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DU की डिग्री चाहिए तो 'एक पेड़ लगाओ, उसे बचाओ, सबूत लाओ'

दाखिला लेते वक्त जिस पेड़ को लगाने की तस्वीर साझा की जाएगी, उसे जियो टैगिंग किया जाएगा और जब उस कोर्स को समाप्त होने के बाद बारी डिग्री लेने की आएगी तो उस छात्र को ये सबूत देना होगा कि वो पेड़ सुरक्षित है.

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प्रतीकात्मक फोटो (getty)
प्रतीकात्मक फोटो (getty)

इस साल से दिल्ली यूनिवर्सिटी देशभर में हरियाली बढ़ाने के लिए एक अनूठी मुहिम शुरू कर रही है. जो भी छात्र किसी भी कोर्स में दाखिला लेने के लिए आएगा उसे एक पेड़ लगाना होगा और उसकी तस्वीर यूनिवर्सिटी के साथ शेयर करनी होगी. आम तौर पर देश में तमाम योजनाओं में ये मुहिम पेड़ लगाने के साथ ही खत्म हो जाती है, लेकिन इस बार इससे बात एक कदम आगे बढ़कर है. दाखिला लेते वक्त जिस पेड़ को लगाने की तस्वीर साझा की जाएगी, उसे जियो टैगिंग किया जाएगा और जब उस कोर्स को समाप्त होने के बाद बारी डिग्री लेने की आएगी तो उस छात्र को ये सबूत देना होगा कि वो पेड़ सुरक्षित है. 

दिल्ली यूनिवर्सिटी के कार्यवाहक वाइस चांसलर प्रोफेसर पीसी जोशी ने आजतक से बातचीत में बताया कि पिछले हफ्ते हमने इस बारे में फैसला लिया है. यूनिवर्सिटी के ही सेंटर फॉर हिमालयन स्टडीज़ की मदद से ये कार्यक्रम चलाया जाएगा. छात्रों को न सिर्फ पेड़ लगाने होंगे बल्कि उससे ज़्यादा जोर इस बात पर होगा कि वो पेड़ बचे रहें.  इसके लिए अलग-अलग कॉलेजों और विभागों को जिम्मेदारी दी जाएगी कि वो हर 6 महीने पर लगाए गए पेड़ों की जानकारी फोटो और जियो टैगिंग के जरिए अपडेट करेंगे. 

दिल्ली यूनिवर्सिटी का मानना है कि चूंकि संस्था की एक अलग पहचान देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में है. इसलिए इस तरह की स्कीम चलाने का विचार उनकी जेहन में आया और इस अकादमिक साल से उसे लागू भी कर दिया गया है.  हर छात्र को पेड़ लगाने के साथ ही उसकी सुरक्षा को लेकर इसलिए ज़ोर देने को कहा जा रहा है.

प्रोफेसर जोशी ने बताया कि छात्र कहीं भी ये पेड़ लगा सकते हैं. अगर कोई पहाड़ी इलाके से आता है तो वहीं के स्थानीय जलवायु से मेल खाने वाले पेड़ लगाए. ऐसा ही किसी कोस्टल और मरुस्थलीय इलाकों में रहने वाले छात्र भी अपने इलाके के अनुसार ही पेड़ या पौधे लगा सकते हैं लेकिन शर्त बस इतनी होगी कि जब वो डिग्री लेने आएगा तो वो पेड़ सुरक्षित होना चाहिए. 

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आजतक के इस सवाल पर कि अगर किसी वजह से पेड़ जिंदा नहीं रह पाता है तो क्या फिर उस छात्र को डिग्री नहीं दी जाएगी?  प्रोफेसर जोशी ने कहा कि ऐसी स्थिति में छात्रों को इस बात की जानकारी देनी होगी कि क्या किसी प्राकृतिक आपदा की वजह से पेड़ नहीं बच पाया या फिर कोई और वज़ह रही. ऐसा करने के पीछे देश भर के ग्रीन कवर को बढ़ाने की योजना है, जो फिलहाल कई विदेशी देशों की तुलना में 10 फीसदी से भी कम है. अगर ऐसा हो पाया तो बाकी शिक्षण संस्थान भी इसका अनुकरण करेंगे.

 

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