कैफे कॉफी डे के दिवंगत संस्थापक वी.जी. सिद्धार्थ ने उन ईकाइयों के जरिए करीब 1,000 करोड़ रुपये का लोन लिया था, जिनमें उनकी व्यक्तिगत हिस्सेदारी थी. एक आर्थिक अखबार ने यह खुलासा किया है. लापता होने के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हुए लेटर में भी सिद्धार्थ ने यह कहा था कि कर्जदाताओं और एक प्राइवेट इक्विटी पार्टनर का उनके ऊपर दबाव बढ़ता जा रहा था.
वी.जी. सिद्धार्थ सोमवार शाम से लापता थे और बुधवार सुबह मंगलुरु के पास नेत्रावती नदी में उनका शव मिला. ऐसा माना जा रहा है कि वे विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला नहीं कर पाए और उन्होंने नेत्रावती नदी में कूदकर जान दे दी.
अखबार ने कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय से हासिल दस्तावेजों के आधार पर यह खुलासा किया है. इस बीच कैफे कॉफी डे चेन का संचालन करने वाली कंपनी कॉफी डे एंटरप्राइजेज के बोर्ड ने कहा है कि वह लेटर में सिद्धार्थ द्वारा किए गए दावों की जांच करेगा, जिसमें यह दावा भी है कि कंपनी के प्रबंधन, ऑडिटर और बोर्ड की जानकारी से इतर उन्होंने बाहर से कर्ज लिए थे.
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, देवदर्शिनी इन्फो टेक्नोलॉजीज, गोनिबेदु कॉफी और कॉफी डे कंसोलिडेशन वे मुख्य ईकाइयां हैं, जिनके द्वारा ये कर्ज लिए गए. सितंबर 2014 में देवदर्शिनी ने ऑप्शनली कन्वर्टिबल डिबेंचर (OCD) के जरिए मॉरीशस की स्टैंडर्ड चार्टर्ड प्राइवेट इक्विटी, क्रेडिट अपॉच्युनिटी फंड और मॉरीशस की ही एशिया क्रेडिट अपॉर्च्युनिटीज से 471 करोड़ रुपये का लोन लिया था.
नवंबर, 2018 में देवदर्शिनी ने एसएसजी एशिया से 300 करोड़ रुपये जुटाए और इसके द्वारा ओसीडी का आंशिक भुगतान किया. इसके अलावा गोनिबेदु कॉफी के लिए भी 450 करोड़ रुपये का लोन लिया गया. इन कर्जों का चुका दिया गया या नहीं, यह साफ नहीं है.
अमेरिकी प्राइवेट इक्विटी दिग्गज KKR ने भी सिद्धार्थ की पर्सनल होल्डिंग वाली कंपनियों में 225 करोड़ रुपये का कर्ज दे रखा है. कन्वर्टिबल ऑप्शन देने का मतलब यह है कि सिद्धार्थ इन कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी कम करने को तैयार थे.