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CBSE के सिलेबस से हटाया गया तीन तलाक, अब BNS, BSA और BNSS के बारे में पढ़ेंगे बच्चे

सीबीएसई 11वीं-12वीं की विधि अध्ययन किताबों में बड़े बदलाव करने जा रहा है. नए सिलेबस में तीन तलाक, राजद्रोह और धारा 377 जैसे निरस्त कानून हटाए जाएंगे और उनकी जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS), BNSS, BSA के प्रावधान, अहम न्यायिक फैसले और हालिया कानूनी सिद्धांत शामिल होंगे.

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CBSE ने 11वीं और 12वीं के सिलेबस से फिर कुछ तथ्य हटाने का फैसला लिया है. (Photo: ITG)
CBSE ने 11वीं और 12वीं के सिलेबस से फिर कुछ तथ्य हटाने का फैसला लिया है. (Photo: ITG)

CBSE 11वीं और 12वीं कक्षा के सिलेबस में बदलाव करने जा रहा है. अब छात्रों को तीन तलाक, राजद्रोह और धारा 377 जैसे पुराने कानूनों की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS) और अन्य नए कानूनों के साथ-साथ भारत के कानूनी ढांचे को बदलने वाले अहम फैसलों और सिद्धांतों के बारे में पढ़ाया जाएगा.

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) 11वीं और 12वीं कक्षा के लीगल स्टडीज सिलेबस में तीन तलाक को हटाने, भारतीय न्याय संहिता (BNS) को लागू करने, राजद्रोह और समलैंगिकता को अपराध मानने वाली धारा 377 को हटाने जैसे विषयों को शामिल करने जा रहा है. इस फैसले के तहत, जिसे सीबीएसई की पाठ्यक्रम समिति और जून में शासी निकाय ने मंजूरी दी है, अब सीनियर सेकेंडरी के छात्र औपनिवेशिक दौर के पुराने कानूनों की जगह बने नए कानूनों और भारत के कानूनी ढांचे को बदलने वाले अहम फैसलों व सिद्धांतों को पढ़ेंगे. 

राजद्रोह और ट्रिपल तलाक को किताबों से हटाया गया

आधिकारिक रिकॉर्ड में कहा गया है, "सीबीएसई कानूनी अध्ययन की पाठ्यपुस्तकों को संशोधित और अद्यतन करने का प्रस्ताव करता है ताकि उनमें निम्नलिखित बातें शामिल हों: बीएनएस, बीएनएसएस और बीएसए के प्रमुख प्रावधान; ऐतिहासिक कानूनी निर्णय और हालिया कानूनी सिद्धांत; निरस्त या पुराने कानून (जैसे, राजद्रोह, धारा 377, ट्रिपल तलाक); एनईपी 2020 के साथ संरेखित एक आधुनिक, आकर्षक शिक्षाशास्त्र."  

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यह अपडेट 2023-24 में लागू किए गए कानूनी सुधारों के मद्देनजर आया है, जब भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) ने भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ले ली थी.

सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को बताया असंवैधानिक

मुस्लिम महिलाएं लंबे समय से ट्रिपल तलाक के खिलाफ लड़ती रही हैं. जबकि मुस्लिम धर्म गुरु ट्रिपल तलाक के पक्ष में खड़े थे. इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने बहुमत के साथ तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था. इससे उन लाखों महिलाओं को बड़ी राहत मिली था जो इस कुप्रथा के डर के साये में जा रही थी.

सीबीएसई अधिकारियों ने बताया कि सीनियर सेकेंडरी छात्रों में बुनियादी कानूनी जानकारी देने के लिए विधि अध्ययन की किताबें पांच साल पहले शुरू की गई थीं, लेकिन इसके बाद सुधार की रफ्तार धीमी पड़ गई. अब बोर्ड एक विशेषज्ञ समिति बनाएगा और जरूरत पड़ने पर एक सामग्री विकास एजेंसी भी नियुक्त करेगा, ताकि अपडेटेड किताबें 2026-27 सत्र तक तैयार हो सकें.

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