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दूसरे देशों के कॉन्टेक्ट-ट्रेसिंग ऐप्स की तुलना में कहां टिकता है ‘आरोग्य सेतु’?

आरोग्य सेतु के अब तक 9.08 करोड़ यूजर्स हो चुके हैं. केंद्र सरकार ने आरोग्य सेतु को सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के सभी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य कर दिया है.

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आरोग्य सेतु ऐप (फाइल फोटो)
आरोग्य सेतु ऐप (फाइल फोटो)

  • डेटा प्रोटेक्शन कानून नहीं होने की वजह से हो सकता है दुरुपयोग
  • भविष्य में आरोग्य सेतु के सोर्स कोड को किया जा सकता है सार्वजनिक

कई देशों ने कोरोना वायरस की दूसरी लहर को रोकने के कदमों के तहत डिजिटल संपर्क ट्रेसिंग को अपनाया है. लेकिन भारत के आरोग्य सेतु ऐप को लेकर निजता (प्राइवेसी) संबधी चिंताएं सामने आई हैं. हालांकि ये ऐप चीन के ऐप जितना आक्रामक नहीं है. कुछ विशेषज्ञ आरोग्य सेतु को लेकर आगाह कर रहे हैं कि टूल का निगरानी दुरुपयोग हो सकता है, क्योंकि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में कोई मजबूत डेटा-सुरक्षा कानून मौजूद नहीं हैं.

डिजिटल राइट्स की वकालत करने वाले ग्रुप ‘सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर’ के लीगल डायरेक्टर प्रशांत सुगाथन कहते हैं, ''जैसा कि बाकी लोकतांत्रिक देशों की ओर से किया गया है, कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग ऐप केवल स्वैच्छिक होना चाहिए और अनिवार्य नहीं होना चाहिए."

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आरोग्य सेतु के अब तक 9.08 करोड़ यूजर्स हो चुके हैं. केंद्र सरकार ने आरोग्य सेतु को सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के सभी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य कर दिया है. यह प्ले स्टोर पर सबसे ज्यादा डाउनलोड किया जाने वाला ऐप रहा है.

टेक्नोलॉजी, सुरक्षा

आरोग्य सेतु ब्लूटूथ और जीपीएस लोकेशन डेटा दोनों पर काम करता है. आरोग्य सेतु से लोकेशन डेटा एक एन्क्रिप्टेड फॉर्मेट में सेंट्रलाइज्ड सर्वर पर स्टोर किया जाता है. इसका इस्तेमाल या तो यूजर की सहमति के माध्यम से किया जाता है या फिर तब जब किसी शख्स का टेस्ट पॉजिटिव आता है.

सुगाथन ने कहा, "हमें डेटा न्यूनतम और डिसेंट्रलाइज्ड नजरिया अपनाना चाहिए जैसा कि अधिकतर देशों की ओर से किया जा रहा है. हमने बहुत कम सुरक्षा उपायों के साथ सेंट्रलाइज्ड एप्रोच को चुना है."

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वर्तमान में, आरोग्य सेतु स्टैटिक (स्थिर) पहचान का उपयोग करता है, जो एक फिक्स्ड डिजिटल आईडी है जो यूजर को सौंपी जाती है. डायनामिक आईडी की तुलना में स्टेटिक पहचान गोपनीयता मापदंडों पर कम सुरक्षित है.

सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रो के विजयराघवन ने इंडिया टुडे को बताया कि ऐप जल्द ही डायनामिक-पहचान सुविधाओं से लैस होगा. एप्लिकेशन का सोर्स कोड अब तक सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, जिस पर गोपनीयता के पैरोकारों की ओर से सवाल उठाए गए हैं.

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सोर्स कोड की ओर से एक प्रोग्राम या ऐप की बुनियादी बनावट को बनाया जाता है, जिसमें इसके सभी कमांड होते हैं. सोर्स कोड के माध्यम से, स्वतंत्र शोधकर्ता किसी ऐप के कामकाज का टेस्ट कर सकते हैं. प्रो विजयराघवन ने इंडिया टुडे को बताया कि निकट भविष्य में आरोग्य सेतु सोर्स कोड को भी सार्वजनिक किया जाएगा, जिससे कोई भी इसके कामकाज को टेस्ट कर सके.

डेटा संरक्षण स्थिति

सैन फ्रांसिस्को स्थित टिकल लाइफ टेक फर्म के सह-संस्थापक पराग गुप्ता ने अपनी टिप्पणियों में व्यक्तिगत और कारोबारी डेटा के लिए सख्त वैधानिक सेफगार्ड्स की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने एक कुशल कॉन्टेक्ट-ट्रेसिंग टूल के तौर पर आरोग्य सेतु की प्रशंसा की.

गुप्ता ने कहा, "व्यक्तिगत डेटा संरक्षण बिल के अगले मसौदे के साथ व्यक्तियों और कंपनियों के डेटा की सुरक्षा को लेकर नीति निर्माताओं की ओर से बहुत कुछ अपेक्षित है, खास तौर पर जब ऐसी सरकारी पहल की बात आती है.”

मौजूदा स्थिति में प्रस्तावित बिल एक संसदीय पैनल के विचाराधीन है. इसमें कहा गया है कि किसी नागरिक से कोई डेटा एकत्र नहीं किया जाएगा, जब तक कि उसकी सहमति कानून की ओर से निर्धारित तरीके से नहीं ली गई हो.

गुप्ता ने आगे बताया, ''आरोग्य सेतु जीपीएस और ब्लूटूथ डेटा के मिश्रण का इस्तेमाल करता है, जो दुनिया भर में कॉन्टेक्ट ट्रैकिंग ऐप में मौजूदा मानक है. उन्होंने कहा, "Google / Apple के संयुक्त प्रयास से जब कुछ ठोस सामने आएगा तो चीज़ें अलग दिख सकती हैं. लेकिन तब ये सक्षम और तेज है और लोगों को असल समझ दे सकता है कि वे खुद को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं.”

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यूके इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में बायोमेडिकल इंजीनियर और कार्यकारी अध्यक्ष डॉ पीटर बैनिस्टर ने जोर देकर कहा कि सार्वजनिक विश्वास जीतने की कुंजी आरोग्य सेतु जैसे सेंट्रलाइज्ड डेटाबेस के साथ कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग एप्लिकेशन का सफल अमल है.

डॉ. बैनिस्टर ने कहा, "अध्ययनों से लगातार पता चला है कि लोग सरकार के साथ-साथ बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ डेटा साझा करने में भी समान हिचक रखते हैं. जबकि ये अकेले संगठन हैं जो एक समाधान देने में सक्षम हैं. ऐसा समाधान जो हमें प्रबंधन करने और आखिरकार बीमारी पर पार पाने में मदद करेगा.’’

उन्होंने कहा, "इसके अलावा, आबादी से जुड़े डेटा तक पहुंच से अधिक सुलझा विश्लेषण किया जा सकता है. इसमें वो दृष्टिकोण शामिल हैं जो अभी तक तैयार नहीं हुए हैं. हालांकि, इस पहलू का मतलब है कि लोगों को भागीदारी के लिए आश्वस्त करने में डेटा के इस्तेमाल और चुने गए चुने गए माध्यम पर बड़े पैमाने पर भरोसा अहम है.”

चीन कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग

चीन का कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के जरिए डेटा निगरानी का स्तर दुनिया में सबसे ऊंचा है. किसी भी अन्य देश के विपरीत, चीनी ऐप एक स्टैंड-अलोन टूल नहीं है. यह देश के कई लोकप्रिय पेमेंट, मैसेजिंग और सर्च इंजन ऐप्स में एम्बेडेड है.

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इसके यूजर्स उन होस्टिंग एप्लिकेशन से एल्गोरिदम-आधारित रेटिंग प्राप्त करते हैं. ये अनिवार्य है कि यूजर्स अपने नाम, पते, राष्ट्रीय पहचान, पासपोर्ट और फोन नंबर की जानकारी दें. चीनी ऐप का इस्तेमाल इलाकों के हिसाब से अलग होता है. Covid-19 जोन में यात्रा करने के लिए ये अनिवार्य है.

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जीपीएस, वाईफाई, ब्लूटूथ, वित्तीय लेनदेन, कॉल और संदेशों का इस्तेमाल करते हुए, ऐप यूजर्स की जानकारी को सेंट्रलाइज्ड तरीके से इकट्ठा करता है. इनमें फिजिकल डिजिटल कॉन्टेक्टस, लोकेशन और वित्तीय कॉन्टेक्ट डिटेल्स शामिल हैं. किसी यूजर के स्वास्थ्य डेटा का तब इस्तेमाल यात्रा अनुमतियों को देने या अस्वीकार करने के लिए किया जाता है.

दक्षिण कोरिया कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग

चीन के बाद उच्च डेटा निगरानी में संभवत: दक्षिण कोरिया का नंबर आता है. इसने सख्त रेग्युलेशन वाली ट्रेसिंग और टेस्टिंग रणनीति को अपनाया है. चूंकि दक्षिण कोरिया में लॉकडाउन नहीं है और इसके लगभग आधे केस ऐसे लोगों के हैं जो बाहर से आए हैं, इसलिए यहां विजिटर्स के लिए ट्रैकिंग ब्रेसलेट पहनना अनिवार्य है.

सरकार के अपने कोरोना 100m ऐप के अलावा, देश में अन्य निजी ट्रैकिंग और मैपिंग टूल और रिस्टबैंड का भी उपयोग किया जाता है. दक्षिण कोरियाई अधिकारी यूजर्स डेटा एकत्र करने के लिए सीसीटीवी फुटेज, वित्तीय लेनदेन और जीपीएस लोकेशन का उपयोग करते हैं. कॉन्टेक्ट-ट्रेसिंग यात्रियों, पॉजिटिव केस के संभावित कॉन्टैक्ट्स और क्वारनटीन किए गए लोगों के लिए सख्त है.

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एक बार जब किसी व्यक्ति पॉजिटिव टेस्ट आता है तो उसके मूवमेंट, ट्रैवल रूट, उम्र और लिंग की जानकारी उस इलाके के सभी लोगों को दी जाती है. ऐप उन लोगों के लिए आंशिक अनिवार्य है जिनके बारे में अधिकारियों को लगता हैं कि वो जोखिम में हैं. पॉजिटिव केस के बारे में लोकेशन आधारित चेतावनी का मैसेज सभी को भेजा देता है. इससे यह संदेह पैदा होता है कि सरकार सभी सेल फोन का लोकेशन ट्रैकिंग कर रही हो सकती है.

सिंगापुर कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग

सिंगापुर का ट्रेसटुगेदर ऐप ब्लूटूथ हैंडशेक टेक्नोलॉजी पर काम करता है, जो एक व्यक्ति के सभी फिजिकल कॉन्टेक्ट्स का रिकॉर्ड रखता है. यह यूजर का लोकेशन डेटा इकट्ठा नहीं करता है. एक बार जब किसी व्यक्ति का टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो उसके ब्लूटूथ संपर्कों को अलर्ट किया जाता है और उसी के मुताबिक सलाह दी जाती है.

एप्लिकेशन का इंस्टालेशन स्वैच्छिक है. लेकिन सरकार अब सभी को इसे इंस्टाल करने की अपील कर रही है. क्योंकि देश को महामारी को शुरुआती स्टेज मे काबू में रखने के बाद अब दूसरी लहर का सामना करना पड़ रहा है. ऐप कम्युनिकेशन के लिए यूजर के मोबाइल फोन नंबर को इकट्ठा करता है और पहचान के लिए रैंडम अनाम आईडी बनाता है. डेटा एक सेंट्रलाइज्ड सर्वर पर एकत्र है और इसका सोर्स कोड सार्वजनिक है. सुरक्षा विशेषज्ञों को ऐप की कार्यक्षमता का टेस्ट करने की अनुमति देता है. एक यूजर अगर ट्रेसिंग से बाहर निकलना चाहता है तो वो अपने फोन नंबर के साथ ईमेल लिख सकता है.

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इजराइल कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग

Covid-19 केसों की पहचान के लिए सेल फोन्स की बड़े पैमाने पर निगरानी के लिए इज़राइली स्वास्थ्य मंत्रालय ने द शील्ड नामक ऐप चुना. यह ऑप्ट-इन एप्लिकेशन अनिवार्य नहीं है लेकिन सरकार की ओर से इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. ऐप जीपीएस और वाईफाई डेटा एकत्र करता है और इसे यूजर के फोन पर स्टोर करता है. यह यूजर्स को उनके किसी भी कॉन्टेक्ट के Covid-19 टेस्ट में पॉजिटिव आने पर सचेत करता है.

ऑस्ट्रेलिया कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग

ऑस्ट्रेलिया का COVIDSafe ऐप ब्लूटूथ हैंडशेक पर काम करता है और पिछले 21 दिनों के फिजिकल कॉन्टेक्ट्स का रिकॉर्ड रखता है. डेटा को यूजर्स के फोन पर स्थानीय रूप से संग्रहीत किया जाता है बशर्ते कि उनका टेस्ट पॉजिटिव न आए. पॉजिटिव आने की स्थिति में यह अमेजन ऑनलाइन सर्विसेज की ओर से होस्ट किए गए सेंट्रलाइज्ड सर्वर्स को भेजा जाता है. यह यूजर का नाम, आयु, फोन नंबर और पोस्टकोड एकत्र करता है. इसका इंस्टालेशन स्वैच्छिक है. लेकिन प्रधानमंत्री ने इंस्टाल करने के लिए लोगों से अपील की है.

ब्रिटेन कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग

यूनाइटेड किंगडम के स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार को एनएचएस ट्रैकिंग ऐप का पहला ट्रायल संस्करण निकाला. यह ब्लूटूथ हैंडशेक और रैंडमाइज्ड आईडी पर काम करता है. डेटा एक सेंट्लाइज्ड सर्वर पर स्टोर होता है. यूजर्स को व्यक्तिगत डेटा साझा करने की आवश्यकता नहीं है. जब तक कि वे टेस्ट पॉजिटिव टेस्ट न हो और आगे कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के लिए अपने रिकॉर्ड जमा करने का फैसला लें. ऐप के लिए अभी भी शुरुआती दिन हैं और सरकार ने कहा है कि फीडबैक के आधार पर, टूल को निकट भविष्य में बाकी की आबादी के लिए रोल आउट किया जाएगा.

अमेरिका कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग

अमेरिका की संघीय सरकार ने अब तक किसी भी संपर्क-ट्रेसिंग ऐप को शुरू नहीं किया है. लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि उनके प्रशासन की नज़र टेक दिग्गजों Google और Apple की आगामी साझा पहल पर होगी, जिनसे उम्मीद की जाती है कि वे ब्लूटूथ तकनीक पर आधारित ऐप पेश करने में मदद करेंगी. जिससे कि सरकारों को अतीत के मामलों का पता लगाने में मदद मिल सके. इस कार्यक्रम के तहत यूजर्स के जीपीएस लोकेशन को एकत्र नहीं किया जाएगा. Google और Apple ने कहा है कि उन्हें इस प्रोजेक्ट के इस महीने के आखिर तक शुरू होने की उम्मीद है.

कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग ऐप्स को WHO का समर्थन

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने महामारी पर काबू रखने में मददगार के रूप में कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग एप्लिकेशन का समर्थन किया है. लेकिन साथ ही जोर देकर कहा है कि इनका इस्तेमाल Covid-19 के रिस्पॉन्स तक ही सीमित होना चाहिए.

WHO के कार्यकारी निदेशक डॉ माइकल रयान ने इंडिया टुडे को बताया, "विभिन्न देश अलग-अलग ऐप का उपयोग कर रहे हैं. यह संपर्क साधने में मदद कर रहा है. यह कई तरह से पब्लिक अथॉरिटीज की मदद करता है, जैसा कि हमने दक्षिण कोरिया में देखा. हर देश में एक अलग ‘ऑप्ट’ या ‘ऑप्ट आउट’ प्रक्रिया होती है. यह अहम है कि सरकारें यह सुनिश्चित करें कि डेटा का इस्तेमाल सिर्फ़ Covid-19 रिस्पॉन्स के लिए किया जाए."

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