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DU ऑनलाइन एग्जाम के पहले ही दिन छात्र परेशान, सोशल मीडिया पर रखी बात

दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से 10 अगस्त को फाइनल इयर परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन एग्जाम शुरू हो गए हैं. हाई कोर्ट के निर्देशों के साथ यूनिवर्सिटी ने पूरी तैयारी से ये एग्जाम शुरू किए थे, देखें छात्र इसे लेकर सोशल मीडिया पर क्या रिएक्शन दे रहे हैं.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में पहली बार आज ऑनलाइन ओपन बुक एग्जामिनेशन शुरू हो गया है. हाई कोर्ट के दिशा निर्देशों के बाद यह परीक्षा फाइनल ईयर के सभी छात्रों के लिए करवाई जा रही है. परीक्षा शुरू होते ही सोशल मीडिया पर इस परीक्षा को लेकर अलग-अलग छात्रों ने अपनी परेशानियों के साथ साथ अनुभव साझा किए.

कुछ छात्रों ने साफ तौर पर लिखा है कि इंटरनेट कनेक्शन और साथ ही साथ बिजली की सप्लाई बाधित होने से उन्हें परीक्षा देने में दिक्कत आ रही है. लेकिन कुछ छात्रों का कहना है कि वेबसाइट पर आंसर शीट जमा करने के साथ ही जो ईमेल का ऑप्शन दिया गया है उससे बेहतर तरीके से छात्र परीक्षा दे पा रहे हैं.

दिल्ली यूनिवर्सिटी में हिंदी की प्रोफेसर कुसुमलता ने बताया, "जो नेत्रहीन छात्र ब्रेल लिपि में परीक्षा देना चाहते थे उनके लिए कोई भी व्यवस्था नहीं की गई है. सिर्फ हिंदी के ऐसे 200 से अधिक छात्र हैं जो इस ओपन बुक एग्जामिनेशन को नहीं दे पा रहे हैं".

छात्रों की परेशानी को लेकर कई और शिक्षक हैं जो अपनी राय रख रहे हैं. मसलन दिल्ली यूनिवर्सिटी के एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य राजेश झा ने बताया, "छात्र इसलिए परेशान है क्योंकि यूनिवर्सिटी प्रशासन उनकी समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है और उन्हें मजबूरी में अदालत का रुख करना पड़ रहा है".

लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि इस तरीके से विश्वविद्यालय वह तमाम इंतजाम कर रहा है, जिससे छात्रों को किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़े. विश्वविद्यालय के जाने-माने कॉलेज मिरांडा हाउस की प्रिंसिपल विजय लक्ष्मी नंदा ने आजतक से बात करते हुए बताया, "यूनिवर्सिटी और कॉलेज ने अपने स्तर पर कंट्रोल रूम बनाया हुआ है और छात्रों को जो भी परेशानी आ रही है उसको तुरंत दूर किया जा रहा है.

बता दें कि कोर्ट के आदेश के बाद छात्रों को ई-मेल के जरिए भी अपने आंसर शीट जमा करने का ऑप्शन दिया गया है और इस वजह से जहां पर इंटरनेट या बिजली से जुड़ी समस्याएं हैं वहां भी छात्र मुश्किलों का सामना नहीं कर रहे हैं.

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