पंजाब के पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा का बेटा अकील अख्तर अगर नशे का शिकार और मानसिक रोगी था, तो फिर वो लगातार साल दर साल अपनी मां और पंजाब की मंत्री रही रज़िया सुल्ताना के लिए सियासी जलसों में भाग कैसे ले रहा था? वो उनके लिए चुनाव प्रचार कैसे कर रहा था? अब सामने आई अकील की कुछ नई तस्वीरों ने इस मिस्ट्री को गहरा कर दिया है. ये तस्वीरें उसके परिवार के दावों पर सवाल खडे़ करती हैं. इस बीच अब हरियाणा सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई के हवाले करने के लिए केंद्र सरकार को खत लिखा है.
पंजाब के पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा के बेटे अकील अख्तर की रहस्यमयी मौत का मामले में अब एक और नया ट्विस्ट आ गया है. असल में अब अकील की कुछ ऐसी तस्वीरें और वीडियोज सामने आए हैं, जिनमें वो ना सिर्फ बिल्कुल स्वस्थ और सामान्य नजर रहा है, बल्कि अपनी मां रज़िया सुल्ताना के साथ चुनाव प्रचार भी करता दिख रहा है. यहां तक कि एक वीडियो में अकील कांग्रेस पार्टी की एक छोटी सी बैठक को संबोधित भी कर रहा है.
जबकि अकील के पिता यानी पंजाब के पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा ने कई बार ये जोर देकर कहा है कि अकील पिछले 18 सालों से नशे का आदी था, उसे गंभीर मानसिक बीमारी थी और उसे बार-बार नशा मुक्ति केंद्र यानी डिएडिक्शन सेंटर आना-जाना पड़ता था. और उन्हें अकील की कही किसी बात का कोई मलाल नहीं है.
ऐसे में अकील के घर वालों पर कत्ल का इल्जाम लगाते हुए शिकायत दर्ज करवाने वाले मलेरकोटला के राजनीतिक कार्यकर्ता शम्सुद्दीन चौधरी ने ये सवाल खड़े किए हैं कि अगर अकील वाकई इतना ही नशे का आदी और बीमार था, तो फिर उन तस्वीरों का सच क्या है? फिलहाल अकील की जो तस्वीरें और वीडियोज सामने आए हैं, उनमें ज्यादातर वो हैं जिन्हें मलेरकोटला कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया पेज पर शेयर किया है.
असल में अकील की मां रजिया सुल्ताना ना सिर्फ मलेरकोटला से कांग्रेस की राजनीति करती रही हैं, बल्कि वो कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं. इन हालात में एक बेटे के तौर पर वो रज़िया सुल्ताना की सभाओं में एक बार नहीं कई बार नजर आ चुका है. पार्टी के सोशल मीडिया पेज पर दर्ज तारीखों पर गौर करें तो अकील की वो तस्वीरें साल 2017 से लेकर 2019 के बीच की हैं. जबकि दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि अकील ने 2022 में हुए पंजाब चुनाव में भी रजिया सुल्ताना के लिए प्रचार किया था और उस वक्त भी वो बिल्कुल नॉर्मल था.
अब सवाल उठता है कि एक ऐसा शख्स जो 18 सालों से एक से बढ़ कर एक खतरनाक नशे कर रहा हो, जिसके लिए खुद को संभालना भी मुश्किल होता हो, जिसे हमेशा घर वालों की देखभाल की जरूरत पड़ती हो और जिसे स्किजोफ्रेनिया से लेकर हैलुसिनेशन जैसी दिमागी बीमारी हो, वो आखिर सियासी जलसों ले कर चुनाव प्रचार तक में हिस्सा कैसे ले सकता है? जाहिर है अकील अख्तर की मौत की जांच के लिए बनाई गई हरियाणा पुलिस की एसआईटी अकील के घर वालों से ये सवाल भी पूछने की तैयारी कर रही है.
इस बीच एसआईटी चीफ विक्रम नेहरा ने ये साफ कर दिया है कि उनकी तरफ से मोहम्मद मुस्तफा समेत अकील के घर के बाकी सदस्यों को पूछताछ में शामिल होने के लिए नोटिस भेज दिया गया है. एसआईटी का कहना है कि वो इस मामले की जांच प्राथमिकता के आधार पर कर रही है और इस केस के सारे पहलुओं को खंगाला जाएगा.
विक्रम नेहरा ने कहा है कि अकील अख्तर के वीडियोज को देख कर तो इतना जरूर लगता है कि ये मामला पारिवारिक विवाद का है और ऐसे में अकील की मौत का सच जानने के लिए इस विवाद की तह तक जाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि वो और उनकी टीम अकील की मेडिकल हिस्ट्री की जांच करने के साथ-साथ उसके सोशल मीडिया हैंडल को भी एक्सप्लोर करेगी. उसके गैजेट्स और दूसरी जरूरी चीजों को भी जांच होगी और उसके वीडियोज की फॉरेंसिक एनालिसिस भी होगी, ताकि उसके आरोपों और घर वालों के जवाब का सच जाना जा सके.
इससे पहले ये जानकारी सामने आई थी कि पोस्टमार्टम के दौरान डॉक्टरों ने अकील के दाहिने हाथ में कोहनी के ऊपर एक इंजेक्शन मार्क नोटिस किया है. जिसका जिक्र उन्होंने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में किया है. अब सवाल ये है कि आखिर ये मार्क किस इंजेक्शन का है? क्या ये कोई ऐसा इंजेक्शन है, जो अकील ने खुद ही नशे की खुराक के लिए अपनी बांह पर लगाया था? या फिर किसी और ने उसके शरीर में ये इंजेक्शन लगाया, ताकि उसे दवा की कोई डोज़ दी जा सके?
नशे के आदी लोगों के शरीर पर इंजेक्शन मार्क का होना कोई नई बात नहीं है. आम तौर पर ऐसे लोग नशे की खुराक लेने के लिए अपनी बांह पर इंजेक्शन लगाते हैं. लेकिन ज्यादातर लोगों के बांये हाथ पर ही इंजेक्शन का निशान होता है, क्योंकि आम तौर पर लोग दांये हाथ से ही इंजेक्शन लगाते हैं. ऐसे केस में इंजेक्शन के एक नहीं, बल्कि मल्टीपल निशान होते हैं. लेकिन यहां दाहिने हाथ में कोहनी के ऊपर मौजूद एक अदद इंजेक्शन का निशान ये सवाल खड़े करता है कि आखिर ये मार्क किसी इंजेक्शन का है?
डॉक्टर की ओर से दी गई किसी दवा का या फिर नशे का? और ये इंजेक्शन लगाया किसने है? पत्रकारों ने सुई के इस संदिग्ध निशान को लेकर भी एसआईटी चीफ से सवाल किए, जवाब में उन्होंने कहा कि अभी केस अंडर इन्वेस्टीगेशन है, तो उस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. लेकिन जो भी चीज़ें पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आई हैं, हमारी जांच में उन्हें प्राथमिकता पर रखेंगे. अगर उनका संबंध कोज़ ऑफ डेथ से है, तो उन्हें जांच में शामिल करेंगे.
वैसे एसआईटी का दावा चाहे जो भी हो, इस मामले में एफआईआर दर्ज करवाने वाले शम्सुद्दीन चौधरी अब एसआईटी जांच की रफ्तार से नाखुश नजर आ रहे हैं. चौधरी ने कहा कि एक तरफ तो अकील के सारे गैजेट्स, डायरी और दूसरी चीजें पुलिस ने अब तक अपने कब्जे में नहीं ली है और ना ही आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है, दूसरी और खुद पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा और उसके फॉलोअर्स उस पर दबाव बनाने और उसे धमकाने की कोशिश कर रहे हैं. इसलिए उसे लगता है कि इस मामले की जांच सीबीआई को ही दे दी जानी चाहिए, ताकि सच सामने आ सके.
आपको बता दें कि पंजाब के पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा के बेटे अकील अख्तर की मौत पंचकूला के अपने घर में 16 अक्टूबर को रहस्यमयी परिस्थितियों में हो गई थी. जिसे घर वालों ने दवाओं के ओवरडोज़ का मामला बताया था. लेकिन इसके कुछ दिन बाद अकील अख्तर का एक वीडियो सामने आया, जिसमें अकील ने अपने पिता और घर वालों से खुद की जान को खतरा बताते हुए घर वालों पर और भी कई संगीन इल्जाम लगाए थे. इस वीडियो के सामने आने के बाद अकील की मां रजिया सुल्ताना के पड़ोसी रहे एक शख्स शम्सुद्दीन चौधरी ने अकील के पिता और बाकी के घरवालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी.
हालांकि अकील के पिता मोहम्मद मुस्तफा ने वीडियो में अपने बेटे की तरफ से कही गई सारी बातों को ये कहते हुए झुठला दिया था कि उनका बेटा 18 सालों से नशे का आदी रहा है और मानसिक रूप से बीमार था. ऐसे में उसकी कही गई बातों का कोई मतलब नहीं है. बहरहाल, इस रहस्यमयी मौत के बाद अब एसआईटी को अकील अख्तर के विसरा रिपोर्ट का इंतजार है, ताकि मौत की सही वजह का पता चल सके, क्योंकि उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कॉज ऑफ डेथ यानी मौत की वजह क्लीयर नहीं है.
(सहारनपुर से राहुल कुमार और पंचकूला के कमलजीत कौर के साथ अमन भारद्वाज का इनपुट)