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PhD थिसिस में 10% से ज्यादा कॉपी रहा कंटेंट तो लगेगा जुर्माना

अगर आप PHD करने की सोच रहे हैं तो जरा संभल जाएं. क्योंकि PhD थिसिस में कंटेंट 10% से ज्यादा कॉपी पाया गया तो वह चोरी की केटैगरी में आ जाएगा.

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प्रतिकात्मक तस्वीर
प्रतिकात्मक तस्वीर

PhD में लगातार बढ़ रही चीटिंग और थिसिस चोरी से बचने के लिए UGC की बनाई कमेटी ने इसके लिए स्पष्ट नियम कानून बना लिए हैं. वहीं रिसर्च के कोर एरिया में किसी भी किस्म की चोरी को जीरो टॉलरेंस केटैगरी में रखा गया है.

दैनिक भास्कर में छपी खबर के मुताबिक नियम के तहत अगर थिसिस में 10 प्रतिशत से ज्यादा कंटेंट कॉपी पाया गया तो उसके लिए अलग अलग पेनल्टी के प्रावधान तय किए गए हैं.

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ये हैं संस्थानों के लिए गाइडलाइन

- कोई रिसर्च को कॉपी ना कर सकें उसके लिए संस्थान अपने पास डिटेक्टिंग टूल और सॉफ्टवेयर रखने होंगे.

- थिसिस, पेपर या रिपोर्ट को जमा कराने से पहले स्टूडे्ंट्स को थिसिस की सच्चाई का प्रमाण पत्र देना होगा.

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- हर थिसिस को सॉफ्टवेयर के जरिए दो बार डिटेक्ट करने के बाद ही जमा किया जाए. जमा करते वक्त किसी भी प्रकार की लापरवाही ना बरती जाएं.

- हर सुपरवाइजर को भी अपने मार्गदर्शन में किए गए रिसर्च की सच्चाई का प्रमाण पत्र देना होगा.

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लगेगा कंटेंट चोरी का आरोप

अगर रिसर्च में ये कंटेंट कॉपी मिले तो वह सीधे तौर पर चोरी की केटैगरी में आ जाएंगे. जिनमें रिसर्च कोर एरिया जैसे एब्सट्रेक्च, समरी, हाइपोथेसिस आब्जर्वेशन, रिजल्ट और कनक्लूजन.

 

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