म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची के बारे में दुनिया कुछ ज्यादा नहीं जानती. आज हम उनके बारे में आपको बताते हैं कुछ खास बातें. परिचय में सबसे पहले ये जान लीजिए कि वे नोबेल शांति पुरस्कार विजेता हैं.
करीब दो दशक तक म्यांमार में सैन्य शासन के खिलाफ लड़ीं. फिर चुनावों में उनकी अगुवाई वाली नैशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) को जीत मिली.
सू की के पिता महान स्वतंत्रता सेनानी और म्यांमार सेना के संस्थापर आंग सान हैं जबकि उनकी मां डाउ यीन खीं भारत में राजदूत थीं. सू ची के पिता जवाहर लाल नेहरू के बहुत अच्छे मित्र थे.
सू ची ने दिल्ली स्थित कंवेंट ऑफ जीसस एंड मेरी स्कूल से शिक्षा प्राप्त की और लेडी श्रीराम कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातक किया.
1987 में कुछ समय शिमला के इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी में फेलो के तौर पर भी बिताया.
कहा जाता है कि उन्हें म्यांमार में 15 साल तक नजरबंद रखा गया था. फिर रिहाई होने पर उन्होंने नोबेल प्राइज जाकर लिया. उस समय दुनिया के लाखों लोग उनकी रिहाई की दुआ मांगते थे.
कभी उनका नाम गांधी और मंडेला के साथ एक सांस में लिया जाता था. पर, अब रोहिंग्या मामले पर दुनिया के कई हिस्सों में सू ची की आलोचना भी आरंभ हो गई है.