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MRP में ही शामिल हो GST, शॉपिंग मॉल-रेस्‍टोरेंट को जारी हो सकता है आदेश

रोजमर्रा के कई उत्‍पादों पर जीएसटी के नाम पर अवैध वसूली हो रही है. इसको देखते हुए जीएसटी परिषद शॉपिंग मॉल, रेस्‍टोरेंट और अन्‍य आउटलेट्स को निर्देश जारी कर सकती है.

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MRP में ही शामिल हो GST
MRP में ही शामिल हो GST

रोजमर्रा के कई उत्‍पादों पर जीएसटी के नाम पर अवैध वसूली हो रही है. इसको देखते हुए जीएसटी परिषद शॉपिंग मॉल, रेस्‍टोरेंट और अन्‍य आउटलेट्स को निर्देश जारी कर सकती है. इस निर्देश में इन बिजनेस को मैक्‍स‍िमम रिटेल प्राइस (एमआरपी) में ही जीएसटी को शामिल हो, यह सुनिश्चित करने के लिए कहा जाएगा.

हो रही अवैध वसूली

दरअसल जीएसटी लागू होने के बाद केंद्र सरकार को लगातार जीएसटी के नाम पर अवैध वसूली किए जाने की शिकायत मिल रही है. मेल टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक इसको देखते हुए जीएसटी को लेकर बने मंत्री समूह ने इस संबंध में एक नया आदेश जारी करने का सुझाव जीएसटी परिषद को दिया है.

10 नवंबर को हो सकता है फैसला

रिपोर्ट के मुताबिक इस मुद्दे को लेकर जीएसटी परिषद की अगली बैठक में फैसला लिया जा सकता है. जीएसटी परिषद की अगली बैठक गुवाहाटी में 10 नवंबर को होनी है.

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MRP से ज्‍यादा वसूली अपराध हो

मंत्री समूह ने सुझाव दिया है कि जीएसटी परिषद को ये साफ कर देना चाहिए कि एमआरपी किसी भी उत्‍पाद का अधिकतम खुदरा मूल्‍य है. ऐसे में MRP से ज्‍यादा वसूली करना अपराध माना जाए. कई जगहों पर पानी की बोतल समेत कई उत्‍पादों पर एमआरपी होने के बावजूद उन पर जीएसटी के नाम से अवैध वसूली की जा रही है.

जीएसटी में लगातार हो रहा बदलाव

एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने बताया कि जीएसटी परिषद कारोबारियों और आम लोगों से मिल रही प्रतिक्रियाओं के आधार पर जीएसटी में लगातार बदलाव कर रही है. ऐसे में इन शिकायतों की तरफ भी परिषद की नजर है और इन पर जल्‍द ही कुछ आदेश जारी किया जा सकता है.

उपभोक्‍ता मंत्रालय का यह है निर्देश

MRP को लेकर जुलाई महीने में ही उपभोक्‍ता मंत्रालय  तस्‍वीर साफ कर चुका है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक एमआरपी में जीएसटी लगा हुआ है. इसलिए उससे ज्यादा दाम में कोई चीज़ आपको नहीं बेची जा सकती.

कंपनी को देनी होगी जानकारी

इसके अलावा अगर किसी उत्पाद का एमआरपी, जीएसटी के तहत बढ़ रहा है तो कंपनी को इसकी जानकारी न्यूज़पेपर में एड के जरिये देनी होगी और साथ ही नई एमआरपी का स्टीकर पुराने स्टीकर के साथ उत्पाद पर चिपकाना होना. इन सब बदलावों के लिए मंत्रालय ने ट्रेडर्स को 60 दिन का वक्त दिया था.

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