धरती पर तबाही का दूसरा नाम बन चुके कोरोना का आखिर कब होगा इलाज, ये एक ऐसा सवाल है जिस पर दुनिया भर के वैज्ञानिक काम कर रहे हैं. कोई कोरोना की दवा बनाने का दावा कर रहा है तो कोई वैक्सीन.कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में भारत को भी बड़ी कामयाबी मिली है.
देश में करीब 30 ग्रुप कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं. इनमें बड़ी इंडस्ट्री से लेकर शैक्षिक संस्थान शामिल हैं. इन 30 में से 20 समूह बेहतर राह पर हैं. वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के विजय राघवन ने कहा कि इंडिया में चार तरह के वैक्सीन बनाए जा रहे हैं.
देश में तीन तरह के टेस्ट विकसित हो चुके हैं, जबकि चौथी की भी पूरी तैयारी है. पहले टेस्ट में तो खुद सरकार टीका तैयार करने में लगी हुई है. दूसरा बाहर की कंपनियों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है. तीसरा जो बाहर लोग इस पर काम कर रहे हैं, उन्हें सरकार लीड कर रही है.
अक्टूबर तक मिल सकती है सफलता
सरकार का दावा है कि वैक्सीन बनाने के मामले में अक्टूबर तक कुछ कंपनियों को इसकी प्री-क्लीनिकल स्टडीज तक पहुंचने में सफलता मिल सकती है. कोरोना वैक्सीन बनाने के मामले में भारत दुनिया के दूसरे देशों से बाजी मार सकता है. इसकी वजह है कि दुनिया में बने हर तीन वैक्सीन में से दो भारत में बने हैं. यानी वैक्सीन बनाने में भारत की सफलता की दर काफी ज्यादा है.
‘द ग्रेट वैक्सीन हंट’ के साथ एंटी-वैक्सीन मुहिम ने भी पकड़ा ज़ोर
फिलहाल जेनेटिक मटीरियल टेस्ट आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जा रहा है. टीका बनाने के लिए छात्रों का हैकाथॉन किया जा रहा है. इन तमाम टेस्ट की ICMR से जांच कराई जाएगी. RT-PCR टेस्ट कोरोना वायरस की मौजूदगी पहचानने के लिए होता है, फिर चाहे शख्स में कोविड 19 के लक्षण हों या नहीं.
बड़ी-बड़ी बीमारियों ने किया सरेंडर
अगर शख्स बिना लक्षण वाला है और उसमें वायरस है तो भी इस टेस्ट में वायरस की पहचान हो जाती है. अभी तक कोरोना वायरस की बुनियादी प्रकृति में कोई भी बदलाव देखने को नहीं मिला है. ऐसे में अगले कुछ महीनों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तर पर निजी तौर पर किए जाने वाले परीक्षण उपलब्ध होंगे, जिसमें कई भारत से होंगे. भारत के टीका बनाने की सफलता के इतिहास को देखते हुए दुनिया को ये खुशखबरी हिंदुस्तान से मिल सकती हैं. जहां बड़ी-बड़ी बीमारियों ने सरेंडर किया है.