18वीं लोकसभा के पहले सत्र में पहले दो दिन सांसद शपथ लेंगे. सोमवार को भी कई सांसदों ने लोकसभा के सदस्य की शपथ ली. आपने देखा होगा कि एक-एक सांसद प्रोटेम स्पीकर के पास जाकर शपथ ले रहे थे, फिर कुछ पेपर्स पर साइन कर रहे थे. सभी चुनाव जीतने वाले सांसदों को एक निश्चित वक्त में शपथ लेना जरूरी होती है. लेकिन आपने सोचा कि जो सांसद जेल में हैं,उनका क्या होगा और वो किस तरह से पद की शपथ लेंगे. तो जानते हैं इस स्थिति में सांसदों को शपथ कैसे दिलाई जाती है और इसके क्या नियम हैं.
कौन कौन हैं जेल में?
पहले तो आपको बताते हैं कि अभी कौन-कौन से सांसद जेल में है. दरअसल, हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में उन दो लोगों ने चुनाव जीते हैं, जो जेल में बंद हैं. इसमें एक नाम है इंजीनियर शेख अब्दुल राशिद, जिन्होंने करीब 2 लाख वोटों से बारामूला सीट से जीत दर्ज की है. वे अभी यूएपीए के तहत दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद हैं. वहीं, दूसरा नाम अलगाववादी नेता अमृतपाल सिंह का है और उन्होंने भी करीब 1 लाख 97 हजार वोटों से पंजाब की खडूर साहिब से जीत दर्ज की है. वे अभी एनएसए के तहत असम के जेल में बंद हैं.
कैसे लेंगे शपथ?
बता दें कि हर चुने गए सांसद को 60 दिन में संसद में उपस्थित होना होता है और अगर ऐसा नहीं होता है तो उनकी सीट को रिक्त घोषित किया जा सकता है. ऐसे में अगर कोई सांसद जेल में बंद है तो उन्हें भी 60 दिन के अंदर एक बार संसद में जाना होगा. ऐसा पहली बार नहीं है कि कोई सांसद जेल में है, इससे पहले भी ऐसा हो चुका है.
इस स्थिति में उन्हें जेल से एक बार संसद लाया जाता है और उसके बाद वे पद की शपथ लेते हैं. अगर पिछले चुनाव की ही बात करें तो यूपी की घोटी सीट से सांसद अतुल कुमार सिंह चुनाव के बाद 2020 में वे जेल में थे और उन्हें जनवरी 2020 में शपथ दिलवाई गई थी.
अब जानते हैं क्या होता है प्रोसेस?
इस स्थिति में सांसद को संसद में लाना होता है और वहां उनकी शपथ की जाती है. उन्हें संसद तक लाया जाता है और संसद में वहां की सिक्योरिटी अंदर लेकर जाती है और फिर शपथ ग्रहण करवाई जाती है. इसके बाद सांसद को फिर से जेल में ले जाना होता है. हालांकि, इसके लिए पहले कोर्ट से परमिशन लेनी होती है और कोर्ट के आदेश के बाद ही ऐसा संभव है. किसी भी सांसद का शपथ लेना अधिकार है और इसके लिए कोर्ट अलग व्यवस्था करती है.
जैसे हाल ही में जेल में बंद इंजीनियर राशिद ने शपथ के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने एनआईए से जवाब मांगा है. इसके बाद 1 जुलाई को कोर्ट इस मामले में फैसला लेगा कि उन्हें किस तरह शपथ दिलवाई जाएगी. ऐसे में कोर्ट संबंधित जांच एजेंसी से बात करके सासंद को शपथ के लिए संसद में ले जाने का आदेश देती है. इसके बाद उन्हें फिर से जेल में जाना होता है, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद ही वे शपथ ले पाते हैं.
कैसे करते हैं काम?
सांसद की शपथ लेने के बाद अब सवाल है कि वे जेल से काम कैसे करेंगे. दरअसल, जब कोई सांसद जेल में बंद होता है तो वे अपने सांसद प्रतिनिधि बनाकर क्षेत्र में काम करते हैं. इस तरह से काम जब तक चल सकता है, तब तक कि कोर्ट दोषी मानकर कोई सजा ना सुना दै. अगर कोर्ट किसी सांसद को दोषी मानकर दो साल की सजा सुना देती है तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाएगी. इसके बाद इस सीट पर उप चुनाव होगा.