रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने रविवार को देश में निर्मित विमान रुस्तम-2 का परीक्षण किया, जो सफल रहा. यह परीक्षण डीआरडीओ ने कर्नाटक में चित्रदुर्ग जिले के चालेकेरे में किया. मजबूत इंजन प्रणाली से युक्त यह प्रोजेक्ट डीआरडीओ के लिए बेहद खास है. आइए जानते हैं इस विमान से जुड़े तथ्य और यह क्यों खास है...
परीक्षण में रुस्तम-2 सभी मानकों पर खरा उतरा. यह विमान निगरानी की दृष्टि से महत्वपूर्ण है. इस विमान का दूसरा नाम TAPAS-BH-201 और यह भारत में बनाया गया है.
यह विमान अमेरिका के प्रेडेटर ड्रोन की तरह बनाया गया है. यह रुस्तम-1 की
पहली उड़ान के 7 साल बाद आया. इससे पहले रूस्तम -1, रुस्तम-एच, रुस्तम-सी
भी आ चुके हैं. यह एक यूएवी विमान है.
यह विमान 22 हजार फीट तक उड़ सकता है और करीब एक दिन तक लगातार काम भी कर सकता है. इसका इंजन काफी आधुनिक है, जो पहले के यूएवी विमानों से बेहतर है.
यह विमान देश के सशस्त्र बलों के लिए टोही मिशन का काम कर सकता है. इस मानवरहित यान को अमेरिका के प्रिडेटर ड्रोन की भांति मानवरहित लड़ाकू यान के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है.
यह 280 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से उड़ सकता है और सभी रेंज में काम कर सकता है. खास बात ये है कि यह मानवरहित विमान है, जिसे जमीन से ही कंट्रोल किया जा सकता है.
बता दें कि रुस्तम-2 का नाम भारतीय वैज्ञानिक रुस्तम दमानिया के नाम पर रखा गया है. 80 के दशक में रुस्तम दमानिया ने एविएशन की दुनिया में जो रिसर्च किया उससे देश को बहुत फायदा हुआ था.