्षा के माध्यम से मेरिट के आधार पर उम्मीदवारों का चयन नहीं किया जाता है और एक निश्चित पर्सेंटाइल हासिल करने वाले उम्मीदवार एडमिशन लेने के लिए योग्य होते हैं. बता दें कि साल 2016 में नीट को एमबीबीएस एडमिशन के लिए अनिवार्य कर दिया गया था.
SC : 'नीट' परीक्षा के लिए आधार जरूरी नहीं
एडमिशन के लिए चाहिए 18 प्रतिशत
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार इससे पहले एडमिशन की कट-ऑफ 50 फीसदी (जनरल कैटेगरी) और 40 फीसदी (आरक्षित कैटेगरी) तक जाती थी और उसके आधार पर एडमिशन होता था, लेकिन अब नीट में 18-20 फीसदी अंक लाने वाले उम्मीदवार भी एडमिशन ले पाते हैं.
जानें क्या है पर्सेंटाइल?
बता दें कि पर्सेंटाइलस पर्संटेज से अलग होता है और यह अंकों पर नहीं बल्कि अनुपात पर आधारित होता है. 50 पर्सेंटाइल का मतलब यह नहीं है कि आपको 50 फीसदी अंक प्राप्त हुए हैं, क्योंकि यह अनुपात के आधार पर तय होता है. यहां 50 पर्सेंटाइल का मतलब हुआ नीचे से सबसे कम अंक पाने वाले आधे बच्चों के अलावा बाकी परीक्षार्थी. बता दें कि पर्सेंटाइल मार्क्स और रैंक के आधार पर तय होती है और नीट में मार्क्स के आधार पर तय की जाती है. अपनी पर्सेंटाइल जानने के लिए उम्मीदवार को अपने नंबर में टॉपर के अंक का भाग देना होगा और उसे 100 से गुणा करना होगा. जो रिजल्ट आएगा वो आपका पर्सेंटाइल होगा.
कैसे हुआ संभवदरअसल पहले 50 फीसदी अंक लाने आवश्यक होते थे, जिसके लिए उम्मीदवारों को 720 अंकों में से 360 अंक लाने होते थे. लेकिन अब उम्मीदवारों को 50 पर्सेंटाइल नंबर के लिए 720 में से सिर्फ 145 अंक ही लाने होते हैं, जो कि सिर्फ 20 फीसदी है. इसलिए नीट में 18 से 20 फीसदी अंक लाकर भी एमबीबीएस में एडमिशन हासिल कर सकते हैं.
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रिपोर्ट के अनुसार जनरल कैटेगरी के उम्मीदवारों को 697 से 131 अंक लाने आवश्यक हैं, जिससे 50 पर्सेंटाइल मिलता है और यह कुल मार्क्स का महज 18.2 फीसदी है. वहीं ओबीसी को 14.9, दिव्यांग उम्मीदवारों को 16.4 फीसदी, ओबीसी के दिव्यांग उम्मीदवारों को 14.9 फीसदी अंक लाना आवश्यक होता है.