कोरोना संकट की वजह से भारत के स्टार्टअप और छोटे एवं मध्यम उद्यम नकदी की भारी तंगी से गुजर रहे हैं. आत्मनिर्भर भारत अभियान से भी इन उद्यमों को कोई मदद नहीं मिल पा रही. लोकल सर्किल्स द्वारा किए गए एक सर्वे से यह परेशान करने वाली खबर आई है. कुल 42 फीसदी उद्यमी नकदी की भारी तंगी से गुजर रहे हैं.
सर्वे के अनुसार 38 फीसदी उद्यमों के पास नकदी बिल्कुल नहीं है और 4 फीसदी उद्यम लॉकडाउन से ही जारी तमाम तरह की समस्याओं की वजह से अपना धंधा बंद कर रहे हैं. करीब 30 फीसदी उद्यमों का कहना है कि उनके पास सिर्फ तीन या चार महीने की नकदी बची है. सर्वे में शामिल सिर्फ 16 फीसदी उद्यमों का कहना है कि उनके पास अगले 3-4 महीने तक कामकाज चलाने लायक कैश बचा है. LocalCircles एक कम्युनिटी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है. इसके सर्वे में 8,400 स्टार्टअप, उद्यमों के 28,000 से ज्यादा लोग शामिल हुए.
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अनलॉक वन का भी खास फायदा नहीं
सर्वे से पता चलता है कि अनलॉक 1.0 का भी कारोबार पर असर पड़ रहा है. इससे कारोबार की गाड़ी कुछ खास आगे नहीं बढ़ पाई है. अप्रैल से जून के दौरान कैश की तंगी वाले स्टार्टअप और SME का हिस्सा 27 फीसदी से बढ़कर 42 फीसदी तक पहुंच गया है. पिछले दो महीने के दौरान ज्यादातर प्रतिष्ठानों का राजस्व 80 से 90 फीसदी गिर गया है, जिसकी वजह से उनके लिए अपना कारोबार चलाना आगे काफी मुश्किल होगा.
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आत्मनिर्भर भारत स्कीम का क्या फायदा
मोदी सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत पैकेज का ऐलान किया है. क्या इसका कोई फायदा मिलेगा? इसका सर्वे में शामिल 57 फीसदी उद्यमियों ने 'नहीं' में जवाब दिया है. यानी उन्हेंं सरकार की इस भारी-भरकम योजना का कोई फायदा नहीं मिला है. इसके अलावा 29 फीसदी कारोबारियों ने कहा कि अभी इसके बारे में वे कुछ नहीं कह सकते कि इससे फायदा मिलेगा या नहीं.
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सर्वे में शामिल सिर्फ 14 फीसदी कारोबारियों ने कहा कि इस स्कीम से कोई फायदा हो सकता है. असल में इस स्कीम का फायदा उन कंपनियों को मिलेगा जिनके बहीखाते में कर्ज या लोन का कोई बोझ पहले से हो. ज्यादातर स्टार्टअप वेंचर कैपिटल फंडिंग से पूंजी जुटाते हैं, बैंक लोन के द्वारा नहीं, इसलिए उन्हें इसका फायदा मिलना मुश्किल ही दिख रहा है.
सर्वे के अनुसार, कोविड के इस कठिन दौर में ज्यादातर स्टार्टअप और छोटे उद्यमी अपने कारोबार की लागत घटाने और अपना कारोबार बनाए रखने के लिए कई तरह के उपाय कर रहे हैं. सर्वे में शामिल 64 फीसदी कारोबारियों ने कहा कि उन्होंने अपनी मार्केटिंग लागत में कटौती की है या उसे टाल दिया है.
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राहत की बात
राहत की बात ये है कि स्टार्टअप में यह भरोसा बढ़ रहा है कि आगे चलकर हालात ठीक होंगे. अगले छह महीनों में हालत में सुधार होंगे यह भरोसा रखने वाले अप्रैल के 13 फीसदी की तुलना में जून में कारोबारियों का हिस्सा बढ़कर 35 फीसदी तक पहुंच गया.
(www.businesstoday.in के इनपुट पर आधारित)