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SC कोर्ट ने पूछा- आखिर महिलाएं इसी साल नवंबर में होने वाली NDA परीक्षा में क्यों नहीं बैठ सकतीं?

तैयारियों के लिए अगले साल मई 2022 तक का समय देने की केंद्र की मांग अदालत ने ठुकराते हुए कोर्ट ने कहा कि परीक्षा के बाद अगर कोई समस्या आती है तो सरकार कोर्ट को सूचित कर सकती है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 14 नवंबर को होनी है NDA 2020 की प्रवेश परीक्षा
  • परीक्षा के बाद अगर कोई समस्या आती है तो सरकार कोर्ट को सूचित करेे:कोर्ट
  • अब अगले साल जनवरी के तीसरे सप्ताह में होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया है  कि महिला उम्मीदवारों को इसी साल नवंबर में NDA की प्रवेश परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाए. तैयारियों के लिए अगले साल मई 2022 तक का समय देने की केंद्र की मांग अदालत ने ठुकराते हुए कोर्ट ने कहा कि परीक्षा के बाद अगर कोई समस्या आती है तो सरकार कोर्ट को सूचित कर सकती है. 

अगले साल जनवरी के तीसरे सप्ताह में होगी सुनवाई

सुनवाई के दौरान केंद्र की मोहलत की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक साल की देरी सारी कवायद खत्म कर देगी. यह सोच कि  'आज कोई परीक्षा नहीं है,  परीक्षा कल होगी' ये रवैया महिलाओं की आकांक्षाओं के खिलाफ जाएगा. हम केंद्र द्वारा व्यक्त की गई कठिनाइयों को समझते और मानते हैं. इसलिए विशेषज्ञ समिति द्वारा इसे अंतिम रूप देने के सिलसिले में हम कुछ अस्थायी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रक्षा विभाग को थोड़ा रास्ता देंगे. 

जस्टिस एसके कौल ने कहा कि वैसे ही काफी देरी हो चुकी है. अब हम प्रक्रिया में और देरी नहीं करना चाहते लेकिन हम इस बारे में सटीक समय-सीमा नहीं तय करने जा रहे हैं कि किस तारीख तक UPSC को अधिसूचना जारी की जानी चाहिए. 

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अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार ने सूचित किया है कि वे पाठ्यक्रम और अन्य सुविधाएं तैयार करने की प्रक्रिया में हैं. लेकिन सरकार नवंबर 2021 में परीक्षा छोड़ने का प्रस्ताव कर रही है. अदालत ने कहा सशस्त्र बलों ने बहुत कठिन परिस्थितियों और आपात स्थितियों से निपटा है. उन्हें आपात स्थिति से निपटने के लिए ही प्रशिक्षित किया जाता है. वो इससे निपटने में निश्चित तौर पर सक्षम होंगे और सफल भी. 

इस बार कम हो सकती है उम्मीदवारों की संख्या

केंद्र सरकार की ओर से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि वे केवल एक परीक्षा छोड़ देंगे लेकिन मई 2022 में परीक्षा नहीं देंगे. कोर्ट ने कहा कि इस बार संख्या कम हो सकती है, लेकिन आप व्यवस्था कर सकते हैं। लेकिन अगली बार भी ऐसा ही हो सकता है. आप अभी से ही कुछ व्यवस्था करें. एएसजी भाटी ने कहा कि व्यवस्था करने के लिए कृपया हमें 6 महीने का समय दें. इस पर जस्टिस एस के कौल ने केंद्र से कहा कि हम आपके प्रयासों की सराहना करते हैं.

कोर्ट ने कहा कि हम यह भी जानते हैं कि महिलाओं के लिए आपको अलग से संसाधन जुटाकर और जरूरी इंतजाम करने होंगे. लेकिन हमें ये समझ नहीं आ रहा कि आखिर महिलाएं इसी साल नवंबर में होने वाली NDA परीक्षा में क्यों नहीं बैठ सकतीं? पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में केंद्र से भविष्य में उठाए जाने वाले कदम को लेकर जानकारी मांगी थी. 

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जवाबी हलफनामे में सरकार ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि रक्षा सेवाओं द्वारा एक अध्ययन समूह का गठन किया गया है. इसमें भारतीय सशस्त्र बलों के संयुक्त रक्षा सेवा प्रशिक्षण संस्थान और अधिकारियों के एक बोर्ड (वरिष्ठ लोगों की एक टीम) और विशेषज्ञ शामिल हैं जो महिला कैडेटों के लिए व्यापक पाठ्यक्रम तैयार करेंगे. अधिकारियों को NDA में महिला कैडेटों के प्रशिक्षण के लिए एक समग्र और भविष्य का प्रस्ताव देने के लिए बुलाया गया है. 

महिला अफसरों के लिए तैयार होंगे मानक

हलफनामे में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि पहले बैच में कितनी महिला कैडेटों को प्रशिक्षित किया जाएगा. बताया गया है कि ये भर्ती कैडर अनुपात और वांछित कैडर संरचना, विशिष्ट सेवा अकादमी में कैडर रखने की क्षमता, रोजगार आदि सहित कई कारणों पर  निर्भर करेगी. हलफनामे में कहा गया है कि पुरुषों के लिए तो पहले ही NDA के लिए शारीरिक मानदंड बनाए गए हैं. अब महिला अफसरोॉ के लिए भी उपयुक्त चिकित्सा मानक तैयार करने की प्रक्रिया जारी है. 

अकादमी में शामिल होने से पहले उन्हें ऐसा करने की जरूरत है. इसमें कहा गया है कि सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा महानिदेशालय और विशेषज्ञों का निकाय तीनों रक्षा सेवाओं के लिए आवश्यक अभ्यास करेगा और उनकी उम्र, प्रशिक्षण की प्रकृति जैसे विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए चिकित्सा मानकों का निर्धारण और निर्माण करेगा. थल सेना, नौसेना और वायु सेना की कार्यात्मक और परिचालन संबंधी आवश्यकताएं भी देखी जाएंगी. 

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हलफनामे में आगे कहा गया है कि आवास, प्रशिक्षण क्षमता, सुरक्षा और निजता के अलावा उनके रहने के क्वार्टरों , संबंधित भौतिक और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी उपायो, लिंग विशिष्ट सहायक आवश्यकताओं आदि के संदर्भ में अतिरिक्त प्रशासनिक और विविध आवश्यकताओं आदि से संबंधित विभिन्न सुविधाओं का काम किया जाएगा. इसमें कहा गया है कि महिला उम्मीदवारों के आवास के प्रमुख पहलुओं में से एक पुरुष और महिला आवासीय क्षेत्रों के बीच एक समुचित दूरी और अंतर रखना है. 

ऐश्वर्या भाटी की तारीफ की 

दरअसल, 18 अगस्त को अदालत ने निर्देश दिया था कि महिलाएं आगामी NDA  परीक्षा में भी बैठ सकती हैं. इस अंतरिम निर्देश के बाद  केंद्र सरकार ने 8 सितंबर को स्वीकार किया कि उसने महिला कैडेटों के लिए एनडीए के दरवाजे खोलने का सैद्धांतिक निर्णय लिया है, लेकिन वो इस साल के प्रवेश के लिए छूट चाहती है, जिसके लिए नवंबर में  परीक्षाएं आयोजित की जानी हैं. 

NDA के मौजूदा निदेशक भारतीय नौसेना के कैप्टन शांतनु शर्मा की ओर से दाखिल हलफनामे के मुताबिक यहां महिला कैडेट्स को सेना के तीनों अंगों में अफसर बनाने के लिए समग्र ट्रेनिंग के इंतजाम और उनके मानक तय किए जा रहे हैं. महिला कैडेट्स के लिए स्क्वाड्रन बिल्डिंग में रहने के केबिन आदि के इंतजाम के अलावा अर्दली, ड्यूटी अफसर और ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर्स के अलावा प्रशासनिक और अन्य प्रकार की ट्रेनिंग के मानदंड भी बनाए जा रहे हैं. 

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इनके अलावा अकादमी और खडकवासला के मिलिट्री अस्पताल में गायनिकोलोजिस्ट, फिजियोथेरेपिस्ट, स्पोर्ट्स मेडिसिन एक्सपर्ट्स, काउंसलर, नर्सिंग स्टाफ और लेडी एटेंडेंट्स की भी आवश्यकता के मुताबिक भर्ती की जा रही है. एएसजी ऐश्वर्या भाटी के जज्बे की तारीफ करते हुए हलफनामे में कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि अब इस कदम के बाद कोर्ट इस मामले का निपटारा कर दे क्योंकि याचिका का मकसद पूरा हो गया है. दरअसल, कुश कालरा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर महिलाओं को भी NDA में प्रवेश के निर्देश देने की मांग की थी.

 

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