सरदार वल्लभ पटेल की प्रतिमा यानी "स्टैच्यू ऑफ यूनिटी" दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा बन गई है और यह दुनिया के अजूबों में भी शुमार होने वाली है. पीएम मोदी 31 अक्टूबर को इसका उद्घाटन करने जा रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं, इससे बनने में कितना वक्त लगा है और कैसे तैयार हुई है.. यहां हम आपको इस विशाल प्रतिमा से जुड़ी हर जानकारी बता रहे हैं.
सरदार वल्लभ पटेल की 182 मीटर ऊंची मूर्ति को बनाने में करीब 44 महीनों का वक्त लगा है. (फोटोज: Statue Of Unity)
मूर्ति को बनाने में 800 स्थानीय और 200 चीन से आए कारीगरों ने भी काम किया.(फोटोज: Statue Of Unity)
मूर्ति के निर्माण के लिए केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद अक्टूबर 2014 मेंलार्सन एंड टूब्रो कंपनी को ठेका दिया गया था. माना जा रहा है कि इसके निर्माण में करीब 3000 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. (फोटोज: Statue Of Unity)
इस काम को तय समय में अंजाम तक पहुंचाने के लिए 4076 मजदूरों ने दो शिफ्टों में काम किया. (फोटोज: Statue Of Unity)
इस खर्च में 2332 करोड़ रुपये प्रतिमा के निर्माण के लिए और 600 करोड़ रुपये 15 साल तक इसके रखरखाव के लिए हैं.
बता दें कि सरदार सरोवर नर्मदा बांध, हाइवे और हजारों किमी नर्मदा नहर बनाने वाले राठौड़ की देखरेख में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी एक रिकार्ड समय करीब 44 माह में बनकर तैयार हो गई.
जबकि अमरीका की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण में 5 साल का वक्त लगा था.
सरदार वल्लभ भाई पटेल की इस मूर्ति में 4 धातुओं का उपयोग किया गया है जिसमें बरसों तक जंग नहीं लगेगी. स्टैच्यू में 85 फीसदी तांबा का इस्तेमाल किया गया है. (फोटोज: Statue Of Unity)
साथ ही दो हजार मैट्रिक टन ब्रॉन्ज लगाया गया है. इसके अलावा 5700 मैट्रिक टन स्ट्रक्चरल स्टील और 18500 मैट्रिक टन रिइनफोर्समेंट बार्स भी इस्तेमाल किया गया है. (फोटोज: Statue Of Unity)
यह मूर्ति 22500 मिलियन टन सीमेंट से बनी है. (फोटोज: Statue Of Unity)
इस मूर्ति से आप सरदार बांध का सुंदर नजारा देख सकेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के कोने कोने से लोहा मांगा था ताकि वो लोहा पटेल के सपनों को फौलादी बना दे. इसकी नींव 2013 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी. (फोटोज: Statue Of Unity)