भारत को दाल की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए चालू वित्त वर्ष में एक करोड़ टन तक दालों का आयात करना होगा. उद्योग मंडल एसोचैम के एक अध्ययन में कहा गया है कि मांग-आपूर्ति के अंतर को पाटने और कीमत नियंत्रण के लिए भारी मात्रा में दलहन आयात की जरूरत है.
इस साल दालों का उत्पादन घटने का अनुमान
वित्त वर्ष 2014-15 में भारत ने 44 लाख टन दलहन का आयात किया था. अध्ययन में कहा गया है कि बारिश कमजोर रहने की वजह से इस साल दलहन उत्पादन घटकर 1.7 करोड़ टन रहने का अनुमान है. 2014-15 में यह 1.72 करोड़ टन रहा था. इसके अलावा मांग बढ़ने की वजह से कुल 1.01 करोड़ टन दाल आयात की जरूरत होगी.
मांग-आपूर्ति के अंतर की भरपाई मुश्किल
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर आपूर्ति में अड़चनों की वजह से इस मांग-आपूर्ति के अंतर की भरपाई मुश्किल होगी. एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा, इस साल हम मुश्किल स्थिति का सामना कर रहे हैं, लेकिन हम इसे जारी नहीं रहने दे सकते. इससे प्रतिकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनेगा और नकारात्मक संवाद की स्थिति पैदा होगी. इसके अलावा खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे जिसका प्रभाव मुख्य मुद्रास्फीति पर दिखेगा.
महाराष्ट्र खरीफ दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक
महाराष्ट्र खरीफ दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक है. उसकी हिस्सेदारी 24.9 फीसदी की है. उसके बाद कर्नाटक 13.5 फीसदी, राजस्थान 13.2 फीसदी, मध्य प्रदेश 10 फीसदी और उत्तर प्रदेश में 8.4 फीसदी का नंबर आता है. इन पांच राज्यों की देश के कुल खरीफ दलहन उत्पादन में 70 फीसदी हिस्सा बैठता है.