scorecardresearch
 

जुबिन गर्ग की मौत: हादसा या हत्या की साजिश? अब न्यायिक आयोग उठाएगा सच से पर्दा

Zubeen Garg Death Case: जुबिन गर्ग की मौत महज एक हादसा नहीं, बल्कि असम की राजनीति, रसूख और अपराध के बीच उलझी सबसे बड़ी गुत्थी बन चुकी है. सिंगापुर से गुवाहाटी तक फैले इस केस में हत्या, मनी लॉन्ड्रिंग और आपराधिक साजिश के बड़े आरोप लगे हैं.

Advertisement
X
मशहूर सिंगर जुबिन गर्ग की सिंगापुर में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी. (File Photo: ITG)
मशहूर सिंगर जुबिन गर्ग की सिंगापुर में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी. (File Photo: ITG)

गुवाहाटी से लेकर सिंगापुर तक, संगीत की दुनिया में गूंजने वाली जुबिन गर्ग की आवाज अब रहस्यमयी मौत की गुत्थी में बदल चुकी है. असम सरकार ने इस हाई प्रोफाइल केस की जांच के लिए बड़ा कदम उठाते हुए न्यायिक आयोग का गठन किया है. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने घोषणा की है कि इस आयोग का नेतृत्व गुवाहाटी उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश न्यायमूर्ति सौमित्र सैकिया करेंगे.

इससे पहले गुवाहाटी की एक अदालत ने शुक्रवार को इस केस में अहम फैसला सुनाते हुए जुबिन गर्ग के बैंड के दो सदस्यों शेखरज्योति गोस्वामी और अमृतप्रभा महंत को 14 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया. दोनों से कई दिनों की पूछताछ के बाद गिरफ्तारी हुई थी. सीआईडी केस की तह तक पहुंचने के लिए हर एंगल से जांच कर रही है. विशेष पुलिस महानिदेशक मुन्ना प्रसाद गुप्ता ने इसकी पुष्टि की है.

उन्होंने कहा कि कामरूप महानगर जिले के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने रिमांड याचिका स्वीकार कर ली है. उनका कहना है, "गिरफ्तार किए गए सभी चार आरोपियों से पूछताछ जारी है. फिलहाल इससे ज्यादा खुलासा करना संभव नहीं है." जुबिन गर्ग की मौत 19 सितंबर को सिंगापुर में समुद्र में तैरते वक्त हुई थी. उस समय नौका पर मौजूद उनके बैंड के ये दोनों सदस्य अब मुख्य संदेह के घेरे में हैं. 

Advertisement

यही वजह रही कि उनकी भूमिका पर लगातार सवाल उठते रहे और अंततः गिरफ्तारी तक मामला पहुंचा. इससे पहले गर्ग के मैनेजर सिद्धार्थ शर्मा और महोत्सव आयोजक श्यामकानु महंत को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था. दोनों पर हत्या का आरोप है और वे भी फिलहाल 14 दिन की सीआईडी हिरासत में हैं. जुबीन गर्ग चौथे पूर्वोत्तर भारत महोत्सव में शामिल होने सिंगापुर गए थे. 

इस महोत्सव का आयोजन श्यामकानु महंत और उनकी कंपनी ने किया था. लेकिन यह महोत्सव अब वित्तीय अनियमितताओं और आपराधिक साजिश का केंद्र बनकर उभर रहा है. इस केस की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आयोजक महंत और गर्ग के मैनेजर समेत करीब 10 लोगों के खिलाफ असम में 60 से ज्यादा एफआईआर दर्ज हैं. ये सभी मामले अलग-अलग जिलों में दर्ज हुए हैं.

गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में जुबिन गर्ग का दूसरा पोस्टमार्टम भी किया गया था. हालांकि, अंतिम रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं आई है, क्योंकि विसरा के नमूने दिल्ली स्थित केंद्रीय फोरेंसिक प्रयोगशाला भेजे गए हैं. पुलिस का कहना है, "जैसे ही विसरा की जांच रिपोर्ट मिलेगी, मेडिकल कॉलेज की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी हमारे पास उपलब्ध होगी." यही रिपोर्ट इस केस की दिशा तय करेगी.

विशेष पुलिस महानिदेशक मुन्ना प्रसाद गुप्ता इस केस की जांच के लिए गठित एसआईटी का नेतृत्व कर रहे हैं. यह टीम सिंगापुर में हुई घटनाओं की भी तहकीकात कर रही है. लेकिन इस केस का सबसे बड़ा एंगल वित्तीय घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ता नजर आ रहा है. सीआईडी ने आयोजक श्यामकानु महंत के खिलाफ अलग जांच शुरू कर दी है. उन पर बेनामी संपत्तियां खरीदने का आरोप है.

Advertisement

25 और 26 सितंबर को सीआईडी ने श्यामकानु के घर पर छापेमारी की थी. इस दौरान चौंकाने वाले दस्तावेज बरामद हुए थे. इनमें एक ही कंपनी के नाम से बने कई पैन कार्ड, 30 सरकारी और निजी संस्थानों की स्टाम्प सील और बेनामी संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज शामिल थे. उनका पारिवारिक रसूख केस को और पेचीदा बना रहा है. वो असम के पूर्व पुलिस महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत के छोटे भाई हैं.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement