उत्तर प्रदेश में एक जुलाई से बेसिक शिक्षा के स्कूलों में प्रशासनिक काम शुरू हो जाएंगे. स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के शिक्षकों को स्कूल जाने की अनुमति होगी. स्कूलों में आवश्यकतानुसार शिक्षक और कर्मचारी बुलाए जाएंगे. इन स्कूलों में ई पाठशाला के माध्यम से क्लासेस चलती रहेंगी.
बेसिक शिक्षा के स्कूलों में बच्चों को आने की अनुमति नहीं रहेगी. सिर्फ टीचर्स को बुलाया जाएगा. शत-प्रतिशत नामांकन समेत कई जिम्मेदारियां दी जाएंगी. शिक्षक और कर्मचारी स्कूल बुलाए जाएंगे ताकि बच्चों का विद्यालयों में शत-प्रतिशत नामांकन कराना सुनिश्चित हो सके.
इसके अलावा मध्यान्ह भोजन योजना अंतर्गत प्रेषित परिवर्तन लागत की धनराशि छात्र छात्राओं अभिभावकों के बैंक खातों में समय से प्रेषित करना तथा ग्राम खाद्यान्न का विवरण कराने की भी जिम्मेदारी दी जाएगी.
शिक्षकों को बच्चों को निशुल्क पाठ्य पुस्तकों का वितरण कराने का काम भी सौंपा जाएगा. इसके अलावा परिषदीय विद्यालयों में ऑपरेशन कायाकल्प की गतिविधियों को भी पूरा कराना है. स्कूलों में मिशन प्रेरणा के अंतर्गत ई पाठशाला का संचालन कराना और जिला प्रशासन एवं शिक्षा विभाग द्वारा अन्य महत्वपूर्ण कार्य एवं दायित्व का संचालन भी करना होगा.
बता दें कि कोरोना वायरस के बढ़ते आंकड़ों के बीच, कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने बेसिक, प्राइमरी और हायर सेकेंड्री सभी स्कूलों को बंद कर दिया था. हरियाणा, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान सहित राज्यों में स्कूल फरवरी में दोबारा बंद कर दिए थे.
COVID-19 मामलों के बीच, यूपी समेत तमाम राज्यों ने बिना परीक्षा के ही छात्रों को प्रमोट करने की घोषणा कर दी थी. कोरोना वायरस के कारण पिछले साल भी सभी स्कूलों ने कक्षाएं रद्द कर दी थीं. इस दौरान स्कूलों ने ऑनलाइन कक्षाएं जारी रखी थीं. बढ़ते COVID-19 मामलों के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी स्कूलों में 15 मई तक गर्मी की छुट्टियां घोषित की थीं जो आगे फिर बढ़ा दी गई थीं.